former mumbai police blame to anil deshmukh:digi desk/BHN/ महाराष्ट्र में जहां कोरोना बेकाबू हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ राजनीतिक माहौल भी काफी गरमाया हुआ है। मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने राज्य के गृहमंत्री अनिल देशमुख पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने देशमुख पर हर महीने 100 करोड़ रुपए मांगने का आरोप लगाया है। इसके लिए परमबीर ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को कथित रूप से चिट्टी लिखी है। परमबीर सिंह ने इस कथित तौर पर लिखे पत्र में लिखा कि गृहमंत्री अनिल देशमुख ने सचिव वाजे को 100 करोड़ रुपए हर माह उगाही करने को कहा था। कथित पत्र में सिंह ने कहा कि मुंबई पुलिस के क्राइम ब्रांच के इंटेलिजेंस यूनिट की जिम्मेदारी संभालने वाले सचिन वाजे को देशमुख ने अपने आवास पर कई बार बुलाया था। वाजे को गृहमंत्री ने पैसा इकट्ठा करने के निर्देश दिए थे। परमबीर ने अपने आरोप की पुष्टि के लिए एक अधिकारी से हुई अपनी वाट्सएप चैट के अंश भी कथित पत्र में लिखे हैं। उन्होंने कहा कि इन आरोपों की पुष्टि सचिन वझे की काल डिटेल रिकार्ड से भी की जा सकती है।
परमबीर का यह भी आरोप है कि गृह मंत्री बार-बार उन्हें नजरअंदाज कर उनके अधीनस्थ अधिकारियों के अपने पास बुलाते रहे, और उन्हें इस प्रकार पैसा वसूली के आदेश देते रहे। परमबीर के अनुसार उनके अधीनस्थ गृह मंत्री से मिले फरमानों की जानकारी उन्हें लगातार देते रहे हैं। मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से हटाए गए परमबीर सिंह की मुख्यमंत्री को लिखे गए एक पत्र के बाद अंटीलिया प्रकरण आज एक अजीबोगरीब मोड़ पर पहुंच गया। परमबीर ने कथित पत्र में आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पुलिस अधिकारियों से हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली करवाना चाहते थे।
परमबीर का यह आरोप महाराष्ट्र की उद्धव सरकार के लिए घातक साबित हो सकता है। परमबीर सिंह का 17 मार्च को मुंबई पुलिस आयुक्त के पद से तबादला कर उन्हें महानिदेशक होमगार्ड्स बना दिया गया था। उन्होंने 18 मार्च को यह पद भी संभाल लिया था। दो दिन पहले राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने एक टीवी चैनल से चर्चा कहा कि परमबीर का तबादला सामान्य प्रशासनिक तबादला नहीं था। उनकी तरफ से वझे के मामले में हुई कुछ गंभीर चूक के फलस्वरूप उन्हें पद से हटाया गया है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री ने स्वयं उन्हें और एपीआई सचिन वझे सहित मुंबई के अन्य पुलिस अधिकारियों को मुंबई के बार, रेस्टोरेंट आदि से हर महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली करने का निर्देश दिया था।