रीवा,भास्कर हिंदी न्यूज़/ रीवा जिले के बीजेपी सांसद जनार्दन मिश्रा ने कांग्रेसियों पर तीखा हमला बोलते हुए चुनौती दी है कि अगर उनमें हिम्मत है, तो वे पुतले के बजाय उन्हें जिंदा जलाकर दिखाएं। यह बयान उन्होंने तब दिया जब कांग्रेसियों ने श्रीनिवास तिवारी पर उनकी टिप्पणी के विरोध में उनका पुतला फूंका। मिश्रा ने कहा कि वह अपने बयानों पर कायम हैं और उन्हें किसी बात का अफसोस नहीं है।
बता दें कि आज विंध्य के कद्दावर नेता रहे पंडित श्रीनिवास तिवारी की जयंती के उपलक्ष्यय में रीवा जिले के त्योंथर में स्वच्छता सेवा कार्यक्रम का आयोजन होना है। इस कार्यक्रम की शुरुआत मंगलवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को करनी है, जिसके लिए वो आज यहां त्योंथर पहुंचेंगे। इस कार्यक्रम से एक दिन पूर्व सांसद जनार्दन मिश्रा ने बयानबाजी करके माहौल गर्म कर दिया है। सांसद जनार्दन मिश्रा इस कार्यक्रम में शामिल भी नहीं होंगे।
मिश्रा ने त्योंथर में आयोजित स्वच्छता सेवा कार्यक्रम में भाग लेने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि मऊगंज में प्रभारी मंत्री के आगमन के चलते वह वहां नहीं जा सकते। उन्होंने ये भी कहा कि वैसे भी कार्यक्रम के बारे में उन्हें बीजेपी विधायक सिद्धार्थ तिवारी द्वारा कोई जानकारी नहीं दी गई है।
ये है मामला
सांसद जनार्दन मिश्रा ने हाल ही में विंध्य के दिग्गज नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष श्रीनिवास तिवारी पर तीखी टिप्पणी की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि तिवारी के कार्यकाल में सड़कों के गड्ढे तक नहीं भरे गए और भ्रष्टाचार व गुंडागर्दी का दौर था। इस बयान के बाद कांग्रेस समर्थकों ने सड़कों पर उतर कर विरोध प्रदर्शन किया और उनका पुतला जलाया। एनएसयूआई और कांग्रेस नेताओं ने मिश्रा के बयान की निंदा की। वहीं, बीजेपी विधायक और श्रीनिवास तिवारी के पोते सिद्धार्थ तिवारी ने भी सांसद के बयानों पर नाराजगी जताई थी।
मिश्रा ने यह भी कहा कि तिवारी के समर्थक उनके कार्यकाल के दौरान नारे लगाते थे, जिनमें “दादा न आय दऊ आय” और “वोट न देहा तऊ आए” शामिल थे। मिश्रा ने अपने बयान को सही ठहराते हुए कहा कि तिवारी के दौर में सड़कों के गड्ढों तक में मिट्टी नहीं डाली गई थी और उन्होंने तिवारी के बारे में कही बातों पर फिर से जोर दिया। उन्होंने कहा कि जैसे जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी दिवंगत हो गए हैं, लेकिन उनके द्वारा किए गए कार्यों की चर्चा आज भी होती है, उसी प्रकार श्रीनिवास तिवारी के कार्यकाल की भी चर्चा होनी चाहिए।