Friday , January 10 2025
Breaking News

हिंदी हमारी राष्ट्र भाषा नहीं… रविचंद्रन अश्विन के बयान से बखेड़ा

नई दिल्ली
भारतीय क्रिकेट टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 5 मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-3 से हार का सामना करना था. इस हार के चलते भारतीय टीम ने 10 साल बाद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी (BGT) गंवा दी थी. ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान ही स्टार स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कह दिया था. अश्विन के इस फैसले से फैन्स चौंक गए थे. अश्विन गाबा टेस्ट के बाद ऑस्ट्रेलिया से स्वदेश वापस लौट आए थे.

अश्विन के बयान से खड़ा हुआ बखेड़ा
अब रविचंद्रन अश्विन ने एक ऐसा बयान दिया है, जिसके चलते बखेड़ा खड़ा हो गया है. अश्विन ने चेन्नई स्थित इंजीनियरिंग कॉलेज के कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी भारत की राष्ट्रीय भाषा नहीं है. अश्विन के इस बयान से भाषा पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है. अश्विन ने अपने संबोधन के दौरान छात्रों से पूछा कि क्या कोई हिंदी में सवाल पूछने में रुचि रखता है, जिसे लेकर किसी ने रुचि नहीं दिखाई. इसके बाद अश्विन के कहा, 'मैंने सोचा कि मुझे यह कहना चाहिए. हिंदी हमारी राष्ट्रीय भाषा नहीं है, यह एक आधिकारिक भाषा है.'

आर. अश्विन के बयान से सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. कुछ लोगों ने तर्क दिया कि अश्विन को ऐसे मुद्दों पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए. एक यूजर ने लिखा, 'अश्विन को इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए. मुझे यह पसंद नहीं है. मैं उनका प्रशंसक हूं. आप जितनी अधिक भाषाएँ सीखेंगे, यह अच्छा है. हमारे फोन में किसी भी भाषा का अनुवाद उपलब्ध है. समस्या क्या है, भाषा का मुद्दा लोगों पर छोड़ दें.'

एक अन्य यूजर ने टिप्पणी की, 'अश्विन पहले ही इंटरव्यूज में कह चुके हैं कि जब आप तमिलनाडु से बाहर जाते हैं और हिंदी नहीं जानते तो जीवन कितना कठिन होता है. क्या हम इसे नहीं सीख सकते, जिसे भारत अधिकांश लोग जानते हैं.'

अश्विन के बयान पर राजनीति भी तेज
डीएमके ने आर.अश्विन के बयान का समर्थन किया है. डीएके नेता टीकेएस एलंगोवन ने कहा, 'जब कई राज्य अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं तो हिंदी राजभाषा कैसे हो सकती है.' हालांकि भारतीय जनता पार्टी ने अपील की है कि भाषा पर फिर से बहस नहीं शुरू होनी चाहिए. भाजपा नेता उमा आनंदन ने कहा, 'डीएमके की ओर से इसकी सराहना करना आश्चर्य की बात नहीं होगी. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि अश्विन राष्ट्रीय क्रिकेटर हैं या तमिलनाड के क्रिकेटर हैं.'

1930-40 के दशक में तमिलनाडु में स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य भाषा के रूप में लागू करने का काफी विरोध हुआ था. द्रविड़ आंदोलन का उद्देश्य तमिल को बढ़ावा देना और तमिल भाषियों के अधिकारों का दावा करना था. इस आंदोलन ने हिंदी भाषा के विरोध में केंद्रीय भूमिका निभाई. द्रविड़ राजनीतिक दल जैसे डीएमके, एआईएडीएमके लंबे समय से हिंदी के बजाय तमिल के इस्तेमाल की वकालत करते रहे हैं. उनका तर्क है कि हिंदी को बढ़ावा देने से तमिल जैसी क्षेत्रीय भाषा की स्थानीय पहचान हाशिए पर चली जाएगी.

क्या हिंदी है राष्ट्रभाषा या राजभाषा?
बता दें कि हिंदी को राजभाषा का दर्जा 14 सितंबर 1949 को मिला था. इसके बाद 1953 से राजभाषा प्रचार समिति द्वारा हर साल 14 सितंबर को हिंदी द‍िवस का आयोजन किया जाने लगा. अपनी विभिन्‍नताओं के चलते भारत की कोई राष्‍ट्र भाषा नहीं है मगर सरकारी दफ्तरों में कामकाज के लिए एक भाषाई आधार बनाने के लिए हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया. संविधान के भाग 17 में इससे संबंधित महत्‍वपूर्ण प्रावधान भी किए गए हैं. भारत के संविधान के भाग 17 के अनुच्‍छेद 343(1) में कहा गया है कि राष्‍ट्र की राजभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी.

About rishi pandit

Check Also

कुहनेमैन ने ऑस्ट्रेलिया की टेस्ट टीम में वापसी का श्रेय तस्मानिया को दिया

सिडनी ऑस्ट्रेलिया के बाएं हाथ के स्पिनर मैथ्यू कुहनेमैन ने घरेलू क्रिकेट सर्किट में तस्मानिया …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *