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नही रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता प्रभात झा, पढ़े फर्श से अर्श तक पहुंचने की उनकी संघर्षभरी कहानी

ग्वालियर
 मध्यप्रदेश भाजपा (BJP) में शीर्षस्थ नेता , पत्रकार प्रभात झा (Prabhat Jha )नही रहे । लम्बी बीमारी के बाद दिल्ली के मेदांता अस्पताल ( medanta Hospital ) में उन्होंने अंतिम सांस ली जहाँ उनका इलाज झा चल रहा था । वे काफी समय से वेंटिलेटर पर  पर थे। बिहार में जन्मे प्रभात झा का पूरा जीवन ग्वालियर Gwalior में बीता । वे कठिन संघर्ष के रास्ते पर चलकर पत्रकारिता के रास्ते पर चलकर सियासत में फर्श से अर्श पर पहुंचे। झा राज्यसभा सदस्य और भाजपा के मध्यप्रदेश के अध्यक्ष सहित अनेक पदों पर  रहे। उनके निधन से पूरे प्रदेश में शोक की लहर है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव (Dr Mohan Yadav), भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा सहित सभी बड़े नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। झा का अंतिम संस्कार बिहार में उनके गृहग्राम में होगा ।

बिहार में जन्मे थे प्रभात

प्रभात झा का जन्म 4 जून 1957 को बिहार के कोरियाही हरिहरपुर  गाँव मे हुआ । उनके पिता और माता  का नाम पनेश्वर और अमरावती झा था।   लेकिन वे बचपन मे ही अकेले ही बिहार से ग्वलियर आ गए। शुरुआती दौर में ही भाजपा नेता अरविंद रुद्र के संपर्क में आ गए और संघ से जुड़ गए। फिर वे भाजपा के वरिष्ठ नेता भाऊ साहब पोटनीस के नजदीक हो गए। उन्होंने ग्वालियर के पीजीबी कॉलेज से बीएससी, माधव  कॉलेज से एमए राजनीति शास्त्र और एमएलबी कॉलेज से विधि की पढ़ाई की । 1986 में उनकी शादी श्रीमती रंजना झा से हो गई।

बचपन में आये तो फिर ग्वालियर के ही हो गए

झा सादगी पसंद व्यक्ति थे और संघ के संस्कारों से ओतप्रोत थे। जीवन मे लम्बे समय तक उनके पास अपना घर तक नही था और पैदल या लिफ्ट लेकर ही यात्रा करते थे लेकिन वे भाजपा कार्यकर्ताओं से लेकर सभी से।सतत संपर्क रखते थे और लोगो की मदद करते थे इसलिए उनकी लोकप्रियता काफी थी । शादी के बाद उनके दो बेटे हुए तुष्मल झा और अयत्न हुए। इसके बाद परिवार के जीवन यापन के लिए उन्होंने पत्रकारिता को चुना और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा  ग्वालियर से संचालित दैनिक स्वदेश में काम करना शुरू किया। पत्रकार के रूप में उन्होंने न केवल ग्वालियर बल्कि समूचे मध्यप्रदेश में अपना स्थान बनाया ।

भाजपा के मीडिया प्रभारी से की राजनीति में एंट्री

बाद में नब्बे के दशक में वे भाजपा के मध्यप्रदेश के मीडिया प्रभारी बन गए । फिर उन्हें दिल्ली भाजपा के मुख्यालय भेज दिया गया तो वे पार्टी की पत्र पत्रिकाओं का संपादन का काम देखने लगे । वे पार्टी के राष्ट्रीय मंत्री , कमल संदेश के संपादक और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद पर भी रहे। वे मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद और फिर प्रदेश अध्यक्ष (MP BJP President )भी बनाये गए । उन्होंने इस दौरान पूरे प्रदेश में जबरदस्त यात्राएं करके पार्टी के संगठन को और मजबूत बनाया ।

62 साल की उम्र में कर दी थी सन्यास की घोषणा

प्रदेश अध्यक्ष रहते एक बार जब उनसे पूछा गया कि क्या वे मुख्यमंत्री बनने की लालसा रखते है तो  उन्होंने घोषणा की थी कि मैं 62 की उम्र में राजनीति से संन्यास ले लूंगा। प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने की मेरी कोई इच्छा नहीं है। उन्होंने कहा कि वे एक एकड़ जमीन भी खरीदेंगे और 5वीं कक्षा तक के बच्चों के लिए स्कूल चलाएंगे। साथ ही राजनीति से संन्यास के बाद 5 गाय और 2 भैंस भी पालेंगे।

सियासत में रहकर लेखन से जुड़े रहे

वे  लंबे समय तक पत्रकारिता करने के बाद  राजनीति में आकर बीजेपी के सदस्‍य बने थे लेकिन उन्होंने लेखन कार्य नही छोड़ा। सियासी व्यस्तताओं के  दौरान भी वे लगातार अनेक पत्र-पत्रिकाओं के लिए आलेख व स्‍तंभ लिखते रहे। पार्टी ने उन्हेंअप्रैल 2008 में मध्‍यप्रदेश के राज्‍यसभा चुनाव में वे बीजेपी के टिकट दिया और वे जीतकर संसद में पहुंचे।  वे संसद की  रुरल डेवलपमेंट कमेटी के सदस्‍य रहे।  जनवरी 2010 में वे पॉपुलेशन एवं पब्लिक हेल्‍थ के संसदीय फोरम सदस्‍य बनाए गए।

लौटा दी थी माल्या की गिफ्ट

प्रभात झा अनेक बजहॉ से चर्चाओं में भी आते रहे। अक्टूबर 2009 में लिकर किंग विजय माल्या ने जब उनके घर  बतौर तोहफा शराब की बोतल भेजी थी। इस पर झा ने बोतल लौटाते हुए पत्र लिखा  कि ‘मेरा आपसे न तो कोई परिचय है और न ही मेरे-आपके अंतरंग संबंध है। मैं शराब का शौकीन भी नहीं हूं। आपने शराब की जगह कोई किताब भेजी होती, तो अच्छा होता।’उन्होंने यह पत्र सार्वजनिक भी किया और इसकी देश  विदेश की मीडिया में जमकर चर्चा हुई थी।

अगस्‍त 2012 में वे रेलवे कमेटी के सदस्‍य बने और अप्रैल 2013 से वे शिल्पकारों और कारीगरों के संसदीय फोरम के सदस्‍य हैं। आसाराम को रेप तथा अन्‍य आरोपों में निर्दोष बताए जाने के बाद से प्रभात झा की खूब चर्चा बल्कि आलोचना हुई थी लेकिन वे अपने बयान पर कायम रहे।

प्रभात झा ने लिखी ये किताबें

प्रभात झा ने व्यस्तताओं के बावजूद पुस्तकें Books भी लिखीं ।  उनकी कुछ पुस्तकें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। जिनमें, 2005 में ‘शिल्पी’ (तीन खंडों में), 2008 में ‘जन गण मन’ (तीन खंडों में), 2008 में ही ‘अजातशत्रु – पं. दीनदयालजी’, ‘संकल्प’, ‘अंत्योदय’, ‘समर्थ भारत’, ’21वीं सदी – भारत की सदी’, ‘चुनौतियां’ तथा ‘विकल्प’ हैं। अगस्त 2009 में लोकसभा अध्यक्ष के नेतृत्व में संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में ऑस्ट्रिया Austria की यात्रा की थी।

प्रभात झा के निधन से मध्यप्रदेश खासकर ग्वलियर में शोक की लहर है । वे भले ही भाजपा के नेता थे लेकिन पत्रकार होने के कारण सभी दलों के नेता और कार्यकर्ताओं से उनके अच्छे संबंध थे और वे सदैव सबकी मदद करते थे इसलिए उनका प्रशंसक वर्ग राजनीतिक सीमाओं से ऊपर था।

 

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