मुंबई
एक निजी कंसल्टेंसी सेवा कंपनी साइबर धोखाधड़ी का शिकार हो गई और उसे 1.30 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। यह धोखाधड़ी तब सामने आई, जब कंपनी के चीफ अकाउंटेंट को एक अज्ञात नंबर से व्हाट्सएप पर मैसेज मिला, जिसमें खुद को कंपनी का प्रबंध निदेशक बताने वाले व्यक्ति ने पैसे ट्रांसफर करने का आदेश दिया।
एफआईआर के मुताबिक, चीफ अकाउंटेंट ने पहले एक अज्ञात कॉल को काट दिया, जब कॉल पर उस व्यक्ति की आवाज़ नहीं सुनाई दी। इसके बाद, उन्हें एक मैसेज मिला, जिसमें लिखा था, "मैं तन्वी औती हूं, मेरा नेटवर्क सिग्नल खराब है, यह मेरा व्हाट्सएप नंबर है, कृपया इसे सेव कर लें।" चीफ अकाउंटेंट ने तन्वी औती का व्हाट्सएप प्रोफाइल देखा और यह मान लिया कि यह वही नंबर है, जो प्रबंध निदेशक का है।
नकली प्रबंध निदेशक ने आगे बातचीत में कहा कि वह अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं, और सीएएफओ से कंपनी के खाता शेष का स्क्रीनशॉट लेने और उसे भेजने को कहा। इसके बाद, उन्होंने खाता संख्या देकर 1.30 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने का आदेश दिया, जिसे चीफ अकाउंटेंट ने बिना किसी संकोच के पूरा कर दिया।
घोटालेबाज ने अगले कुछ दिनों में अतिरिक्त 2 करोड़ रुपये की मांग भी की थी, लेकिन धोखाधड़ी का पता तब चला, जब 2 दिसंबर को सीएएफओ ने अपने असली प्रबंध निदेशक से संपर्क किया। उस वक्त तक पैसे ट्रांसफर हो चुके थे और धोखाधड़ी का खुलासा हुआ। नवी मुंबई साइबर सेल ने आईपीसी और आईटी अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है और मामले की जांच जारी है। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक गजानंद कांबले के मुताबिक पैसे के स्रोत का पता लगाने के लिए पुलिस प्रयासरत है। यह घटना पहचान की चोरी और ऑनलाइन धोखाधड़ी के बढ़ते खतरे को उजागर करती है, जिसमें हैकर्स अक्सर असली लोगों की पहचान का उपयोग कर धोखाधड़ी करते हैं।