नई दिल्ली
देश की 543 लोकसभा सीटों पर चुनाव परिणाम जारी हो चुके हैं. NDA को कुल 292 सीटें और I.N.D.I.A गठबंधन को 234 सीटें मिलीं हैं. वहीं अन्य के खाते में 17 सीटें आई हैं. 400 पार का नारा देने वाली BJP अपने बूते पर बहुमत का आंकड़ा भी नहीं छू पाई. हालांकि, NDA ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है, जिसकी वजह से BJP को सरकार बनाने में ज्यादा मुश्किल नहीं आएगी. साल 2019 के चुनाव में 303 सीटें जीतने वाली BJP को 64 सीटों का नुकसान हुआ है, लेकिन दिल्ली में BJP का शानदार प्रदर्शन लगातार जारी है. लगातार तीसरी बार BJP ने दिल्ली की सभी 7 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की है.
AAP-कांग्रेस ने गठबंधन में लड़ा चुनाव
दिल्ली में AAP और कांग्रेस ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था. दिल्ली की 4 सीटों पर AAP और 3 सीटों पर कांग्रेस ने उम्मीदवार उतारे थे. बावजूद इसके दिल्ली की किसी भी सीट में AAP या कांग्रेस के उम्मीदवार जीत हासिल नहीं कर पाए.
दिल्ली में AAP की हार के 5 प्रमुख कारण
1. भ्रष्टाचार का आरोप
राजधानी दिल्ली की AAP सरकार लंबे समय से शराब घोटाले में घिरी हुई है. पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के बाद AAP सांसद संजय सिंह और फिर CM अरविंद केजरीवाल को इस मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है. दिल्ली में AAP की हार को इससे भी जोड़कर देखा जा रहा है.
2. चेहरों की कमी
AAP के कई बड़े चेहरों के जेल में होने की वजह से आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव प्रचार में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पाई. हालांकि, संजय सिंह और अरविंद केजरीवाल को बाद में जमानत मिल गई, लेकिन गठबंधन को उसका कुछ खास फायदा नहीं मिला.
3. नहीं मिली सहानुभूति
CM अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद AAP द्वारा 'जेल का जवाब वोट से'सहित कई अभियान चलाए गए. AAP को उम्मीद थी कि दिल्ली की जनता से उन्हें सहानुभूति वोट मिलेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. AAP को सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा.
4. INDIA गठबंधन
दिल्ली की सत्ता से कांग्रेस को हराकर सरकार बनाने वाली AAP ने इस बार कांग्रेस के साथ ही गठबंधन कर लिया, जो दिल्ली की जनता को कुछ खास पसंद नहीं आया. दिल्ली लोकसभा चुनाव में AAP की हार की ये भी बड़ी वजह रही.
5. PM पद के लिए मोदी पहली पसंद
दिल्ली और MCD में दिल्ली की जनता ने AAP को बहुमत दिया, लेकिन PM पद के लिए आज भी नरेंद्र मोदी दिल्लीवासियों की पहली पसंद बने हुए हैं. यही वजह रही कि लगातार 3 बार दिल्ली में AAP की सरकार बनने के बाद भी लोकसभा चुनाव में AAP के हाथ खाली हैं.