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Naxal Attack: नक्‍सलियों ने बंधक जवान को छोड़ा, लेने के लिए हेलिकॉप्टर रवाना

Chhattisgarh Naxal Attack:digi desk/BHN/ सुकमा, जगदलपुर/खबर आ रही है कि बुधवार को बंधक बनाए गए जवान राजेश्वर सिंह को नक्सलियों ने छोड़ दिया है। नक्सलियों ने आज टेकलगुड़ा गांव के नजदीक जंगल में जनअदालत लगाई थी। बीजापुर के कुछ पत्रकार मौके पर गए थे। बंधक जवान रिहा होने के बाद तर्रेम कैंप पहुंच गया है। वयोवृद्ध गांधीवादी कार्यकर्ता पद्मश्री धर्मपाल सैनी के हाथों में नक्सलियों ने जवान को सौंपा है। बताया जा रहा है कि 20 गांवों के ग्रामीणों के समक्ष नक्सलियों ने जवान को छोड़ा है।

उसे लेने के लिए हेलीकॉप्टर रवाना कर दिया गया है। हालांकि, पुलिस अब भी मामले की पुष्टि नहीं कर रही है। जवान के भाई ने कहा सीआरपीएफ ने हमें किया कन्फर्म किया है कि राजेश्वर को नक्सलियों ने रिहा कर दिया है। अभी तक जवान की मीडिया से बात नहीं हुई है।

बताते चलें कि बीजापुर व सुकमा के सीमावर्ती इलाके में नक्सलियों व जवानों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें 22 जवान शहीद हुए थे। इस बीच मौके से नक्सलियों ने कोबरा के एक जवान राकेश्वर सिंह मनहास को अगवा कर लिया, जिसके बाद रिहाई को लेकर नक्सलियों ने एक प्रेसनोट जारी कर मध्यस्ता की शर्त रखी थी।

इधर, मध्यस्ता के लिए पहुंचे बस्तर के पदमश्री से सम्मानित धर्मपाल सैनी को नक्सलियों ने जवान को सौंपा। उसके बाद मोटरसाइकिल से तमेर कैम्प लाया गया, जहां सीआरपीएफ के डीआईजी कोमल सिंह को सौंपा गया।

जानिए धर्मपाल सैनी के बारे में

भारत सरकार ने बस्तर के धर्मपाल सैनी पदमश्री से सम्मानति किया है। धर्मपाल सैनी बस्तर में आदिवासी छात्राओं की शिक्षा के लिए माता रूकमणि आश्रम का संचालन करते है। साथ ही वो बूड़ा आंदोलन चलाने वाले विनोभा भावे जो स्वतंत्रा सेनानी थे, उनके शिष्य रह चुके हैं। इसके अलावा खेल के क्षेत्र में भी बेहतर काम किया है।

सुकमा जिले के घोर नक्सल प्रभावित इलाके में माओवादियों ने करीब 20 गांवों के ग्रामीणों के समक्ष मध्यस्ता करने पहुंचे बस्तर के धर्मपाल सैनी व गोड़वाना समाज के प्रमुख मुरैया तरेम को सौंपा। वहां से जवान की स्वास्थ्य जांच के बाद हेलिकॉप्टर से रायपुर भेजा जाएगा। साथ ही पामेड़ एरिया कमेटी ने जवान को रिहा किया। ज्ञात हो कि 2011 में राकेश्वर सिंह कोबरा में भर्ती हुए थे।

बताते चलें कि नक्सलियों ने बंधक जवान राजेश्वर की तस्वीर जारी करते हुए कहा था कि जब तक सरकार की ओर से मध्यस्था का निर्णय नहीं लिया जाता तब तक जवान माओवादियों के कब्जे में रहेगा।

हालांकि, उस वक्त जवान के भाई रणजीत सिंह ने नईदुनिया से चर्चा में कहा था कि नक्सलियों के द्वारा जारी की गई फोटो पर विश्वास नहीं है। नक्सली वीडियो या आडियो भेजें, इस तरह की फोटो उनके मोबाइल में पहले की भी हो सकती है।

 

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