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इंदौर में नाइट कल्चर की आड़ में पनपने लगा था नशा कल्चर, इसलिए लगी रोक

 इंदौर

इंदौर में दो साल पहले अच्छे उद्देश्य के साथ नाइट कल्चर शुरू हुआ था, ताकि रात को संचालित होने वाली आईटी कंपनी, काॅल सेंटरों के कर्मचारियों को नाश्ते, चाय व गपशप करने की सुविधा मिल सके, लेकिन नाइट कल्चर की आड़ में इंदौर मेें नशा कल्चर शुरू हो गया था। इसे रोक पाने में पुलिस नाकाम रही और नाइट कल्चर इंदौर में बंद हो गया।

इंदौर में शराब दुकानें रात साढ़े 11 बजे और पब व बार रात 12 बजे बंद हो जाते है।इसके बाद शराब के नशे में युवक-युवती 24 घंटे खुली रहने वाली दुकानों पर जमा हो जाते थे।

इस दौरान हुड़दंग और विवाद होते थे। सस्ता नशा, ब्राउन शुगर बेचने वाले भी एमआईजी, भंवरकुआ, विजय नगर जैसे क्षेत्रोें में सक्रिय रहते थे। रात को होने वाले ज्यादातर विवाद नशे में हुए। इसके बाद इस व्यवस्था पर सवालिया निशान लगने लगे थे।

अभिभाषक प्रमोद दि्वेदी कहने है कि रात में दुकानें खुलना इस शहर की संस्कृति का हिस्सा है। सराफा चौपाटी दो बजे तक खुली रहती है। यदि बीआरटीएस पर पुलिस सुरक्षा सख्त रहती तो नई व्यवस्था को नियंत्रित तरीके से चलाया जा सकता था। 11 किलोमीटर लंबे बीआरटीएस मार्ग पर पांच थाने लगते है। हर थाने से एक निगरानी टीम लगाकर इस व्यवस्था पर नजर रखी जा सकती थी।
 
नाइट कल्चर पर रोक लगते ही कुक, वेटरों की नौकरी खतरे में

बीआरटीएस दो सालों मेें 20 से ज्यादा नए रेस्त्रां खुल गए थे, जो देर रात तक चलते थे। कई रेस्टोरेेंटों में तीन शिफ्टों मेें काम होने लगा था, लेकिन नाइट कल्चर बंद होने के बाद कई कुक और वेटरों की नौकरी खतरे में पड़ गई है।

रेस्त्रा संचालक हेंमत बड़कुल कहते है कि बदनामी पब कल्चर के कारण होती रही। रेस्त्रां में तो देर रात तक जाॅब करने वाले, पढ़ाई करने वाले छात्र आते थे। रात की शिफ्ट के लिए मैने अलग से स्टाॅफ रखा था। जिसे अब हटाना पड़ेगा।

नहीं हो रहा था नियमों का पालन

कुछ ही समय बाद बीआरटीएस से लगी चाय-नाश्ता की दुकानों पर आवारा तत्वों ने नशाखोरी का अड्डा बना लिया। नगर नगर निगम ने दुकानों को सशर्त अनुमति दी थी। सीसीटीवी कैमरे और दुकान में बैठाने की जगह अनिवार्य कर दी थी, लेकिन ज्यादातर दुकानों में शर्तों को उल्लंघन होता रहा।

बढ़ गई थी चाकूबाजी और लूट की घटनाएं

    अफसरों ने एक समीक्षा के दौरान देखा कि नाइट कल्चर के कारण ड्रग्स (एमडी, ब्राउन शुगर, गांजा) की खपत दोगुना हो गई है। हत्या, लूट, चाकूबाजी जैसी गंभीर घटनाएं भी बढ़ी हैं।

    नाइट कल्चर से शहर को लगा दाग

    दो जनवरी 2023 को भंवरकुआं थाना क्षेत्र में शिवपुरी निवासी आयुष की बाइक सवार बदमाशों ने चाकू मारकर हत्या कर दी।

    25 जुलाई 2023 को बीटेक के छात्र मोनू उर्फ प्रभास पंवार की एक युवती और उसके दोस्तों ने विजयनगर थाना क्षेत्र में चाकू मारकर हत्या कर दी। आरोपित एलआइजी चौराहा स्थित चाय की दुकान पर बैठकर नशा कर रहे थे। जैसे ही मोनू दोस्त टीटू, रचित और विशाल के साथ उज्जैन के लिए रवाना हुआ, कार रोक कर हमला कर दिया।

    विजयनगर थाना क्षेत्र में पब संचालक पीयूष पंवार पर नाइट कल्चर के दौरान प्राणघातक हमला हुआ। कार सवार बदमाश राहुल, सोमी ने गोली मार दी।

    एलआईजी चौराहा पर चार युवतियों ने एक युवती को पीटा। युवतियां नाइट कल्चर में शराब पार्टी कर लौटी थीं।

पुलिस कमिश्नर सिस्टम पर भी सवाल-इंदौर में लगातार बढ़ते अपराध के लिए सिर्फ नाइट कल्चर का कसूरवार ठहराना भी गलत होगा। इंदौर में कानून व्यवस्था को ठीक करने के लिए ही पुलिस-कमिश्नर प्रणाली लागू की गई थी। पुलिस कमिश्नर प्रणाली में अफसरों की बड़ी फौज में मैदान में उतारी गई लेकिन इंदौर में लगातार अपराध बढ़ते गए।

पिछले दिनों जिस तरह भाजपा नेताओं की हत्या हुई वह सीधे-सीधे पुलसिया सिस्टम पर सवाल उठाती है। क्या इंदौर के अपराधियों में पुलिस का डर नहीं है। इंदौर में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू होने के बाद हालात नहीं सुधरे, जबकि लूट, हत्या और डकैती जैसे गंभीर अपराध बढ़ रहे हैं। इंदौर के लोगों को रात में घर से निकलने पर डर लगने लगा है। अपराधी खुलेआम हथियार लेकर घूम रहे हैं, ड्रग का कारोबार खुलेआम चल रहा है, चौराहे-चौराहे ड्रग बेची जा रही है लेकिन पुलिस के अफसर मानों अपनी आंखे मूंद कर बैठे हुए है।

इंदौर में नाइट कल्चर खत्म करने के फैसले से क्या पुलिसिया तंत्र पर सवाल नहीं उठते है। लगभग दो साल पहले जब मिनी मुंबई कहने जाने वाले इंदौर में नाइट कल्चर की शुरुआत की गई थी तो इंदौर को आईटी हब बनाने के साथ बंगलुरु जैसे बनाने के सपने देखे गए थे, लेकिन सिर्फ बढ़ते अपराध और ड्रग के अवैध कारोबार के चलते नाइट कल्चर को खत्म कर दिया है। ऐसे मे सवाल यह भी उठता है कि स्वच्छता में सिरमौर इंदौर की पुलिस आखिर क्यों नहीं अपराधियों के नेटवर्क को नेस्तनाबूद कर इंदौर की जनता को अमन और शांति दे पाई। 

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