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MP: आलोक रंजन की जगह स्पेशल डीजी बने योगेश मुद्गल, सरकार ने आठ DSP का किया ट्रांसफर

भोपाल। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) तकनीकी सेवाएं योगेश मुद्गल को स्पेशल डीजी बनाया गया है। राज्य शासन ने मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं।

स्पेशल डीजी बनाए जाने के बाद भी वे पहले की तरह तकनीकी सेवाएं का काम ही संभालेंगे। स्पेशल डीजी (प्रबंध) रहे आलोक रंजन के एनसीआरबी में प्रतिनियुक्ति पर जाने से उनकी जगह मुद्गल को पदोन्नत किया गया है।

उप पुलिस अधीक्षक स्तर के आठ अधिकारियों के तबादले

राज्य शासन ने उप पुलिस अधीक्षक स्तर के आठ अधिकारियों का तबादला भी कर दिया है। सत्येन्द्र घनघोरिया एसडीओपी बालाघाट को सीएसपी रतलाम, अरविंद सिंह तोमर सीएसपी खंडवा को एसडीओपी बदनावर धार, अभिनव बारंगे सीएसपी रतलाम को सीएसपी खंडवा, शेर सिंह भूरिया एसडीओपी बदनावर को डीएसपी अजाक रतलाम।

विवेक गुप्ता कार्यवाहक डीएसपी नारकोटिक्स मंदसौर को कार्यवाहक सीएसपी पीथमपुर धार, अमित मिश्रा सीएसपी पीथमपुर को डीएसपी पुलिस मुख्यालय, अंजुल अयंक मिश्रा सीएसपी बालाघाट को एसडीओपी लांजी और वैशाली सिंह डीएसपी महिला सुरक्षा नीमच को सीएसपी बालाघाट पदस्थ किया गया है।

आइएएस अधिकारी पवन जैन के खिलाफ नहीं मिली अभियोजन की स्वीकृत

आइएएस अधिकारी पवन जैन के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृत बीते डेढ़ वर्ष बाद भी नहीं मिल पाई है। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने उनके विरुद्ध वर्ष 2015 में प्रकरण कायम किया था। पिछले वर्ष फरवरी में ईओडब्ल्यू की ओर से अभियोजन स्वीकृति के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को पत्र भेजा गया था। उसके बाद इस वर्ष स्मरण पत्र भी भेजा जा चुका है।

उन पर इंदौर में जमीन से जुड़े एक मामले निर्धारित शुल्क नहीं लेकर शासन को 98 लाख रुपये हानि पहुंचाने का आरोप है। बताया जा रहा कि अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी होने के कारण केंद्र से इनके विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृत मांगी गई है, जो अभी तक नहीं मिली है।

इसके अतिरिक्त 30 से अधिक अन्य आरोपितों के विरुद्ध भी अलग-अलग मामलों में अभियोजन की स्वीकृति अभी लंबित है। हालांकि, दो वर्ष पहले की तुलना में स्थिति सुधरी है। पहले 100 से अधिक आरोपितों के विरुद्ध अभियोजन की स्वीकृति लंबित थी।

कांग्रेस ने कई बार उठाया विधानसभा में मामला

कांग्रेस ने कई बार विधानसभा में भी मामला उठाया। इसके बाद अलग से पोर्टल बनाकर निगरानी शुरू की गई तो इसमें सुधार आया है। अभी जो प्रकरण लंबित हैं उनमें अधिकतर बैंक के अधिकारी-कर्मचारी हैं। एक वर्ष बाद भी जिन मामलों में अभियोजन की स्वीकृति नहीं आई है उनमें विभाग प्रमुखों को सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से स्मरण पत्र भेजा गया है।

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