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शिवसेना ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसके सरकार्यवाह मोहन भागवत की तारीफ की, सियासी चिढ़ या चाहत?

नई दिल्ली
कांग्रेस की अगुवाई वाले विपक्षी इंडिया अलायंस और महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी के घटक दल शिवसेना ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और उसके सरकार्यवाह मोहन भागवत की तारीफ की है और उनके बयानों के बहाने भाजपा पर तीखा तंज कसा है। अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने लिखा है कि क्या मोहन भागवत के क्लास लगाने से भाजपा का मौजूदा चरित्र बदलने वाला है? पार्टी ने आगे लिखा है कि जब तक भाजपा के सूत्र मोदी-शाह के हाथ में हैं, तब तक संघ नेताओं की फटकार चिकने घड़े पर पानी डालने के सिवा कुछ नहीं कहा जा सकता है।

मोहन भागवत के बयान का उल्लेख करते हुए उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने कहा है कि जनसेवक कौन है और जन सेवा के नाम पर अहंकार कौन पाल रहा है? आलेख में सेना ने लिखा है कि संघ भाजपा का मातृ संगठन है। भाजपा को वर्तमान स्थिति में लाने के लिए संघ के स्वयंसेवकों ने कड़ी मेहनत की। संघ वहां पहुंच गया है जहां भाजपा नहीं पहुंची। झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तर-पूर्व के सुदूर राज्य, इन सुदूर इलाकों में संघ के स्वयंसेवकों के अपार प्रयासों के कारण ही भाजपा ने जड़ें जमाईं और सफलता पाई है।

आलेख में आरएसएस की तारीफ करते हुए कहा गया है कि संघ ने अरुणाचल, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, असम जैसे राज्यों में भी काम किया। संघ झारखंड, छत्तीसगढ़ के जंगली इलाकों में है। मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में भाजपा की शत-प्रतिशत सफलता संघ के निर्माण के कारण है, लेकिन पिछले दस वर्षों में मोदी-शाह ने संघ का इस्तेमाल केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया। शिवसेना ने मोदी-शाह की जोड़ी पर हमला बोलते हुए लिखा है कि इस व्यापारिक जोड़ी ने दिखा दिया कि संघ का मतलब ‘इस्तेमाल करो और फेंक दो’ है वरना भाजपा अध्यक्ष नड्डा में इतनी हिम्मत नहीं थी कि वह कह सकें कि हमें संघ की जरूरत नहीं है। शिवसेना ने लिखा है कि ये बयान देने की प्रेरणा उन्हें मोदी-शाह से मिली।

भाजपा के मौजूदा नेतृत्व पर आक्रामक शिवसेना ने कहा कि पिछले दस वर्षों में भाजपा ने अपने चरित्र को दागदार किया है। द्रौपदी का चीरहरण कौरवों ने किया था, लेकिन भाजपा का चीरहरण गुजरात के दुर्योधन ने किया, किसी वक्त गुजरात के दुर्योधन भी संघ के विनम्र स्वयंसेवक थे। मोदी-शाह शासनकाल में संघ का पतन हुआ है। शिवसेना ने लिखा है कि 2024 के चुनाव में भाजपा मोदी-शाह के अहंकार की वजह से हारी है।

आलेख में शिवसेना और भाजपा के रिश्तों की भी बात कही गई है और कहा गया है कि  शिवसेना मूलत: हिंदुत्ववादी विचारों की पार्टी है और हिंदुत्व के मुद्दे पर भाजपा और शिवसेना एक साथ आए। संघ नेतृत्व की भूमिका थी कि यह गठबंधन न टूटे, लेकिन मोदी-शाह के अहंकार और व्यापारिक रवैए के कारण संघ की बात सुने बिना ही शिवसेना से गठबंधन तोड़ दिया गया। इसके साथ ही शिवसेना ने आरोप लगाया है कि संघ में भी मोदी-शाह ने चमचों की फौज तैयार कर दी थी, जिसकी वजह से इस मनमानी का किसी ने विरोध नहीं किया।

आलेख में कहा गया है कि टीम मोदी ने यह धारणा बनाई कि मोदी जी ही हिंदुत्व के ब्रांड और शिल्पकार हैं, इस तरह का ढोल पीट कर उन्होंने संघ के हिंदुत्ववादी भूमिका को चुनौती दी है, जबकि मणिपुर हिंसा के मामले में मोदी-शाह का कायराना रवैया संघ पचा नहीं पा रहा है। शिवसेना ने लिखा है कि पहले संघ के कार्यकर्ता भाजपा की जीत के लिए कड़ी मेहनत करते थे। इस समय संघ कार्यकर्ता भाजपा के प्रचार से दूर रहे। यहां तक कि मोदी-की टीम की  गडकरी को भी कैबिनेट से हटाने की योजना थी, लेकिन चूंकि भाजपा 240 पर अटक गई थी, इसलिए उन्हें गडकरी को कैबिनेट में लेना पड़ा। शिवसेना ने लिखा कि पिछले दस सालों में मोदी-शाह ने संघ की सोच, संघ संरक्षकता, नैतिकता की खुराक को झिड़क दिया है। वे अभिमान और अहंकार से ग्रसित हो गए हैं।

 

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