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2008 जयपुर ब्लास्ट केस: दोषी ठहराए गए चारों आतंकियों को आजीवन कारावास

जयपुर

जयपुर बम ब्लास्ट से जुड़े मामले में सबसे बड़ी खबर, जयपुर बम ब्लास्ट के गुनहगारों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। जिंदा बम मिलने के मामले में दोषी ठहराए गए चारों आतंकियों को सजा सुनाई गई है। 4 अप्रैल को जज रमेश कुमार जोशी ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराया था।

जयपुर में करीब 17 साल पहले हुए सीरियल बम धमाकों के दौरान जिंदा मिले बम केस में चारों आतंकियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने 600 पेज का फैसला दिया है। 13 मई को 2008 को जयपुर में 8 सीरियल ब्लास्ट हुए थे, नौंवा बम चांदपोल बाजार के गेस्ट हाउस के पास मिला था। बम फटने के 15 मिनट पहले इसे डिफ्यूज कर दिया गया था।

 अदालत ने शाहबाज हुसैन, सरवर आजमी, मोहम्मद सैफ और सैफुर्रहमान को दोषी करार देते हुए कहा कि सजा हुई है, मतलब गुनाह भी हुआ है। विशेष न्यायाधीश रमेश कुमार जोशी की अदालत ने चारों को भारतीय दंड संहिता (IPC), यूएपीए एक्ट और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया है।
बता दें कि बीती 4 अप्रैल 2025 को अदालत ने इन चारों आरोपियों को दोषी घोषित किया था। इसके बाद 6 अप्रैल को सजा पर बहस हुई और आज कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उम्रकैद की सजा दी। दोषियों को IPC की धारा 120B (आपराधिक षड्यंत्र), धारा 121A (राजद्रोह संबंधी साजिश), धारा 307 (हत्या की कोशिश), धारा 153A (धार्मिक विद्वेष फैलाना), विस्फोटक अधिनियम की धारा 4, 5 और 6 और यूएपीए की धारा 13 और 18 के तहत सजा दी गई है।

शुक्रवार को दोषी करार दिया था इससे पहले शुक्रवार को जयपुर बम ब्लास्ट मामलों की विशेष अदालत ने चारों को दोषी करार दिया था। अदालत ने जिंदा बम केस में सैफुर्रहमान, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आजमी और शाहबाज अहमद को दोषी ठहराया था।

चारों आतंकियों को इंडियन पेनल कोड की 4 धाराओं, अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट (यूएपीए) की दो, विस्फोटक पदार्थ कानून की 3 धाराओं में दोषी ठहराया गया है। इन धाराओं में अधिकतम आजीवन कारावास का प्रावधान है। इनमें शाहबाज को छोड़कर अन्य को सीरियल ब्लास्ट के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इन्हें बरी कर दिया था। फांसी की सजा के मामले में राज्य सरकार की अपील सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।

112 गवाहों के बयान हुए थे एटीएस ने जिंदा बम मामले में इन सभी आरोपियों को 25 दिसंबर 2019 को जेल से गिरफ्तार कर लिया था। एटीएस ने जिंदा बम मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट पेश की थी। इसमें एटीएस ने तीन नए गवाह शामिल किए थे। सुनवाई के दौरान एटीएस ने पत्रकार प्रशांत टंडन, पूर्व एडीजी अरविंद कुमार और साइकिल कसने वाले दिनेश महावर सहित कुल 112 गवाहों के बयान दर्ज करवाए थे।

सरकारी और बचाव पक्ष की दलीलें
राज्य सरकार की ओर से विशेष लोक अभियोजक सागर तिवाड़ी ने कहा कि यह गंभीरतम अपराध है। इसमें किसी तरह की नरमी नहीं बरती जा सकती। ऐसे लोगों को शेष जीवनकाल तक जेल में रहना चाहिए। वहीं, आरोपियों के वकील मिन्हाजुल हक ने अदालत में तर्क दिया कि चारों आरोपी पिछले 15 साल से जेल में हैं, और अन्य आठ बम ब्लास्ट केसों में हाईकोर्ट उन्हें बरी कर चुका है। ऐसे में उन्हें कम से कम सजा दी जाए।

अदालत की टिप्पणी- फैसला सुनाते वक्त न्यायालय ने कहा कि सबसे बड़ा न्यायालय, हमारा मन होता है… क्या गलत है, क्या सही, यह हमारा मन जानता है। सजा हुई है, मतलब गुनाह भी हुआ है।

क्या है ब्लास्ट का पूरा मामला?
बताते चलें कि 13 मई 2008 को जयपुर के विभिन्न स्थानों पर आठ सिलसिलेवार बम धमाके हुए थे, जिसमें 70 से ज्यादा लोगों की जान गई थी और 180 से अधिक लोग घायल हुए थे। इसी दौरान नवां बम चांदपोल बाजार स्थित एक गेस्ट हाउस के पास मिला था, जिसे धमाके से 15 मिनट पहले डिफ्यूज कर लिया गया था जिससे एक और बड़ी त्रासदी टल गई थी।

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