Monday , November 25 2024
Breaking News

राज्यों को खनिज संपदा पर टैक्स लगाने का अधिकार, सुप्रीम कोर्ट की नौ सदस्यीय संविधान बेंच का 8:1 के बहुमत से फैसला

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने आज साफ कर दिया कि राज्य सरकारों को खनिज संपदा पर टैक्स लगाने का अधिकार है। शीर्ष अदालत की नौ सदस्यीय संविधान बेंच ने 8:1 के बहुमत से यह फैसला सुनाया है। फैसले में कहा गया है कि राज्यों के इस अधिकार को केंद्रीय कानून माइंस ऐंड मिनिरल्स (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन) एक्ट से नियंत्रित नहीं किया जा सकता। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ समेत आठ जजों ने ये फैसला दिया है, जबकि जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इस फैसले के उलट फैसला दिया है।

संविधान बेंच ने 14 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था। बेंच ने मामले पर आठ दिन सुनवाई की थी। इस मामले में राज्य सरकारों, खनन कंपनियों और विभिन्न लोक उपक्रमों ने 86 अपील दायर की थीं। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान ने खनिज संपदा वाली जमीन पर टैक्स लगाने का अधिकार केवल संसद को ही नहीं दिया है बल्कि ये राज्यों के लिए भी है। ऐसे में राज्यो के अधिकार में कटौती नहीं होनी चाहिए। केंद्र सरकार ने कहा था कि उसे खनिज संपदा वाली जमीन पर टैक्स लगाने का सबसे पहला अधिकार है।

इस मामले की शुरुआत इंडिया सीमेंट्स लिमिटेड और तमिलनाडु सरकार के बीच विवाद से हुई थी। इंडिया सीमेंट्स खनन लीज लेने के बाद तमिलनाडु सरकार को रॉयल्टी दे रही थी। तमिलनाडु सरकार ने इस रॉयल्टी के अलावा इंडिया सीमेंट्स पर एक और सेस लगा दिया था। इसके बाद इंडिया सीमेंट्स ने मद्रास हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इंडिया सीमेंट्स का कहना था कि रॉयल्टी पर सेस लगाना रॉयल्टी पर टैक्स लगाना जैसा है जो राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। तमिलनाडु सरकार का कहना था कि सेस भू-राजस्व के तहत है और ये खनिज संपदा के अधिकार की बात है जो राज्य सरकार लगा सकती है।

सुप्रीम कोर्ट की सात जजों की बेंच ने 1989 में इंडिया सीमेंट्स के पक्ष में फैसला दिया। सात जजों की बेंच ने कहा था कि खनिज संपदा वाली जमीन पर टैक्स लगाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है। इस बेंच ने कहा था कि राज्य सरकार रॉयल्टी लगा सकती है लेकिन उस पर टैक्स नहीं लगा सकती है। उल्लेखनीय है कि नौ सदस्यीय संविधान बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस ह्रषिकेश राय, जस्टिस एएस ओका, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस उज्जल भुईंया, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस एजी मसीह शामिल हैं।

 

 

About rishi pandit

Check Also

कोरोना महामारी के बाद मंकीपॉक्स संक्रमण ने भी लोगों को खूब परेशान किया, कई देशों में फिर बढ़ने लगे उसके मामले

नई दिल्ली पिछले कुछ वर्षों में दुनिया के कई देशों में संक्रामक बीमारियों के मामले …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *