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बिहार का बैजनाथ धाम: जानें क्यों है यह स्थान इतना प्रसिद्ध

सावन में यहां बैजनाथ धाम में जलाभिषेक करने के लिए लगती है भीड़। बिहार के अलावा यूपी और झारखंड से भी लोग आते है बैजनाथ धाम। झारखंड में बाबा बैद्यनाथ का नाम तो आपने सुना ही होगा लेकिन क्या आप जानते हैं की बिहार के कैमूर में भी बैजनाथ धाम है जो अपने आप में इतिहास को समेटे हुए है और पूरा गांव ही मूर्तियों के ऊपर बसा हुआ है। कैमूर जिले के रामगढ़ प्रखंड स्थित बैजनाथ मंदिर खजुराहो मंदिर के तर्ज पर बनाया गया है। यहां मंदिर में रखी मूर्तियां मध्य प्रदेश के खजुराहो मंदिर में रखी मूर्तियां जैसी दिखाई देती हैं और इस मंदिर के आठ कोण पर मंदिर गर्भ गृह से आठ गुफा का रास्ता गया हुआ है।

स्थानीय लोगों की माने तो इस मंदिर में स्थापित बैजनाथ धाम के शिवलिंग की आभा अद्भुत है काले पत्थर के बने शिवलिंग के प्रति श्रद्धालु सहज ही आकर्षित हो जाते हैं। यहां के लोगों का कहना है कि महादेव के त्रिशूल पर बसा है बैजनाथ धाम। पूरे सावन माह में यहां बड़े पैमाने पर मेला लगता है खासकर सोमवार के दिन जिले के यूपी के गाजीपुर बलिया व अन्य जिलों के हजारों की संख्या में कांवरिए यूपी के जमानिया स्थित गंगा नदी से जल भरकर बैजनाथ मंदिर में जलाभिषेक करते हैं। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में चंदेल वंश द्वारा बनवाए गए खजुराहो के मंदिर से बिहार की कैमूर के बैजनाथ धाम मंदिर की कई समानता है। मंदिर के भीतर किन्नर व गंधर्व की आकर्षक मूर्तियां बनी हुई है। अष्टकोणीय इस मंदिर के चारों कोनों पर भी ब्रह्मा विष्णु रूद्र व ध्रुव कुंड स्थापित हैं। बच्चों को स्तनपान कराती माता की प्रतिमा का चित्रण काफी संजीव लगता है। मंदिर के गर्भवती में मैथुनरत‍ अप्सराओं की कलाकृतियां बनी है।

जानकार बताते हैं की मंदिर के पिछले हिस्से में तालाब है जहां मंदिर के गर्भ गृह से सीढ़ियां गई हुई है जिसमें खोजने का प्रयास किया गया लेकिन आधे रास्ते जाने के बाद अंधकार था जिसके बाद उन रास्तों को बंद कर दिया गया। मंदिर के दक्षिण दिशा में गुफा है जिसे सुरक्षा के दृष्टिकोण से बंद किया गया है कई वर्ष पहले खोला गया था लेकिन कई तरह के जीव जंतु और धुंआ निकलने लगा जिसके बाद पत्थर से गुफा को बंद कर दिया गया।

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