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बहादरपुर सूत मिल के मजदूरों को अब जल्द उनका हक मिल जाएगा, सीएम मोहन यादव की घोषणा

बुरहानपुर
बीते पच्चीस साल से बकाया वेतन और ग्रेज्युटी पाने के लिए तरस रहे बंद हुई बहादरपुर सूत मिल के मजदूरों को अब जल्द उनका हक मिल जाएगा। नया साल शेष बचे मिल के करीब एक हजार मजदूरों के लिए भी खुशखबरी लेकर आया है। दरअसल मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उज्जैन में आयोजित बैरवा जयंती समारोह के दौरान घोषणा की है, कि सरकार प्रदेश की बंद हुई मिलों के मजदूरों को ब्याज सहित उनका हक दिलाएगी। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने उज्जैन की विनोद मिल के मजदूरों को उनका हक दिलाया। इंदौर की हुकुमचंद मिल के मामले का भी समाधान किया।ग्वालियर की जेसी मिल्स के मजदूरों को उनका हक दिलाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके साथ शेष मिलों के मजदूरों को भी उनका हक दिलाया जाएगा।

ज्ञात हो कि वर्तमान में 56.55 करोड़ रुपये है देनदारी
मिल के परिसमापन को 25 वर्ष से अधिक का समय हो चुका है। मिल के 1200 से अधिक कर्मचारियों में से करीब 200 की बकाया राशि मिलने की आस में मृत्यु तक हो चुकी है।     इन श्रमिकों की 1999 में देयता एक करोड़ 51 लाख बताई गई थी। वर्तमान में 31 मार्च 2024 की स्थिति में श्रमिकों की देनदारी ब्याज सहित 56 करोड़ 55 लाख 14 हजार 212 रुपये हो चुकी थी।
ज्ञात हो कि फरवरी 1998 में दिग्विजय सिंह की कांग्रेस सरकार के समय इस चालू मिल को कार्यशील पूंजी का अभाव बता कर बंद कर दिया गया था। इसके पश्चात अक्टूबर 1999 में संस्था को परिसमापन में ले लिया गया था।

मिल का भवन तक हो चुका चोरी
संस्था को परिसमापन में लिए जाने के दौरान मिल का भवन, मशीनरी, वाहन, तार फेंसिंग, अधिकारियों के बंगले, श्रमिकों के क्वार्टर आदि सभी सही स्थिति में थे।
सुरक्षा के अभाव में वर्ष 1998 से 2003 के बीच मिल की मशीनों से लेकर दीवारें, ईंट,मिट्टी तक चोरी हो गई। वर्तमान में वहां केवल 57.83 एकड़ भूमि ही शेष बची है।
इसका वर्तमान सरकारी मूल्य 81 करोड़ रुपये है। यह भूमि इंदौर-अंकलेश्वर मार्ग से लगी होने के कारण बहुमूल्य है।
वर्तमान में यह भूमि जिला व्यापार एवं उद्योग केंद्र को हस्तांतरित कर दी गई है। अब इसे औद्योगिक उपयोग के अतिरिक्त अन्य शासकीय उपयोग में लेने पर विचार चल रहा है।

 

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