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पटरियों पर साजिश, ट्रेनों पर पथराव… आखिर अब रेलवे को किसकी नजर लग रही है?

नई दिल्ली
 यूपी के कानपुर में शनिवार सुबह बड़ा रेल हादसा हो गया। वाराणसी से अहमदाबाद जा रही साबरमती एक्सप्रेस के 22 डिब्बे पटरी से उतर गए। गनीमत रही कि हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ। मौके पर रेलवे अधिकारी पहुंचे और यात्रियों के अहमदाबाद तक की यात्रा का इंतजाम कराया। यूपी पुलिस और आईबी मामले की जांच कर रही है। शुरुआती जांच में पता चला है कि रेलवे ट्रैक में कोई फ्रैक्चर नहीं है। ऐसे में ये बड़ा सवाल है कि आखिर ट्रेन की इतनी बोगियां डिरेल कैसे हुईं? ये इस तरह का पहला मामला नहीं है। पिछले कुछ महीनों में देशभर में रेल हादसे आश्चर्यजनक रूप से बढ़ गए हैं। देश की ट्रेनें कहीं हादसों का शिकार हो रही हैं तो कहीं पथराव की। क्या भारतीय रेलवे के खिलाफ कोई साजिश रची जा रही है या ये हादसे महज इत्तेफाक हैं? आइए बताते हैं।

साबरमती एक्सप्रेस हादसे में साजिश के संकेत!

साबरमती एक्सप्रेस हादसे पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव का बयान सामने आया। उन्होंने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, "साबरमती एक्सप्रेस (वाराणसी से अहमदाबाद) का इंजन आज सुबह 02:35 बजे कानपुर के पास ट्रैक पर रखी किसी वस्तु से टकराया और पटरी से उतर गया। तेज चोट के निशान देखे गए हैं। साक्ष्य सुरक्षित रखे गए हैं। आईबी और यूपी पुलिस भी इस पर काम कर रही है। इस हादसे में यात्रियों या कर्मचारियों को कोई चोट नहीं आई है।" इसके अलावा ट्रेन के लोको पायलट ने बताया कि प्रथम दृष्टया बोल्डर इंजन से टकराया जिसके कारण इंजन का कैटल गार्ड बुरी तरह से क्षतिग्रस्त यानी मुड़ गया। इसके बाद कोच पटरी से उतर गए।" सवाल यही है कि आखिर ट्रैक पर कोई वस्तु कहां से आई।

जब रेलवे ट्रैक पर बिछा दिए थे लोहे के रॉड

इससे पहले भी कुछ ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। पिछले साल गांधी जयंती के दिन राजस्थान में एक बड़ा हादसा होते होते टल गया। कुछ लोगों ने उदयपुर से जयपुर की तरफ जाने वाली वंदे भारत एक्सप्रेस के ट्रैक पर लोहे की रॉड और पत्थर बिछा दिए थे। यह तो गनीमत रही कि ट्रेन के लोको पायलट को इसकी भनक लग गई। जैसे ही पायलट को इसकी भनक लगी उसने तुरंत गाड़ी को रोक दिया अन्यथा बड़ा हादसा घटित हो सकता था।

मुरादाबाद में दो हिस्सों में मिली पटरी

इससे पहले साल 2017 में मुरादाबाद के पास दलपतपुर स्टेशन के पास बड़ा रेल हादसा होने से बचा। यहां रेल पटरी दो हिस्सों में टूटी मिली। सुबह जब ट्रैकमैन जांच करने पहुंचा तो उसने कंट्रोल रूम को इसकी सूचना की। आनन-फानन में यहां से गुजरने वाली ट्रेनों को रोक दिया गया। अगर यहां से कोई ट्रेन गुजरती तो बड़ा हादसा हो सकता था।

ट्रेनों पर पथराव की घटनाएं भी बढ़ीं

इसके अलावा ट्रेनों पर पत्थरबाजी की घटनाएं भी सामने आती रहती हैं। पश्चिम बंगाल में पिछले साल वंदे भारत एक्सप्रेस पर कुछ अज्ञात लोगों ने पथराव किया। पत्‍थरबाजी की इस घटना में वंदे भारत ट्रेन की खिड़की के कांच टूट गए। ट्रेनों पर पत्थरबाजी की ये पहली घटना नहीं है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल जनवरी से अक्टूबर तक ट्रेनों में पत्थर फेंकने की करीब 300 घटनाएं सामने आईं। जिन ट्रेनों में सबसे ज्यादा पत्थर मारे गए उनमें वंदे भारत और शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन शामिल है।

कौन करता है ट्रेनों पर पथराव?

आरपीएफ की एक स्टडी के मुताबिक, ट्रेनों में पथराव करने वाले अधिकतर 12-13 साल से 25 साल की उम्र वाले हैं। इनमें भी नाबालिग बच्चे शीशों वाली ट्रेन की चमक को देखकर इनके शीशों पर पत्थर मारते हैं। नाबालिग होने की वजह से इन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। लेकिन काउंसलिंग सेशन में इनका कहना था कि वंदे भारत और शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेनों की हाई स्पीड और शीशों वाली विंडो को देखकर उन्हें इन ट्रेनों में पत्थर मारने का दिल करता है। इसके अलावा आरपीएफ ने दिल्ली के पांच इलाकों को भी चिन्हित किया जहां सबसे ज्यादा ट्रेनों पर पथराव होता है। साल 2022 में ट्रेनों पर पथराव की सबसे ज्यादा शिकायतें इन्हीं पांच इलाकों से सामने आई। इनमें सदर बाजार, आदर्श नगर, पालम-दिल्ली छावनी, दया बस्ती-पटेल नगर, साहिबाबाद-आनंद विहार और ओखला-तुगलकाबाद रेलवे सेक्शन शामिल है।

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