- साधारण भाषा में इसे विंटर वॉमिटिंग बग और स्टोमक फ्लू भी कहते हैं
- रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए इस नए वायरस पर चल रहा है शोध
- तीन दिन चले वायरोकान-2024 अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन
ग्वालियर। पूरी दुनिया में एक नया वायरस लोगों को परेशान कर रहा है। इस वायरस का नाम मानव नोरोवायस है। साधारण भाषा में समझा जाए तो इसे विंटर वॉमिटिंग बग और स्टोमक फ्लू भी कहा जाने लगा है।
इस वायरस से प्रभावित व्यक्ति को उल्टी और दस्त जैसी समस्याएं परेशान करती हैं। रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए इस पर शोध चल रहा है। यह बात सम्मेलन में टैक्सस, अमेरिका से आए डॉ. बी. वेंकटराम प्रसाद ने ह्यूमन नोरोवायरस- रोल ऑफ कन्फर्मेशनल प्लास्टिसिटी इन एंट्री एंड एंटीबाडी न्यूट्रलाइजेशन विषय पर व्याख्यान के दौरान कही।
इन तरीकों से फैलता है वायरस
उन्होंने कहा है कि पेट का वायरस, जिसे आमतौर पर ”नोरोवायरस” कहा जाता है अमेरिका के पूर्वोत्तर क्षेत्र में तेजी से फैल रहा है। उन्होंने बताया कि यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के मल या फिर उल्टी में निकलने वाले छोटे कणों, व्यक्ति के साथ सीधा संपर्क, जैसे देखभाल करना, खाना या बर्तन शेयर करना, या उनके द्वारा बनाया गया खाना खाने फैलता है।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना (डीआरडीई) ग्वालियर में तीन दिन आयोजित हुए वायरोकान अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का बुधवार को समापन हुआ। सम्मेलन में देश-विदेश के 400 से अधिक विज्ञानी, शोधकर्ता, शोधार्थी और आईवीएस के सदस्य शामिल हुए। समापन सत्र के पहले 10 व्याख्यान आयोजित हुए।
सम्मेलन का आयोजन इंडियन वायरोलाजिकल सोसाइटी (आईवीएस) ने किया। तकनीकी सत्र के बाद एकेडमिया और इंडस्ट्री के साथ संयुक्त सिम्पोजियम का आयोजन भी हुआ। जिसमें देश-विदेश के उद्योगों के प्रतिनिधि शामिल हुए। उन्होंने अपने उत्पादों और प्रौद्योगिकियों की जानकारी दी। इस सिम्पोजियम का उद्देश्य अनुसंधानकर्ताओं और उद्योगों को संयुक्त उपक्रम के लिए पास लाना था।
यह भी हुआ सम्मेलन के दौरान
सम्मेलन के समापन सत्र में मेडिकल वायरोलॉजी, वेटनरी वायरोलॉजी, प्लांट वायरोलॉजी, एक्वाटिक वायरोलॉजी, फेज वायरोलॉजी आदि विषय श्रेणियों में विभिन्न पुरस्कार दिए गए। इन पुरस्कारों में यंग साइंटिस्ट ऑफ द ईयर, सर्वश्रेष्ठ पोस्टर पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ मौखिक प्रस्तुति पुरस्कार एवं आईवीएस ट्रेवल ग्रांट पुरस्कार शामिल थे।
सफल रहा आयोजन
समापन भाषण में बोलते हुए डॉ. मनमोहन परीडा, निदेशक डीआरडीई ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन कई मायनों में बेहद सफल रहा है। इसमें देश-विदेश के विज्ञानी, शिक्षकों, शोधछात्रों के साथ-साथ उद्योगों से जुड़े प्रतिनिधियों को परस्पर संपर्क का अवसर मिला। आयोजन सचिव डॉ. पीके दास को आईवीएस की ओर से स्मृति चिह्न प्रदान किया गया। डॉ. दास ने सभी आगंतुकों और आईवीएस के प्रति आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. एसआई आलम, सोनम सिहाग ने किया।