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छह लेन गंगा पुल परियोजना का 95 प्रतिशत कार्य पूर्ण, जल्द दौड़ेंगी गाड़ियां

पटना

बिहार के पथ निर्माण मंत्री, नितिन नवीन ने बताया गया कि औंटा-सिमरिया छह लेन गंगा पुल परियोजना का 95 प्रतिशत कार्य पूर्ण कर लिया गया है, शेष कार्य को तेजी से पूरा किया जा रहा है, और 31 मई 2025 तक इसे जनता के लिए खोलने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

अंतिम चरण में पहुंचा परियोजना का कार्य
बिहार की महत्वपूर्ण अवसंरचनात्मक परियोजनाओं में से एक, गंगा नदी पर बन रहे औंटा-सिमरिया छह लेन गंगा पुल एवं संपर्क मार्ग परियोजना का कार्य अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग-31 के खंड (197.900 कि.मी. से 206.050 कि.मी.) पर बन रही औंटा- सिमरिया छह लेन गंगा पुल एवं संपर्क परियोजना का कार्य अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग-31 के खंड (197.900 कि.मी. से 206.050 कि.मी.) पर बन रही औंटा-सिमरिया छह लेन गंगा पुल परियोजना की कुल लंबाई 8.15 किमी है, जिसमें 1.865 किमी लंबा छह लेन पुल शामिल है।

इस दिन से जनता के लिए खुलेगा
मंत्री ने बताया गया वर्तमान में औंटा-सिमरिया छह लेन गंगा पुल परियोजना का 95 प्रतिशत कार्य पूर्ण कर लिया गया है, अब तक 6.51 किमी सड़क निर्माण का कार्य संपन्न हो चुका है। शेष कार्य को तेजी से पूरा किया जा रहा है, और 31 मई 2025 तक इसे जनता के लिए खोलने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने बताया कि उक्त परियोजना की कुल लागत 1710.73 करोड़ है। परियोजना अंतर्गत एक रेल ओवर ब्रिज, दो रेल अंडर ब्रिज , एक वाहन अंडरपास , दो हल्के वाहनों के लिए अंडरपास और 11 पुलियों (कल्वर्ट) का निर्माण भी शामिल है।

पटना और बेगूसराय के बीच दूरी होगी कम
नवीन ने बताया कि वर्तमान में एक रेल ओवर ब्रिज, दो रेल अंडर ब्रिज और एक कल्वर्ट के कुछ हिस्से का कार्य शेष है। उक्त परियोजना के लिए 60 मीटर तक का मार्गाधिकार तय किया गया किया गया है। औंटा-सिमरिया छह लेन गंगा पुल को 100 किमी/घंटा की डिजाइन स्पीड के अनुसार बनाया गया है। उन्होंने बताया कि इस पुल के चालू होने से पटना और बेगूसराय के बीच यात्रा का समय काफी कम हो जाएगा, जिससे राजेंद्र सेतु और गांधी सेतु पर यातायात का दबाव भी घटेगा। यह पुल बेगूसराय औद्योगिक क्षेत्र के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि बरौनी रिफाइनरी, खाद कारखाने और थर्मल पावर स्टेशन जैसे प्रमुख औद्योगिक प्रतिष्ठानों के लिए यह एक तेज़ और सुगम मार्ग प्रदान करेगा। इससे भारी मालवाहक वाहनों की आवाजाही आसान होगी, जिससे लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आएगी और उद्योगों की उत्पादन क्षमता बढ़ेगी।

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