Tuesday , October 22 2024
Breaking News

छत्तीसगढिय़ों के साथ हुआ षड्यंत्र, नहीं मिलने दिया छत्तीसगढ़ीभासी राज का दर्जा : नंदकिशोर शुक्ल

रायपुर

राजधानी में रविवार को छत्तीसगढ़ीभासी राज सम्मेलन हुआ है. सम्मेलन में साहित्यकार, संस्कृति विशेषज्ञ, रंगकर्मी, पत्रकार, शिक्षक, लोक कलाकर, कर्मचारी नेता, छात्र और संगठन सेनानी शामिल हुए. सम्मेलन का विषय था- छत्तीसगढ़ी भासी राज का दर्जा.सम्मेलन को मुख्य वक्ता के रूप में छत्तीसगढ़ी राजभासा मंच के संरक्षक नंदकिशोर शुक्ल ने संबोधित किया. शुक्ल ने दस्तावेजी प्रमाणों के साथ बताया कि राज्य निर्माण के साथ ही छत्तीसगढिय़ों के साथ एक बड़ा षड्यंत्र हुआ था. उन्होंने कहा कि 2001 से लेकर 2003 तक केंद्र और राज्य सरकार के बीच क और ख श्रेणी को लेकर कई पत्र व्यवहार हुए. इस पत्र व्यवहार में केंद्र से जब यह पूछा गया था कि छत्तीसगढ़ को किस राज्य की श्रेणी में रखा जाए तो साजिशन छत्तीसगढ़ी भासी राज्य को क श्रेणी में रखवा दिया गया.

क श्रेणी हिंदी भासी राज्य के लिए है। जबकि छत्तीसगढ़ राज्य को ख श्रेणी में रखा जाना था, क्योंकि यह छत्तीसगढ़ की पहचान छत्तीसगढ़ी राज्य के तौर पर देश में है. ख श्रेणी में छत्तीसगढ़ी और हिंदी भासी राज्य को रखा जाता है.  इस षडय़ंत्र का बड़ा नुकसान आज छत्तीसगढिय़ों को उठाना पड़ा है. छत्तीसगढ़ी भाषा को लेकर संघर्ष की स्थिति इस श्रेणी के चलते भी करना पड़ा है. आज भी यह संघर्ष जारी है. 2007 में छत्तीसगढ़ीभाषियों के आंदोलन के बाद राज्य में छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा तो दे दिया गया, लेकिन इसमें भी छत्तीसगढिय़ों के साथ छल हुआ था. छत्तीसगढ़ी को हिंदी के बाद द्वितीय भाषा लिख दिया गया. इसी तरह 2008 में छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग गठित किया था, लेकिन बाद में षडय़ंत्र के तहत इसमें भी बदलाव कर इसे छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग कर दिया गया.  2020 केंद्र सरकार की ओर से जब नवा शिक्षा नीति के तहत छत्तीसगढ़ में भाषायी सर्वेक्षण कराया गया तो यह पाया गया कि छत्तीसगढ़ में सिर्फ 5 फीसदी लोगों की मातृभाषा हिंदी है, जबकि 65 फीसदी से अधिक लोगों की मातृभाषा छत्तीसगढ़ी है. बावजूद इसके अभी भी छत्तीसगढिय़ों के साथ छल और षडय़ंत्र चल रहा है. आज भी स्कूलों में माध्यम भाषा छत्तीसगढ़ी में पढ़ाई नहीं हो रही है. यह मोदी सरकार की गारंटी के खिलाफ भी है, जिसमें नवा शिक्षा नीति में यह बात कही गई है. सम्मलेन को संस्कृति विशेषज्ञ अशोक तिवारी, साहित्यकार सुधीर शर्मा सहित कई अन्य लोगों ने भी संबोधित किया.

सम्मलेन में यह निर्णय लिया गया कि छत्तीसगढ़ी भाषा के साथ हो रहे छल और षडयंत्र के मुद्दे पर जल्द ही राज्य के मंत्रियों और मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे. यह मांग करेंगे कि छत्तीसगढ़ीभाषी राज का दर्जा दिलाने के लिए साय सरकार विशेष प्रयास करें. छत्तीसगढ़ी को सरकारी काम-काज और पढ़ाई का माध्यम भाषा बनाने का स्पष्ट निर्देश जारी करें. सम्मेलन में विशेष रूप से वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी, ब्रजेश चौबे, प्रकाश शर्मा, गुलाल वर्मा प्रफुल्ल ठाकुर, विधि विशेषज्ञ राजीव तिवारी, प्रोफेसर डॉ. तपेशचंद्र गुप्ता, डॉ. प्रीति सतपथी, डॉ. गार्गी पाण्डेय, डॉ. राहुल तिवारी, शिक्षक संघ वीरेंद्र दुबे, अमित शुक्ला, रंगकर्मी विजय मिश्रा, विकास शर्मा, कर्मचारी नेता सीएल दुबे, छत्तीसगढिय़ा क्रांति सेना अध्यक्ष दिलीप मिरी सहित छात्र संगठन के पदाधिकारी शामिल रहे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. वैभव बेमेतरिहा ने किया.

About rishi pandit

Check Also

गैंगस्टर अमन साहू का लारेंस बिश्नोई गैंग से नहीं है कोई सीधा कनेक्शन : एसएसपी सिंह

रायपुर  गैंगस्टर अमन साहू को लेकर रायपुर एसएसपी संतोष सिंह ने बड़ा राजफाश किया है। …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *