Friday , June 20 2025
Breaking News

छतरपुर में महाराजा छत्रसाल की 52 फीट ऊंची अष्टधातु की प्रतिमा स्थापित कर उनकी वीरता, पराक्रम और शौर्य को देश के सामने रखा

छतरपुर
 इतिहास के पन्नों में बुंदेलखंड के महाराजा छत्रसाल को वह स्थान नहीं मिल पाया, जिसके वे हकदार थे. ये बात अलग है कि छतरपुर जिले में लोगों के मन में महाराजा छत्रसाल के प्रति अलग ही सम्मान है. तभी तो छतरपुर में महाराजा छत्रसाल स्मृति शोध संस्थान ने 52 फीट ऊंची अष्टधातु की प्रतिमा स्थापित कर उनकी वीरता, पराक्रम और शौर्य को देश के सामने रखा. इस प्रतिमा को देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं और महाराजा छत्रसाल के पराक्रम और इतिहास को जानकर हैरान हो जाते हैं. घोड़े पर सवार इतनी बड़ी प्रतिमा देश में कहीं नहीं है.

छतरपुर के मऊसहानियां में स्थापित विशाल प्रतिमा

इतनी विशाल प्रतिमा बनने की कहानी भी रोचक है. छतरपुर के युवा आर्टिस्ट दिनेश कुमार शर्मा द्वारा महाराजा छत्रसाल का करीब डेढ़ फुट लंबा मास्टर पीस को तैयार किया गया. इस पीस को यूपी के लखनऊ ले जाया गया. पीस को देखकर लखनऊ के कलाकारों ने मिट्टी का मॉडल तैयार किया. मॉडल पीस के करीब सौ टुकड़ों में बनाई गई डाई को ट्रकों से छतरपुर लाया गया. राजस्थान के कारीगरों ने महाराजा छत्रसाल की मूर्ति की ढलाई की. अब 52 फीट की अष्टधातु की मूर्ति सीना तानकर खड़ी है, जिसे देखने पूरे देश से लोग आ रहे हैं. छतरपुर के मऊसहानियां में ये प्रतिमा स्थापित है. छतरपुर जिले से 15 किलामीटर दूर महाराजा छत्रसाल की कर्मभूमि मऊसहानियां रही है.

1.10 करोड़ से बनी अष्टधातु की प्रतिमा

महाराजा छत्रसाल की ये प्रतिमा को बनवाने में लोगों ने हर स्तर पर आर्थिक मदद की. एक करोड़ से ज्यादा राशि प्रतिमा बनवाने में खर्च हुई. इसमें से 67 लाख रुपए से ज्यादा नगद राशि 10-10 रुपए के कूपन से एकत्र की गई. महाराजा छत्रसाल की विशाल प्रतिमा बनवाने के लिए RSS के पूर्व विभाग प्रचारक पवन तिवारी ने संकल्प लिया था. इसके बाद 2 जून 2015 को महाराजा छत्रसाल स्मृति शोध संस्थान का गठन करवाया गया. महाराजा छत्रसाल के इतिहास, त्याग, बलिदान की गाथाओं की पुस्तकें निकलवाईं. कैलेंडर, डायरी, प्रतियोगिता से लेकर हर वह पहल शुरू की, जिससे घर-घर में लोग छत्रसाल की वीरता की गाथा जान सकें.

महाराजा छत्रसाल की वीरता जन-जन तक पहुंचाने का लक्ष्य

इसके बाद अभियान को मूल रूप देते हुए संस्थान के लोगों ने महाराजा छत्रसाल की अष्टधातु से विशाल प्रतिमा स्थापना का संकल्प लिया. 27 अक्टूबर 2015 को प्रतिमा निर्माण के लिए पूजन हुआ और फिर यह काम शुरू हो गया. 21 मार्च 2018 में आरएसएस प्रमुख डॉ. मोहन भागवत द्वारा प्रतिमा का लोकार्पण किया गया. छत्रसाल स्मृति शोध संस्थान के अध्यक्ष राधे शुक्ला का कहना है "साल 2015 में हम लोगों ने छत्रसाल स्मृति शोध संस्थान बनाया था, जिसमे संकल्प लिया गया था कि महाराजा छत्रसाल की वीरगाथा जन-जन तक पहुंचाई जाएगी."

About rishi pandit

Check Also

ग्वालियर के जिम ट्रेनर की दुबई में संदिग्ध अवस्था में मौत, परिजन पहुंचे दिल्ली एम्बेसी

ग्वालियर मध्यप्रदेश के ग्वालियर के जिम ट्रेनर सूरज शर्मा की दुबई में संदिग्ध मौत हो …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *