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Crime: प्रेम विवाह से नाराज पिता-भाई ने की थी दामाद की हत्या, एक महीने बाद युवती ने लगा ली फांसी

  1. दरवाजा बाहर से बंद कर दिया था
  2. पत्थर मारा कोई आवाज नहीं आई
  3. जेठ जिठानी अपने घर चले गए थे

परासिया छिंदवाड़ा। चांदामेटा के वार्ड क्रमांक 7 बडिया लाईन में युवती उर्वषी उर्फ राधिका मालवी (19) ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। युवती का शव बाथरूम में साडी के फंदे से लटका पाया गया। तहसीलदार की मौजूदगी में पुलिस ने शव को फंदे से उतारकर पंचनामा बनाया।

राधिका घर में सभी के साथ थी

युवती के पति की हत्या एक महीने पहले 15 सितंबर की रात उसके पिता और भाई ने चाकू मारकर की थी। युवती के पिता और भाई प्रेम विवाह से नाराज थे। उर्वषी उर्फ राधिका घर में सभी के साथ थी।

जेठ जिठानी अपने घर चले गए

सास, ससुर, सास की बड़ी बहन, देवर, जेठ, जेठानी सभी ने मिलकर घर में खाना खाया। दोपहर के भोजन के बाद जेठ जिठानी अपने घर चले गए। उर्वषी ने बरतन मांजे और इसके बाद झूले में खेल रहे बच्चों से बात की। खुद भी झूले में झूली।

दरवाजा बाहर से बंद कर दिया था

झूले में झूलने के बाद वह नहाने चली गई। काफी देर बाद जब वह नहीं लौटी तो परिवार के लोगों ने दरवाजा देखा। उसने किचन का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया था।

पत्थर मारा कोई आवाज नहीं आई

देवर छत पर चढ़ा। बाथरूम के दरवाजे पर पत्थर मारा कोई आवाज नहीं आई। उसने चारदीवारी कूदकर खिड़की से देखा तो उर्वषी फांसी के फंदे पर लटकी थी।

चांदामेटा टीआई ने ही दरवाजा तोडा़

पुलिस को सूचना देने जा रहे थे। उसी दौरान चांदामेटा टीआई अरुण मर्सकोले मोहल्ले से ही गुजर रहे थे। उन्हें सूचना दी गई। उन्होंने ही दरवाजा तोडा़। इसके बाद परासिया तहसीलदार को सूचना दी गई।

पंचनामा बनाकर शव को बाहर निकाला

परासिया तहसीलदार मोनिका विश्वकर्मा मौके पर पहुंची। इसके बाद सब इंस्पेक्टर के साथ सिपाही आए और पंचनामा बनाकर शव को बाहर निकाला। शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

तबाह हो गए दो परिवार

योगेष की हत्या के आरोप में युवती के पिता और भाई जेल में है। उसकी मां कही चली गई है। उनके घर में ताला लटका है। इधर योगेष की मौत हो गई और आज उसकी पत्नी ने भी एक महिने में ही फांसी लगा ली। दोनो परिवार तबाह हो गए।

बेटी जैसी रख रहे थे उर्वषी को

मृतक युवती के ससुर पप्पी मालवी ने बताया कि घर में गंगा पूजन था। इसलिए साफ सफाई का काम चालू था। सभी हंसी खुशी घर में थे। तनाव या डिप्रेशन जैसी कोई स्थिति नहीं थी। बेटे की मौत के बाद वे बहू को बेटी जैसी रख रहे थे।

कहीं और रहना हो तो उसे छोड देंगे

कई बार उससे पूछा गया कि उसे कहीं जाना हो, कहीं और रहना हो तो उसे छोड देंगे। वह यहीं रहने की बात करती थी। आज उसने दूसरा दुख दे दिया।

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