- आरोपियों ने मशीनें पार्ट्स खरीदकर असेंबल की थीं
- एनसीबी ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है
- उर्वरक फैक्ट्री किराए पर लेकर ड्रग्स बनाने का काम
भोपाल। भोपाल में एमडी ड्रग्स बनाने वाले आरोपित इतने शातिर थे कि हर काम में बेहद गोपनीयता बरतते थे। एमडी ड्रग्स बनाने के लिए आरोपितों ने पूरी मशीन खरीदने की जगह उसके पार्ट्स खरीदकर कारखाने में ही ‘असेंबल’ कराया था। उन्होंने ऐसा इसलिए किया ताकि किसी की नजर में न आएं। ये मशीनें आमतौर पर रासायनिक उर्वरक बनाने के काम आती हैं। मशीन लाने में पूंजी मंदसौर के शोएब लाला और इसी मामले में गिरफ्तार हरीश आंजना की लगी थी।
जांच एजेंसियों का अनुमान है कि मशीनरी में 40 से 50 लाख रुपये लगे होंगे। बता दें कि भोपाल में पिछले दिनों एमडी ड्रग्स बनाने का कारखाना पकड़ा गया था, जिसमें बड़ी मात्रा में एमडी ड्रग्स व अन्य सामग्री जब्त की गई थी। मामले की जांच नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) कर रहा है।
एनसीबी ने अभी तक तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए 14 अक्टूबर तक पुलिस हिरासत में लिया है। इसमें नासिक का सान्याल बाने, भोपाल का अमित चतुर्वेदी और मंदसौर का हरीश आंजना हैं। एमडी ड्रग बनाने में लगने वाले केमिकल और कच्चा माल खरीदने के लिए अमित चतुर्वेदी के पास पहले से लाइसेंस था, इसलिए उसे आसानी से सामग्री मिल जाती थी। इसमें अधिकतर सामग्री इंदौर की केमिकल दुकानों से खरीदी जा रही थी। यह जानकारी एनसीबी के अधिकारियों द्वारा गिरफ्तार आरोपितों से पूछताछ में सामने आई है।
उर्वरक बनाने वाली फैक्ट्री में बना रहे थे ड्रग्स
आरोपियों ने उर्वरक बनाने वाली फैक्ट्री को ही इसलिए किराए पर लिया था, जिससे लोगों का शक न हो। दरअसल, एमडी ड्रग्स बनाने पर भी उर्वरक बनाए जाने जैसी गंध आती है। जिस फैक्ट्री में एमडी ड्रग्स बनाई जा रही थी, वहां पहले उर्वरक बनाने का काम होता था।
कॉल डिटेल से आरोपियों को पकड़ रही पुलिस
एनसीबी के अधिकारी आरोपियों की कॉल डिटेल के आधार पर इस काम में लिप्त लोगों की पहचान करने में जुटे हैं। सान्याल बाने पहले भी महाराष्ट्र में नारकोटिक्स एक्ट में पकड़ा जा चुका है। उसे लगभग पांच वर्ष की सजा भी हुई थी। इस कारण वह पुलिस से बचने के लिए ज्यादा सतर्क रहता था। फोन करने की जगह अपने साथियों को चैटिंग एप के माध्यम से बातचीत करने के लिए कहता था।