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Income Tax Raids in M.P: पुलिस अधिकारियों ने जवाब देने की जगह मांगे दस्तावेज

Income Tax Raid in M.P:digi desk/BHN/भोपाल/ आयकर विभाग के छापों के दौरान जिन चार पुलिस अधिकारियों के नाम करोड़ों रुपये के लेनदेन को लेकर सामने आए थे, उन्होंने शासन को आरोप-पत्र का जवाब देने की जगह मामले से संबंधित दस्तावेज मांग लिए हैं। जवाब देने के लिए अधिकारियों को 15 दिन दिए थे। यह समय सीमा पूरी होने से पहले ही दस्तावेजों की मांग से मामला पत्राचार में उलझने की आशंका बढ़ गई है।

लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ के करीबियों के यहां आयकर विभाग के छापे पड़े थे। छापों के दौरान जब्त दस्तावेजों में तीन आइपीएस और राज्य पुलिस सेवा के एक अधिकारी द्वारा करोड़ों के लेनदेन की बात सामने आई थी। इस पर केंद्रीय प्रत्यक्षकर बोर्ड (सीबीडीटी) ने आइपीएस वी. मधुकुमार, सुशोवन बनर्जी व संजय वी. माने और राज्य पुलिस सेवा के अधिकारी अरुण मिश्रा के खिलाफ आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) में प्रकरण दर्ज कराने को कहा था।

ईओडब्ल्यू ने प्राथमिकी दर्ज कर सीबीडीटी की रिपोर्ट के आधार पर 25 फरवरी को चारोंं पुलिस अधिकारियों को आरोप-पत्र भेजा था। इसमें इन्हें अपना पक्ष रखना था। इस मामले में पुलिस अधिकारियों ने शासन को जवाब देने की जगह मांग-पत्र भेज दिया है। उनकी मांग है कि उन्हें सीबीडीटी की रिपोर्ट और छापों के दौरान मिले वे दस्तावेज उपलब्ध कराए जाएं, जिनमें उनके नाम का जिक्र है। इन दस्तावेजों के आधार पर वे जवाब पेश करेंगे। हालांकि आरोप-पत्र में ही इन अधिकारियों को दस्तावेजों के अवलोकन और व्यक्तिगत सुनवाई की सुविधा दी गई थी। अधिकारियों द्वारा दस्तावेज मांगे जाने की पुष्टि हुई है।

नियमों का हवाला

सूत्रों का कहना है अधिकारियों ने अखिल भारतीय और राज्य पुलिस सेवा के नियमों का संदर्भ देते हुए आरोपों से संबंधित दस्तावेजों की मांग को प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के तौर पर पेश किया है। उनका कहना है महज किसी डायरी या किसी से फोन पर बात होने को उनके खिलाफ कार्रवाई का आधार नहीं माना जा सकता है। आरोप-पत्र देने से पहले कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना था।

वहीं, जानकारों का कहना है पत्राचार के फेर में अब यह मामला लंबा चल सकता है। गंभीर आरोपों के बाद भी प्रक्रिया संदेह का लाभ देने वाली अपनाई जा रही है। आरोप-पत्र में सीबीडीटी की रिपोर्ट के हवाले से प्रतीक जोशी के माध्यम से बनर्जी पर 25 लाख, माने पर 35 लाख, मधुकुमार पर पौने तेरह करोड़ तो मिश्रा पर साढ़े सात करोड़ रुपये के लेनदेन की बात कही गई है।

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