- प्रदेश में लगातार बढ़ती जा रही ठग ने घटनाएं
- शातिर ठग अब मंत्री-विधायकों को भी नहीं छोड़ रहे हैं
- ठग ने स्टेट बैंक आफ इंडिया का मैनेजर बनकर फोन किया
Madhya pradesh gwalior ministermla on target of thugs cyber wing facing shortage of police force: digi desk/BHN/ग्वालियर/ शातिर ठग अब मंत्री-विधायकों को भी नहीं छोड़ रहे हैं। हाल ही में मुरैना जिले की सबलगढ़ सीट से भाजपा विधायक सरला रावत को फोन कर ठगों ने उनके भतीजा-भतीजी से ठगी कर ली, वहीं अब मंत्री रामनिवास रावत के साथ भी ठगी का प्रयास का मामला सामने आया है।
सबलगढ़ विधायक सरला रावत के मोबाइल पर ठग ने स्टेट बैंक आफ इंडिया का मैनेजर बनकर फोन किया। बैंक में दो रिक्तियां होने का झांसा दिया। उनके भतीजे और भतीजी को ही ठग लिया। मंत्री रामनिवास रावत के पास ठग ने भाजपा के संगठन महामंत्री के नाम पर ही पांच लाख रुपये ठगने के लिए फोन किया।
रावत को बातों पर शंका हुई और वह न केवल झांसे में आने बचे बल्कि समय रहते पुलिस से संपर्क करने से आरोपित भी पकड़ लिया गया। प्रदेश के कई पुलिस अधिकारियों से लेकर नेता, मंत्रियों के नाम पर फेक फेसबुक, इंस्टाग्राम आईडी बनाकर ठगी की कई घटनाएं हो चुकी हैं, जबकि इसकी तुलना में आरोपितों के पकड़े जाने और रकम वापस मिलने की संख्या कम ही है।
आखिर कहां असफल है पुलिस
राज्य साइबर सेल ग्वालियर में है, लेकिन यहां बहुत ही कम एफआइआर होती हैं। यहां से फरियादी को साइबर क्राइम विंग ही भेजा जाता है। अधिकांश मामले साइबर क्राइम विंग ही पहुंचते हैं।
पड़ताल के लिए जिन टूल्स, सॉफ्टवेयर की जरूरत है- वह पर्याप्त नहीं हैं
जबकि अपराधी नए-नए तरीके अपनाकर साइबर फ्रॉड करते हैं। बल की कमी के साथ ही ट्रेंड स्टाफ भी सीमित है। साइबर क्राइम विंग में जो स्टाफ है, उसमें सभी तकनीकि रूप से दक्ष नहीं हैं। प्रदेश में लगभग हर जिले की ऐसी ही स्थिति है जबकि घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। ऐसे दूर हो सकती है बल की कमी जानकार कहते हैं कि अगर साइबर क्राइम कैडर के लिए अलग से ही पुलिसकर्मियों की भर्ती की जाए तो इन पर साइबर क्राइम की पड़ताल की ही जिम्मेदारी होगी।
अगर अलग से भर्ती नहीं की जा सकती तो रेडियो एसएएफ से बल को यहां प्रतिनियुक्ति पर लाया जा सकता है। अमूमन इन्हें चुनाव, बड़े धार्मिक आयोजन, बड़े राजनीतिक कार्यक्रम, मेलों में ही ड्यूटी करनी होती है। यहां एसएएफ के जवानों को लगाया जा सकता है।
इन्हें इसके लिए ट्रेंड किया जा सकता है। आंकड़ों पर नजर 5 शिकायतें औसतन हर दिन साइबर क्राइम विंग में ठगी और अन्य साइबर अपराधों की पहुंचती हैं। 200 एफआईआर औसतन साइबर क्राइम की दर्ज होती हैं हर साल।