Thursday , January 16 2025
Breaking News

चीन भारत और रूस की दोस्ती से घबराया रहता है,इंडिया को लेकर ड्रैगन का सबसे बड़ा डर क्या है जाने

बीजिंग
चीन और रूस के बीच सहयोग मजबूत होने की खबर आने के साथ ही भारत पर इसके असर को लेकर चर्चा जोर पकड़ने लगती है। विशेषज्ञ इस बात पर आशंका जाहिर करते हैं कि रूस और चीन का बढ़ता याराना भारत-रूस की पुरानी दोस्ती को पटरी से उतार देगा। हाल ही में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की बीजिंग यात्रा के बाद नई दिल्ली में इसे खतरे की घंटी के रूप में देखा जा रहा है। रक्षा हलकों में तो भारत के रूस से दूर जाने की मांग भी की जाने लगी है। लेकिन क्या सच में ऐसा है? क्या वाकई रूस अपने दशकों पुराने दोस्त भारत को चीन के लिए छोड़ देगा? आइए इसे समझने की कोशिश करते हैं।

भारत और रूस की दोस्ती को लेकर चाहे जो भी आशंकाएं व्यक्त की जाती रही हैं, लेकिन चीन के पास भारत-रूस के गहरे संबंधों को स्वीकार करने के सिवाय ज्यादा विकल्प नहीं है। चीन या तो रूस को खो सकता है या फिर भारत को पश्चिमी खेमे में जाने का जोखिम उठा सकता है जो उसके लिए ज्यादा खतरनाक हो सकता है। असल बात तो यह है कि चीन खुद भारत और रूस की दोस्ती से घबराया रहता है। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के एक लेख में चीन और रूस मामलों की जानकारी अंतरा घोसाल सिंह ने बीते कुछ सालों के दौरान हुई कुछ घटनाओं से इसे समझाया है।

जब रूस ने भारत के लिए किया चीन को दरकिनार

ताजा मामला पिछले साल जून का है जब भारत ने जी-20 सदस्य देशों को पर्यटन शिखर सम्मेलन कश्मीर में आयोजित करने का फैसला किया। चीन और कुछ अन्य देशों ने कश्मीर में होने वाली इस बैठक का बहिष्कार किया तो रूस ने इसे नजरअंदाज करते हुए अपना एक उच्च प्रोफाइल प्रतिनिधिमंडल इसमें भेजा। इस घटनाक्रम को चीन में बहुत प्रमुखता से लिया गया था। 2023 में ही अगस्त के दौरान जब भारत और चीन ने कमांडर स्तरीय वार्ता का अपना नया दौर शुरू किया तो रिपोर्ट सामने आई कि रूस समय पर भारत को एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली सौंप देगा। इसे लेकर चीन में सार्वजनिक रूप से विरोध देखा गया। सोशल मीडिया फैसले पर चीन-रूस की मित्रता पर सवाल उठाए जाने लगे।

भारत और चीन के बीच किसका साथ देगा रूस?

चीनी मीडिया के एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि रूस-भारत के मजबूत संबंधों को लेकर चीन में गहरी नाराजगी है। सोशल मीडिया पर ऑनलाइन प्रतिक्रिया में अक्सर रूस को निशाने पर लिया जाता है कि वह भारत को सैन्य सहायता देकर चीन की पीठ में छुरा घोंप रहा है। रूस द्वारा भारत को चौथी पीढ़ी के टैंक की पेशकश हो या फिर शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में भारत को शामिल करना, चीन में रूस के इरादों पर अक्सर सवाल उठाए जाते हैं। कुछ चीनी पर्यवेक्षक तो भी सवाल उठाते हैं कि भारत और चीन के बीच बड़े युद्ध की स्थिति में रूस किसका पक्ष लेगा?

चीन का भारत को लेकर सबसे बड़ा डर

चीन के रणनीतिक समुदाय में एक वर्ग अनिच्छा से स्वीकार करता है कि चीन-रूस और भारत के त्रिकोण में रूस-भारत का संबंध कुछ हद तक भारी हो सकता है। रूस और चीन के बीच बढ़े संबंधों के पीछे अमेरिका और पश्चिम की चुनौतियां वजह हैं, जबकि भारत और रूस के संबंधों में कोई सीमा नहीं है, कोई नफरत नहीं है, कोई शिकायत नहीं है। ये एक दूसरे के लिए स्वाभाविक सहयोगी हैं। चीन समझता है कि अगर बीजिंग के हस्तक्षेप रूस-भारत संबंध वास्तव में खराब होते हैं, तो वह अमेरिका या अन्य पश्चिमी देशों से और अधिक हथियार खरीदेगा। चीन के लिए इससे ज्यादा हानिकारक और क्या हो सकता है?

आखिरकार चीन अपने दो सबसे बड़े विरोधियों भारत और अमेरिका को एक साथ नहीं देखना चाहेगा। चीन को पता है कि अकेले अमेरिका उसके लिए उतना बड़ा खतरा नहीं है, जितना वह भारत के साथ आने पर बनेगा। चीन ये भी जानता है कि इस समय रूस से संबंध वह कारक है, जो भारत-अमेरिकी संबंधों में कुछ हद तक बाधा बनता है।

About rishi pandit

Check Also

लंदन में कमर से ऊपर पूरे कपड़े, पैरों में जूते-मोजे, लेकिन कमर से नीचे मात्र एक इनरवियर

लंदन कमर से ऊपर पूरे कपड़े, पैरों में जूते-मोजे, लेकिन कमर से नीचे मात्र एक …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *