


सतना,भास्कर हिंदी न्यूज़/ सावन महीने के चौथे दिन गुरूवार को मेघ मेहरबान हुए तो स्मार्ट सिटी नेक्टर झील में तब्दील हो गई। शहर की कई सड़कों पर घुटने के नीचे तक भरे पानी का नजारा ऐसा था मानों सड़कों पर समंदर की लहरें हिलोरे मार रहीं हों। चारो ओर भरे पानी की बीच जब लोग निकल रहे थे तो शहर की कुंडली में बने स्मार्ट सिटी के योग को लेकर जमकर कोस रहे थे।
स्मार्ट सिटी योजना के करोड़ों के बजट से शहर की तस्वीर और तकदीर बदलने का जो ख्वाब दिखाया गया, उसे साकार करने के लिए बजट खर्च किया जाना अब भी बदस्तूर जारी है। बरसात में शहर की ऐसी स्थित हो जाने से स्मार्ट सिटी में रहने का अहसास भी पानी पानी हो जाता है। आधे घंटे की इस बारिश से शहर की शान समझे जाने वाले पॉश इलाके तक जलमग्न होने से नहीं बच सके।
कड़ी धूप और तेज गर्मी का सामना कर रहे सतना जिले में मंगलवार से मौसम का मिजाज बदला और बादलों ने राहत दी। लेकिन गुरूवार को जिले के मझगवां, चित्रकूट, नागौद, रैगांव आदि इलाकों में दोपहर में अच्छी बारिश हुई जिससे जिलेभर में मौसम सुहाना हो गया। शाम करीब चार बजे के बाद बादलों ने सतना शहर का रुख किया और आधा घंटे के करीब जमकर बरसे। मौसम विभाग के अनुसार इस दौरान करीब 87.6 मिमी बारिश दर्ज की गई। अब तक सतना शहर में करीब 396.6 मिलीमीटर बारिश रिकार्ड की जा चुकी है।
सफाई व्यवस्था की खुली पोल, उफनाई नालियां
आधा घंटे की बारिश ने स्मार्ट सिटी की सफाई व्यवस्था और बारिश के पूर्व जल निकासी के इंतजामों की भी पोल खोल कर रख दी। शहर के कई मोहल्लों में नालियां उफना गई और गंदा पानी नालियों से निकल कर सड़क पर आ गया। कई निचले इलाके भी जलमग्न हो गए तो अस्पताल गेट, बस स्टैंड और रेलवे अंडर ब्रिज पर भी पानी जमा हो गया। शहर के लालता चौक, गांधी चौक, जवाहर चौक, प्रणामी मंदिर रोड,बजरहा टोला,पुराना पावर हाउस रोड, राजेन्द्र नगर, जवाहर नगर, धवारी के अलावा सर्किट हाउस तिराहे सहित कई जगहों पर नालियों का पानी सड़क में बहने लगा। जिसके चलते राहगीरों, दुकानदारों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
सीवर लाइन ने किया बेड़ा गर्क, फंसे वाहन
शहर में सीवर लाइन के काम के कारण जगह-जगह की गई खोदाई और रेस्टोरेशन वर्क न किया जाना भी लोगों की परेशानी बढ़ा रहा है। बाजार क्षेत्र के सुभाष चौक, जयस्तंभ चौक, भैसाखाना, ईदगाह तिराहे से टिकुरिटा टोला तक, सिटी कोतवाली से गौशाला तिराहे तक लोगों को जहां आवागमन में परेशानी का सामना करना पड़ा वहीं सीवर के गड्ढों में कई वाहन फंस गए। शहर की कई कॉलोनियों में लोगों को आनेजाने में बहुत तकलीफ का सामना करना पड़ा। कई जगहों पर तो मुरुम बिछाने के बाद भी छोटे-छोटे वाहन मिट्टी में फंसते रहे।
कलेक्ट्रेट व अस्पताल के वार्ड में भरा पानी
शहर के लिए इससे अधिक शर्मनाक बात क्या हो सकती है कि जिला मुख्यालय के बड़े दफ्तर में ही जरा सी बारिश से पानी भर गया। कलेक्ट्रेट के दूसरे प्रवेश द्वार से लेकर गैलरी व कुछ कार्यालयों में पानी भरने से कर्मचारियों को परेशान होना पड़ा। यही हाल जिला अस्पताल के वार्ड क्रमांक-4 का रहा जहां पर पानी भरने से भर्ती मरीजों व परिजनों को परेशानी का सामना करना पड़ा।
नाली- नाला की सफाई हवा-हवाई
बरसात के सीजन में शहर को जलभराव से बचाने के लिए नगर निगम हर साल सीजन शुरू होने से पहले नालों की सफाई कराने का दिखावा करता है। यह दिखावा इस बार भी किया गया। नली व नाला सफाई को लेकर लोगों का कहना है कि नगर निगम कभी भी नालों की सफाई ईमानदारी से नहीं करवाता है। हमेशा ही इसके लिए बरसात होने का इंतजार किया जाता है। जब बारिश अधिक होने से नालों में पानी का प्रेशर बढ़ता है तो इनमें जमा कूड़ा खुद बह जाता है। इससे नाले साफ दिखने लगते हैं और बजट भी सफाचट हो जाता है।
नालियों का गंदा पानी भी उफना कर स?क पर भर गया। सिटी कोतवाली के पास बने रेलवे अंडर ब्रिज पर तो हाल ऐसे हो गए कि तमाम वाहन बंद पड़ गए और लोग उन्हें धकेलते नजर आए। कई जगह सड़कें स्वीमिंग पूल बनी तो बच्चे उस पानी मे मस्ती करते भी दिखाई पड़े।
अब तक कहां कितनी बारिश
जले में इस वर्ष 1 जून से 25 जुलाई तक 227 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज की गई है। अधीक्षक भू-अभिलेख सतना से प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक जिले की सतना (रघुराजनगर) तहसील में 396.6 मि.मी., सोहावल (रघुराजनगर) में 143 मि.मी., बरौंधा (मझगवां) में 183 मि.मी, बिरसिंहपुर में 223 मि.मी., रामपुर बाघेलान में 100 मि.मी., नागौद में 249.9 मि.मी., जसो (नागौद) में 133.5 मि.मी. एवं उचेहरा में 387 मि.मी. वर्षा दर्ज की गई है। जिले की औसत सामान्य वर्षा 891.7 मि.मी. है। गत वर्ष इस अवधि में 213.6 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज की गई थी।
जन निकासी के लिए उतरी ननि की जेसीबी
पन्ना नाका में नाली और सड़ क का पानी दुकानों के अंदर जा घुसा और लोगों को पानी निकालने तथा अपनी दुकानों का सामान बचाने की मशक्कत करनी पड़ी। बारिश के पानी ने लोगों के घर अंदर भी घुसपैठ की और गृहस्थी को भी अस्त व्यस्त कर दिया। राजेन्द्र नगर और पन्ना नाका में जलभराव की खबर मिलने पर नगर निगम का अमला जेसीबी मशीन लेकर जल निकासी का इंतजाम करने पहुंचा।
बस स्टैंड परिसर : बारिश से यहां इस कदर जलभराव हो गया कि लोगों का निकलना तक दुश्वार हो गया। वाहनों के गुजरने से सड़क पर समंदर सी लहरें उठतीं दिखाई दीं। जलभराव से सबसे ज्यादा परेशानी यहां आने वाले यात्रियों को हुई उन्हें घंटों बस स्टैंड में कैद रहना पड़ा। ऐसी स्थिति पर लोगों ने नगर निगम की व्यवस्था को जमकर कोसा भी।
बजरहा टोला: शहर के बजरहा टोला से निकलने वाले नाले की साफ-सफाई ठीक ढग़ से नहीं होने की वजह से जरा सी बारिश में सड़कें किसी तालाब जैसी तब्दील हो गईं। भाजपा के वरिष्ठ नेता रहे स्व. मांगेराम गुप्ता के घर के सामने तो बच्चे गंदे पानी में ड़बकी लगाते नजर आए।
अंडर ब्रिज : रेलवे अंडर ब्रिज के नीचे से आम व खास हर तरह के लोग आवागमन करते हैं। बड़े-बड़े अधिकारी भी इसी सड़क से कलेक्ट्रेट के लिए आते जाते हैं। लेकिन बारिश के दौरान यहां पर भरने वाले पानी की निकासी के लिए दशकों के बाद भी कोई प्रयास नहीं किया गया। आलम यह है कि जरा सी बारिश में यह मार्ग अवरुद्ध हो जाता है।
लालता चौक : शहर के किराना मंडी के तौर पर पहचाना जाने वाला यह चौराहा हर बारिश में जलमग् न हो जाता है। नगर निगम द्वारा लाखों रुपए खर्च कर यहां पर नई नाली का निर्माण कराया गया और दावा किया गया कि अब सड़कों में पानी नहीं भरेगा। लेकिन जरा सी बारिश में निगम के दावों की पोल खुल जाती है। यह चौराहा पानी-पानी हो जाता है जिससे लोगों को परेशान होना पड़ता है।
अस्पताल परिसर : जिला अस्पताल परिसर में भी पानी भरने की समस्या पुरानी हो गई है। यहां पर जरा सी बारिश में पानी भर जाता है। यह पानी सीधे पुरानी ओपीडी के रास्ते से अस्पताल के अंदर पहुंच जाता है। अस्पताल प्रबंधन द्वारा फौरी तौर पर हर वर्श पानी निकासी के लिए व्यवस्था बनाने की बात की जाती है लेकिन होता कुछ नहीं है।
सर्किट हाउस तिराहा: सर्किट हाउस तिराहे पर भी पिछले कई साल से हर बार बारिश के दौरान पानी भर जाता है। व्यस्ततम सड़कों में शामिल इस सड़क पर ओव्हर ब्रिज से निकलने वाले वाहनों का भी दबाव पड़ता है। जरा सी बारिश में ओवर ब्रिज के दोनों तरफ बनाई गई सर्विस लाइन पानी डूब जाती है जिसके बाद यहां पर घंटो जाम की स्थिति बन जाती है।