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MP: पालकों की जेब पर डाका डालने वाले 11 स्कूलों पर FIR, 125 करोड़ रुपये का घोटाला..!

Madhya pradesh jabalpur mp news fir against 11 schools that looted the pockets of parents scam worth rs 125 crore: digi desk/BHN/जबलपुर/ जबलपुर में कलेक्टर के निर्देश पर 11 स्कूलों के खिलाफ एफआईआर की गई है। इन स्कूलों ने मनमाने तरीके से फीस बढ़ाई। पुस्तक प्रकाशकों और विक्रेताओं से सांठगांठ कर पालकों की जेब पर डाका डाला। मनमाने तरीके से फीस बढ़ाने वाले स्कूलों के खिलाफ शिकंजा कसते हुए जबलपुर में बड़ी कार्रवाई की गई है। 11 स्कूलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिनमें इन स्कूलों के 80 व्यक्तियों को दोषी बनाया गया है। इन स्कूलों ने न केवल नियमों की अवहेलना करते हुए फीस बढ़ाई बल्कि यूनीफॉर्म, पुस्तकें और स्टेशनरी निर्धारित दुकानों से खरीदने के लिए दबाव डाला। जबलपुर कलेक्टर के आदेश पर हुई जांच में 125 करोड़ रुपये का घोटाला होने की बात सामने आई है। स्कूल प्रबंधकों को नियमविरुध्द वसूली गई फीस 30 दिनों में अभिभावकों को लौटाने के निर्देश दिए हैं। स्कूल प्रबंधक राशि नहीं लौटाते हैं तो उनके खिलाफ कुर्की की कार्रवाई होगी। 22 लाख रुपये का अर्थदंड भी लगाया है।

जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने बताया कि जांच में यह बात सामने आई कि मध्य प्रदेश निजी विद्यालय फीस अधिनियम की धारा 5.2 का पालन न करते हुए मनमाने तरीके से फीस बढ़ाई गई। प्रावधानों के तहत ऑडिट रिपोर्ट अपलोड नहीं की। पांच प्रतिशत से अधिक फीस वृद्धि की लेकिन समिति को सूचना नहीं दी। 10 प्रतिशत से अधिक फीस वृद्धि के लिए जिला कलेक्टर तथा 15 प्रतिशत से अधिक वृद्धि के लिए राज्य स्तरीय कमेटी से अनुमति लेनी थी, जो नहीं ली गई। निजी स्कूलों ने इस तरह 81.30 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा किया है। जबलपुर के पुलिस अधीक्षक आदित्य प्रताप सिंह ने बताया कि नौ थानों में 11 निजी स्कूलों के खिलाफ धारा 409, 420, 467, 468 तथा 120-बी के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है। प्रकरण में 80 लोगों को आरोपी बनाया है। एक आरोपी का नाम दो या अधिक एफआईआर में भी है। पुलिस ने स्कूल प्रबंधन के 30 व्यक्तियों, पांच पुस्तक विक्रेता तथा 16 प्रकाशकों के खिलाफ को आरोपी बनाया गया है। इस प्रकार कुल वास्तविक आरोपियों की संख्या 51 है। 20 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

इन स्कूलों के खिलाफ हुई कार्रवाई

  1. क्राइस्ट चर्च, सालीवाडा
  2. लिटिल वर्ल्ड
  3. स्टेम फील्ड
  4. ज्ञानगंगा आर्किड
  5. चैतन्य टेक्नो
  6. क्राइस्ट चर्च, आईएससी
  7. सेंट एलॉयसिस पोली
  8. क्राइस्ट चर्च डाइसेशन
  9. सेंट एलॉयसिस सदर
  10. सेंट एलॉयसिस रिमझा
  11. क्राइस्ट चर्च बॉयज

से की जांच
आठ एसडीएम को जांच में लगाया गया था। उन्होंने 12 तहसीलदार, 25 जिला शिक्षा अधिकारी, 60 अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर इस जांच को अंजाम दिया। पांच जगह आकस्मिक छापे मारे। 50 से अधिक स्कूलों में विजिट की। दो बार खुली सुनवाई भी की गई थी।

र साल बदल देते थे पाठ्यक्रम
स्कूल प्रबंधक हर साल अपना पाठ्यक्रम बदल देते हैं। किसी एक्सपर्ट कमेटी से कोई अनुमोदन नहीं लेते। पाठ्यक्रम में फर्जी व डुप्लीकेट आईएसबीएन पुस्तक शामिल करते थे। पाठ्यक्रम में 60 से 100 प्रतिशत का बदलाव करते थे। प्रकाशकों और विक्रेताओं को सूचित कर देते थे, ताकि ऑर्डर व सप्लाई कर सके। अंतिम समय पर स्कूल प्रबंधक ने पाठ्यक्रम में बदलाव की सूचना अपलोड की। खुले बाजार में किताबें नहीं मिलती थी और माता-पिता को विशेष दुकान से ही पुस्तकें खरीदनी पड़ती थी। 

MRP और वास्तविक दर में अंतर
जो पुस्तकें खरीदने के लिए बोली जाती, उसका एमआरपी तथा वास्तविक छपाई में दर में दोगुने का अंतर रहता था। प्रकाशक से मिलने वाली छूट भी पालकों को नहीं देते थे। इस प्रकार 40 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय भार पालकों पर डाला गया। स्कूल प्रबंधक उपयोग में आने वाली पुस्तकों के अलावा अतिरिक्त पुस्तकें भी पाठ्यक्रम में अनावश्यक रूप से शामिल कर रहे थे। इससे बच्चों के बैग का वजन भी दोगुना हो रहा था। 

ऑडिट रिपोर्ट में छेड़छाड़
जांच में यह बात भी सामने आई है कि स्कूलों ने ऑडिट रिपोर्ट के पन्नों में छेड़छाड़ की है। अपनी ही दूसरी संस्था पर राशि व्यय करना बता दिया है। प्रशासन ने एक अप्रैल से इन स्कूलों की जांच प्रारंभ की थी। जांच के बाद इन स्कूलों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई है।

जिले में 1037 स्कूल, यानी घोटाला अरबों का
सिर्फ 11 स्कूलों की जांच में 125 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। जिले में ही 1037 निजी स्कूल हैं। यदि सभी स्कूलों की जांच की जाए तो घोटाला कई अरब रुपये में होगा। जब कलेक्टर से यह पूछा गया कि क्या बाकी स्कूलों में गड़बड़ी नहीं हो रही हैं तो उन्होंने कहा कि हमने स्कूलों को सुधरने का वक्त दिया था। जो लोग नहीं सुधरे, उन पर यह कार्रवाई की गई है। 

नवीन सत्र में 65 प्रतिशत पाठ्यक्रम में बदलाव
जांच में पाया गया कि कमीशनखोरी की लिए पाठ्यक्रम में शामिल 1907 पुस्तकों में से 1223 पुस्तकों को बदल दिया गया है। लगभग 65 प्रतिशत पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया। बदलाव किए गए पाठ्यक्रम में फर्जी व डुप्लीकेट आईएसबीएन पुस्तक को शामिल किया। इससे बच्चों के बैग का वजन लगभग दोगुना हो गया।

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