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National: ‘जैश-लश्कर’ ने तालिबान से किया अमेरिकी M16-M4 कार्बाइन का सौदा, कवच भेद रहीं चीन की स्टील बुलेट

National jen let made a deal with taliban for american m16 m4 carbine chinese steel bullets are piercing the armour: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ सूत्रों ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर में मौजूद पाकिस्तान के आतंकी संगठन, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे वाली अमेरिकन M16-M4 कार्बाइन का सौदा किया है। हालांकि अभी तक इन घातक हथियारों की बड़ी खेप घाटी में नहीं पहुंची है, लेकिन दर्जनभर कार्बाइन, आतंकियों के हाथ में हैं।

जम्मू-कश्मीर में हो रहे आतंकी हमलों के मद्देनजर, कई क्षेत्रों में हाई अलर्ट जारी किया गया है। चार दिन में चार जगहों पर हुए आतंकी हमलों ने कश्मीर से लेकर दिल्ली तक के माहौल को गरमा दिया है। विपक्ष, सरकार पर सवाल उठा रहा है। जम्मू कश्मीर पुलिस की खुफिया इकाई एवं केंद्रीय सुरक्षा बलों के विश्वस्त सूत्रों का कहना है, आतंकवादी बौखलाए हुए हैं। सर्च जारी है, बहुत जल्द दहशतगर्दों का खात्मा हो जाएगा। सूत्रों ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा, जम्मू कश्मीर में मौजूद पाकिस्तान के आतंकी संगठन, जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे वाली अमेरिकन M16-M4 कार्बाइन का सौदा किया है। हालांकि अभी तक इन घातक हथियारों की बड़ी खेप घाटी में नहीं पहुंची है, लेकिन दर्जनभर कार्बाइन, आतंकियों के हाथ में हैं। वे इनका इस्तेमाल, सुरक्षा बलों पर हमले के दौरान कर रहे हैं। कठुआ में मारे गए आतंकी के पास से ‘एम 4’ कार्बाइन बरामद हुई है। इतना ही नहीं, दहशतगर्दों के हाथ में जो घातक हथियार हैं, उनके लिए खास स्टील की बुलेट इस्तेमाल की जा रही हैं। ये बुलेट चीन निर्मित हैं। साथ ही जो ड्रोन और हैंड ग्रेनेड बरामद हुए हैं, वे भी चीन निर्मित हैं। पाकिस्तान बॉर्डर से इन हथियारों को भारतीय सीमा में भेजने की कोशिश की जाती है।

जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रहे आतंकी हमले
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने आतंकी हमलों बाबत कहा, जिस दिन देश में नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे थे, कई राष्ट्रों के अध्यक्ष आए हुए थे, उसी दिन रियासी में आतंकी हमला हुआ। उसमें नौ तीर्थयात्री मारे गए थे। वह मंजर देखकर सभी दहल गए। उसके बाद से लगातार जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले हो रहे हैं। पवन खेड़ा ने तंज कसते हुए कहा, क्या यही नया कश्मीर है। वहां रोज आतंकी हमले हो रहे हैं। पीएम के मुंह से एक शब्द तक नहीं निकल रहा है। सूत्रों के अनुसार, अब यह बात स्पष्ट है कि जम्मू कश्मीर के जंगलों में छिपे बैठे आतंकियों के पास एम4 और एम16 जैसी घातक  कार्बाइन हैं। उनके पास अमेरिकी निर्मित हथियारों के अलावा गोला-बारूद भी है। आतंकियों द्वारा जब कभी सैन्य कैंप, वाहन या नाके पर हमला किया जाता है, तो अमेरिकन कार्बाइन और चीन निर्मित हैंड ग्रेनेड एवं स्टील की गोलियों का इस्तेमाल होता है।

बख्तरबंद गाड़ी को भेद सकती हैं स्टील बुलेट
गत दो वर्षों में राजौरी और पुंछ के इलाकों में हुए आतंकी हमलों में तालिबान से मिले हथियार, प्रयोग में लाए गए हैं। आतंकियों ने स्टील बुलेट इस्तेमाल की हैं। ये बुलेट किसी भी बख्तरबंद गाड़ी को भेद सकती हैं। सामान्य बुलेटप्रूफ जैकेट और पटका, इससे बचाव नहीं कर पाते। तालिबान से घातक अमेरिकन राइफलें और स्टील की गोलियां, घाटी में पहुंच रही हैं, ये सुरक्षा बलों के लिए चिंता का विषय है। देश में अभी तक सुरक्षाबलों के साजो सामान का जो पैटर्न है, वह ‘लेवल 3’ का है। मतलब, ज्यादातर बुलेटप्रूफ वाहन, मोर्चा, जैकेट और पटका ‘लेवल 3’ श्रेणी वाले होते हैं। स्टील की गोलियां, जिसे ‘आर्मर पियर्सिंग इन्सेंडरी’ (एपीआई) कहा जाता है, इन्हें भेद सकती हैं। देश में हर जगह पर ‘लेवल-4’ बुलेटप्रूफ कवच नहीं है। इस कवच को केवल चुनिंदा ऑपरेशनों में ही इस्तेमाल किया जाता है।

ट्रायल के लिए कई हथियार मुहैया कराए गए
सुरक्षा बलों के सूत्रों के मुताबिक, पिछले कई दशकों से जम्मू कश्मीर में आतंकियों द्वारा जिन हथियारों का इस्तेमाल किया जा रहा था, वे लोकल थे। उनमें से ज्यादातर हथियार, सुरक्षा बलों पर हमला कर लूटे गए थे। उस वक्त आतंकी, एके 47 राइफल का ही ज्यादा इस्तेमाल करते थे। 2021 में जब अफगानिस्तान से अमेरिका के नेतृत्व वाले नाटो समूह की सेना, वापस गई तो वहां की सत्ता तालिबान के हाथों में आ गई। ‘नाटो’ की सेनाओं के ज्यादातर हथियार और गोला बारूद वहीं पर छूट गए। उसके बाद तालिबान के कब्जे में आए वे घातक हथियार, पाकिस्तान के रास्ते जम्मू-कश्मीर तक पहुंचने लगे। 2022 में एजेंसियों को इस बात के पुख्ता सबूत मिले कि पाकिस्तान के दो आतंकी संगठन, ‘लश्कर-ए-तैयबा’ और ‘जैश-ए-मोहम्मद’, तालिबान से अमेरिकी हथियारों का सौदा करने के प्रयास में हैं। हालांकि ट्रायल के लिए कई हथियार, इन आतंकी संगठनों को मुहैया कराए गए थे। सूत्रों का कहना है कि दोनों आतंकी संगठनों ने जम्मू कश्मीर के लिए तालिबान से करीब सत्तर M16 व M4 राइफलों की मांग की थी।

358530 असॉल्ट राइफलें व 126295 पिस्टल
अफगानिस्तान से नाटो सैनिकों के वापस लौटने के बाद ’85 बिलियन डॉलर’ के एयरक्राफ्ट, बख्तरबंद गाड़ियां, रॉकेट डिफेंस सिस्टम, मशीन गन और असॉल्ट राइफल सहित भारी मात्रा में गोला बारूद पर तालिबान का कब्जा हो गया था। हालांकि अमेरिका ने दावा किया था कि उसने तालिबान के हाथ लगे अपने अत्याधुनिक एयरक्राफ्ट, बख्तरबंद गाड़ियां व रॉकेट डिफेंस सिस्टम को निष्क्रिय कर दिया है। अफगानिस्तान में ‘4 सीब-130 ट्रांसपोर्ट्स, 23 एम्ब्रेयर ईएमबी 314/ए29 सुपर सुकानो, 28 सेसेना 208, 10 सेसेना एसी-208 स्टाइक एयरक्राफ्ट’ फिक्सड् विंग एयरक्राफ्ट बताए गए हैं। इनके अलावा 33 एमआई-17, 33 यूएच-60 ब्लैकहॉक व 43 एमडी 530 हेलीकॉप्टर भी हैं। अमेरिकी 22174-ह्मवे, 634 एमआई 117, 155 एमएक्सएक्स प्रो माइन प्रूफ व्हीकल, 169 एमआई 13 आर्म्ड पर्सनल केरियर, 42000 पिक अप ट्रक एंड एसयूवी, 64363 मशीन गन, 8000 ट्रक, 162043 रेडियो, 16035 नाइट गॉगल, 358530 असॉल्ट राइफल, 126295 पिस्टल और 176 आर्टलरी पीस भी तालिबान के कब्जे में बताए गए हैं। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने भी गत वर्ष कहा था, आतंकवाद के खिलाफ केंद्र सरकार की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी की सच्चाई क्या है। अफगानिस्तान में अमेरिका और नाटो के दूसरे सहयोगी देशों के सैनिकों द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियार, अब अफगान डीलरों के हाथ लग रहे हैं। संभव है कि हथियारों और गोला बारूद के उस जखीरे में से कुछ राइफल व गोलियां, पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के जरिए जम्मू कश्मीर में पहुंच रही हों।

जम्मू कश्मीर में चीन निर्मित स्टील बुलेट्स
2021 में अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद ‘नाटो’ सेनाओं के अनेक हथियार और गोला बारूद वहीं पर छूट गए थे। तालिबान के कब्जे में आए वे घातक हथियार, अब पाकिस्तान के रास्ते जम्मू-कश्मीर तक पहुंच रहे हैं। इस आशंका ने भारत की सुरक्षा एवं खुफिया एजेंसियों की नींद उड़ा रखी है। सैन्य बलों पर हुए हमले की जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि तालिबान के पास मौजूद अमेरिकन M16 राइफल व M4 कार्बाइन जैसे हथियार, जम्मू-कश्मीर में सक्रिय पाकिस्तानी आतंकी संगठन ‘लश्कर- ए-तैयबा’ और ‘जैश-ए-मोहम्मद’ के हाथ लगे हैं। हालांकि अभी इनकी संख्या तय नहीं है। इनके अलावा अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हुई ‘स्टील बुलेट’ पहले से ही घाटी में मौजूद हैं। अब चीन निर्मित स्टील बुलेट, पाकिस्तान के माध्यम से जम्मू कश्मीर में पहुंच रही हैं।

एम16 और एम4 हथियार की खासियतें
अमेरिका सेना, एम16 स्वचालित राइफलें साठ के दशक से इस्तेमाल करती रही है। वियतनाम युद्ध, ग्रेनाडा पर आक्रमण, खाड़ी युद्ध, सोमाली गृह युद्ध, इराक और अफगानिस्तान में लड़ाई के दौरान अमेरिकी सेना इसी राइफल से लैस थी। इस राइफल का वजन 7.18 पौंड (3.26 किग्रा) (अनलोडेड) और 8.79 पौंड (4.0 किग्रा) (भारित) है। एम16 से 700-950 राउंड/मिनट फायर हो सकते हैं। एम4 भी नब्बे के दशक से अमेरिका सेना में है। इन कार्बाइन को भी अफगानिस्तान युद्ध, इराक युद्ध, कोलंबियाई सशस्त्र संघर्ष, दक्षिण ओसेशिया युद्ध, लेबनान युद्ध, मैक्सिकन ड्रग युद्ध और दूसरे कई ऑपरेशनों में इस्तेमाल किया गया था। इसका वजन 6.36 पौंड (2.88 किग्रा) खाली, 6.9 पौंड (3.1 किग्रा) 30 राउंड मैगजीन के साथ होता है। इसमें से 700-950 राउंड/मिनट फायर होते हैं।

प्रॉक्सी विंग के पास मौजूद हैं विदेशी हथियार
दिसंबर 2022 में जम्मू कश्मीर में तैनात रहे भारतीय सेना के 19 इन्फैंट्री डिवीजन के कमांडर मेजर जनरल अजय चांदपुरिया ने कहा था, सैन्य बलों द्वारा जो हथियार और उपकरण बरामद किए जा रहे हैं, उनसे पता चला है कि उच्च तकनीक वाले हथियार, रात्रि दृष्टि उपकरण व दूसरा साजो सामान, जो नाटो की सेना द्वारा अफगानिस्तान में छोड़ा गया था, अब इस ओर जेएंडके की तरफ आ रहा है। इतना ही नहीं, दो साल पहले कश्मीर में आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हथियारों का एक वीडियो वायरल हुआ था। उसमें अमेरिकन राइफल दिख रही थी। ऐसे कई हथियार, सैन्य बलों द्वारा जब्त किए गए हैं। सूत्रों ने बताया, पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन ‘लश्कर-ए-तैयबा’ की जम्मू कश्मीर में मौजूद प्रॉक्सी विंग ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) और ‘जैश-ए-मोहम्मद’ की प्रॉक्सी विंग ‘पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट’ (पीएएफएफ) के सदस्यों को विदेशी हथियार मुहैया कराए गए हैं। इनके अलावा यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट जम्मू कश्मीर (यूएलएफजेएंडके), मुजाहिद्दीन गजवत-उल-हिंद (एमजीएच), जम्मू कश्मीर फ्रीडम फाइटर्स (जेकेएफएफ) और कश्मीर टाइगर्स आदि आतंकी संगठनों तक भी देर सवेर, अमेरिकन कारबाईन और स्टील बुलेट पहुंचने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। गत वर्ष राजौरी और पुंछ में सैन्य बलों पर हुए हमले में प्रॉक्सी विंग के आतंकियों ने स्टील बुलेट का इस्तेमाल किया था।

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