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छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक मल्हार महोत्सव इस बार भी संकट में

बिलासपुर

छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक मल्हार महोत्सव को राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं का प्रमुख उत्सव माना जाता है। मगर, यह बीते छह साल से ठप पड़ा है। प्रशासनिक अड़चनों और वित्तीय अनिश्चितताओं के चलते इस वर्ष भी आयोजन पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

मल्हार, बिलासपुर जिले के मस्तूरी तहसील का एक ऐतिहासिक नगर है, जो प्राचीन मंदिरों और सांस्कृतिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। मल्हार महोत्सव का उद्देश्य इस गौरवशाली विरासत को संरक्षित रखना और लोक कलाकारों को मंच प्रदान करना है।

हर साल यहां पारंपरिक नृत्य, लोक संगीत, नाटक, हस्तशिल्प प्रदर्शन, व्यंजन मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे, जो आकर्षण का केंद्र रहे हैं। साल 2019 से 2023 तक महोत्सव का आयोजन कोविड-19 के बहाने बाधित रहा। 2024 में सरकार द्वारा आयोजन की प्रक्रिया शुरू की गई थी, लेकिन आचार संहिता लागू होने के कारण स्वीकृत राशि समिति तक नहीं पहुंच पाई।

राशि जारी होने के बाद अधर में आयोजन
बिलासपुर लोकहित सांस्कृतिक सेवा समिति ने 24 फरवरी 2025 को कलेक्टर को पत्र सौंपकर 20 लाख रुपये की राशि स्वीकृत करने की मांग की थी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने 23 नवंबर 2024 को बिलासपुर प्रवास के दौरान महोत्सव के लिए राशि को 5 लाख से बढ़ाकर 20 लाख करने की घोषणा की थी।

स्थानीय कलाकारों और जनता में रोष
स्थानीय कलाकारों और नागरिकों में प्रशासनिक देरी को लेकर गहरा असंतोष है। समिति के सचिव रविशंकर केवट, कोषाध्यक्ष कृष्णकुमार साहू और उपाध्यक्ष राजेश पाटले ने कई बार प्रशासन से संपर्क किया, लेकिन केवल आश्वासन ही मिला।

लोक कलाकारों का कहना है कि इस आयोजन के रुकने से उनकी आजीविका संकट में आ गई है। हस्तशिल्पी, पारंपरिक कलाकार और स्थानीय व्यापारी इससे आर्थिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं। सभी ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द राशि को हस्तांतरित करके आयोजन को कराया जाए।

 

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