मुरैना। इसे पुलिस की अमानवीयता कहेंगे या फिर डॉक्टरों की असंवेदनशीलता। एक व्यक्ति अपने शरीर में 9 दिन से बंदूक की गोली के 6 छर्रे लेकर ऑपरेशन की बांट जोह रहा है। शरीर से बह रहे खून की हालत में दो दिन हवालात में रहा, लेकिन पुलिस ने मेडिकल तक नहीं कराया। 7 दिन से जिला अस्पताल में है, लेकिन वहां भी डॉक्टरों ने छर्रे निकाले बिना ही डिस्चार्ज कर घर जाने को कह दिया है।
पोरसा तहसील के कुकथरी गांव में 13 सितंबर को दो पक्षों में विवाद हुआ, जिसमें दोनों तरफ से गोलियां चल गईं। इसी फायरिंग में 12 बोर की बंदूक की गोली के छर्रे 42 वर्षीय बबलू पुत्र कप्तान सिंह तोमर की पीठ व पैरों में धंस गए। बबलू के अनुसार पोरसा पुलिस ने उसे 18 घंटे तक हवालात में रखा। इस दौरान पीठ व पांव के घांवों से खून निकलता रहा। पुलिस ने मेडिकल करवाने की बजाय 151 का प्रकरण (शांति भंग का मामला) बनाकर 14 सितंबर को तहसील में पेश कर दिया, जहां पोरसा तहसीलदार ने जमानत दे दी। जमानत के बाद बबलू को स्वजन इलाज के लिए मुरैना जिला अस्पताल लाए, जहां पीठ व पैरों का एक्स-रे करवाने के बाद पता चला कि पीठ में 4 छर्रे और दोनों पैरों में एक-एक छर्रा धसा है। 15 सितंबर से बबलू जिला अस्पताल में है। बकौल बबलू भर्ती करने वाले डॉक्टर से लेकर नर्सिंग स्टाफ तक कह रहे हैं कि यह छर्रे ऑपरेशन से निकलेंगे, लेकिन 7 दिन में किसी भी डॉक्टर ने ऑपरेशन नहीं किया।
मरीज को परेशानी है तो खतरनाक है
ग्वालियर के सर्जन डॉ. जितेंद्र यादव का कहना है कि यदि छर्रे हाथ या पैर में फंसे रह जाएं तो उनसे किसी तरह का इंफेक्शन नहीं होता, लेकिन यही छर्रे लिवर, किडनी या अन्य अंग के आसपास फंस जाएं और मरीज को किसी भी तरह की परेशानी आती है तो यह स्थिति खतरनाक हो सकती है। डॉ. यादव ने कहा कि खाना खाने के बाद दर्द होता है तो ऐसी हालत में छर्रा तत्काल ऑपरेशन कर निकाला जाना चाहिए।
बबलू उस समय अचंभित रह गया जब सोमवार की सुबह डॉक्टरों ने उसे स्वस्थ बताकर अस्पताल से छुट्टी दे दी। सर्जिकल वार्ड में भर्ती बबलू को डिस्चार्ज टिकट थमा दिया और नर्सें अब बबलू को घर जाने का कह रही हैं। बबलू का कहना है कि पीठ में धसे छर्रों के कारण वह खाना तक नहीं खा पा रहा। जैसे ही वह कुछ खाता है तो अहसनीय पीड़ा होती है। ऐसे में छुट्टी होने के बाद भी सोमवार की देर शाम तक बबलू अस्पताल के सर्जिकल वार्ड में ही भर्ती है। वह छर्रे नहीं निकलने तक घर जाने को तैयार नहीं।