जबलपुर। प्रदेश की जबलपुर हाईकोर्ट ने अपने अहम आदेश में कहा है कि यदि पति-पत्नी दोनों सर्विस में हैं तो उनमें से केवल एक ही गृह भाड़ा पाने का हकदार होगा। हाईकोर्ट की जस्टिस विवेक जैन की एकलपीठ ने इस आदेश के साथ महिला कर्मचारी के खिलाफ जारी किए गए वसूली आदेश को निरस्त कर दिया है।
पाली नगर पालिका में पदस्थ पुष्पा सिंह द्वारा दायर याचिका में गृह भाड़ा भत्ता आदेश को निरस्त करने और पूर्व में प्रदान की गई राशि की वसूली के आदेश को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि उसके पति साउथ इस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (SECL) की कॉलरी में पदस्थ हैं और उन्हें विभाग द्वारा फ्री में आवास प्रदान किया गया है, जिसका केवल बिजली बिल अदा करना पड़ता है। उनके पति को विभाग द्वारा गृह भाड़ा भत्ता प्रदान नहीं किया जाता है।
याचिका में यह भी कहा गया था कि गृह भाड़ा भत्ता नियमों के अनुसार, यदि पति-पत्नी दोनों सरकारी सेवा या निगम-मंडल की सेवा में कार्यरत हैं, तो केवल एक व्यक्ति को भत्ते का हकदार माना जाएगा। चूंकि याचिकाकर्ता के पति को गृह भाड़ा भत्ता नहीं मिल रहा है, इसलिए याचिकाकर्ता को भाड़ा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार है।
एकलपीठ ने सुनवाई के बाद नगर पालिका पाली के आदेश को निरस्त करते हुए आवेदिका को गृह भाड़ा भत्ता की संपूर्ण राशि प्रदान करने का आदेश पारित किया है। कोर्ट ने कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता के पति को फ्री में आवास दिया गया है, वह गृह भाड़ा भत्ता की श्रेणी में नहीं आता। दोनों एक ही मकान में निवासरत हैं, इसलिए नियमों के अनुसार, याचिकाकर्ता गृह भाड़ा भत्ता पाने की हकदार है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पैरवी की।