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MP: दमोह जिला अस्पताल में प्रसव के लिए आई 4 महिलाओं की मौत, सीजर में लापरवाही बरतने के आरोप

Madhya pradesh damoh four women who came to damoh district hospital for delivery died caesarean section was done for delivery allegations of negligence on the hospital management damoh news: digi desk/BHN/ दमोह/ दमोह जिला अस्पताल में प्रसव कराने पहुंची चार महिलाओं की मौत का बड़ा मामला सामने आया है। परिवार के लोग अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं, जबकि अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं की गई है। शिकायत के बाद कलेक्टर के निर्देश पर दो टीमों ने जांच भी की, जिसमें कोई भी गड़बड़ी या लापरवाही नहीं पाई गई। हालांकि, फिर से इस मामले की जांच हो रही है।

दमोह जिला अस्पताल में चार जुलाई को जिन गर्भवती महिलाओं के सीजर ऑपरेशन हुए, उन सभी को यूरिन इन्फेक्शन की शिकायत बताई गई। पहले हुई जांचों में इस तरह की कोई गड़बड़ी नहीं थी। दो महिलाओं ने प्रसव के कुछ घंटे बाद ही दम तोड़ दिया और दो महिलाओं को जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया, जहां उनकी मौत हो गई। इन सभी महिलाओं ने शिशुओं को जन्म दिया था, और अब सभी नवजात बच्चों के सिर से उनकी मां का साया उठ गया है। परिवार के लोग अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। मृत महिलाओं के परिजनों और समाज के अन्य लोगों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया। प्रशासनिक अधिकारियों ने एक सप्ताह में मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है।

इन महिलाओं की हुई मौत
1. लक्ष्मी चौरसिया: 
दमोह के बतियागढ़ ब्लाक के बकायन गांव निवासी सचिन चौरसिया की पत्नी लक्ष्मी चौरसिया जो मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर खंडपीठ में पदस्थ थीं। नॉर्मल डिलीवरी के लिए आईं थीं, लेकिन सीजर के बाद पेट में तेज दर्द होने से उनकी मौत हो गई। उनके पति ने अस्पताल के स्टाफ की लापरवाही का आरोप लगाया।

2. निशा परवीन: दमोह के हिंडोरिया गांव निवासी, जिनका पहला बच्चा था। सीजर तक सब ठीक था, लेकिन कुछ घंटों बाद यूरिन पास होना बंद हो गया। गंभीर हालत में जबलपुर मेडिकल कालेज ले जाकर डाइलेसिस कराया गया, लेकिन 18 दिन के संघर्ष के बाद उनकी मौत हो गई।

3. हुमा: हटा तहसील निवासी, जिनका भी पहला प्रसव था। सीजर के बाद यूरिन पास होना बंद हो गया और गंभीर हालत में जबलपुर मेडिकल कालेज रेफर किया गया। वहां बीस दिन इलाज के बाद उनकी मौत हो गई।

4. हर्षना कोरी: दमोह के पटेरा ब्लाक के नया गांव निवासी, जिनका भी पहला प्रसव था। चंद घंटों में ही उनकी तबियत बिगड़ गई और दमोह के आईसीयू में एडमिट करने के बाद उनकी मौत हो गई।

प्रशासन ने क्या कहा
कलेक्टर सुधीर कोचर ने बताया कि मामला काफी गंभीर है। उन्होंने अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है और मामले की जांच की जा रही है। यदि कोई भी व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। कलेक्टर ने यह भी माना कि जिन महिलाओं की मौत हुई है उनकी स्वास्थ्य संबंधी रिपोर्ट सामान्य थी, इसलिए मामला और भी गंभीर हो जाता है। 

सिविल सर्जन डॉक्टर राजेश नामदेव का कहना है कि चार जुलाई को एक साथ 15 इमरजेंसी केस थे, जिनका अलग-अलग डॉक्टर ने सीजर से प्रसव कराया था। उनमें से चार महिलाओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्या हुई, जिसमें से दो की उसी दिन कुछ घंटे बाद मौत हो गई थी और दो महिलाओं को किडनी इन्फेक्शन था, इसलिए उन्हें जबलपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया था, जहां उनकी मौत हुई है। अभी तक की जांचों में कोई लापरवाही सामने नहीं आई है, लेकिन एक और जांच चल रही है। अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

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