इंदौर
मध्य प्रदेश में कांग्रेस को एक के बाद एक झटका लग रहा है। इंदौर लोकसभा सीट से उम्मीदवार अक्षय कांति बम के नामांकन वापस लेने और बीजेपी में शामिल होने के बाद पार्टी की एक याचिका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। कोर्ट ने उसके ‘डमी’ (वैकल्पिक) उम्मीदवार मोती सिंह पटेल की रिट याचिका मंगलवार को खारिज कर दी। जिला चुनाव कार्यालय ने 25 अप्रैल को दस्तावेजों की जांच के दौरान पटेल की उम्मीदवारी खारिज कर दी थी। बम के पेपर्स को मंजूरी मिल गई थी, लेकिन नामांकन वापस लेने के आखिरी दिन सोमवार को उन्होंने अचानक अपना नाम वापस ले लिया।
सिंह का नामांकन पत्र निर्वाचन अधिकारी द्वारा चार दिन पहले खारिज किया जा चुका है, लेकिन उन्होंने इंदौर से कांग्रेस उम्मीदवार अक्षय कांति बम के पर्चा वापस लेने का हवाला देते हुए अदालत से गुहार लगायी थी कि उन्हें पार्टी के चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव लड़ने की अनुमति दी जाए। जस्टिस विवेक रूसिया ने याचिकाकर्ता और चुनाव आयोग की दलीलें सुनने के बाद सिंह की रिट याचिका खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौखिक टिप्पणी की कि चूंकि सिंह का पर्चा खारिज हो चुका है और उनका नाम चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की अंतिम सूची में नहीं है, इसलिए वह चुनावी दौड़ से पहले ही बाहर हो चुके हैं।
एकल पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा उठाया गया मामला चुनाव याचिका का विषय है। सिंह की ओर से अदालत में कहा गया कि निर्वाचन अधिकारी ने उनका पर्चा दस्तावेजों की छानबीन के दौरान 26 अप्रैल को केवल इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वह महज वैकल्पिक उम्मीदवार हैं, जबकि बम पार्टी के स्वीकृत प्रत्याशी हैं।
कांग्रेस के ‘डमी’ उम्मीदवार की ओर से कहा गया कि चूंकि बम ने पर्चा वापस ले लिया है, इसलिए चुनाव चिन्ह (आरक्षण एवं आवंटन आदेश) 1968 के तहत सिंह को कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पंजे के साथ के साथ पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने की अनुमति दी जानी चाहिए। उधर, चुनाव आयोग की ओर से सिंह की याचिका के खिलाफ दलील दी गई कि यह मामला ‘रिले रेस’ की तरह है, यानी ‘बैटन’ थामे रखने के लिए धावक को दौड़ में बने रहना होता है।
चुनाव आयोग की ओर से यह भी कहा गया कि निर्वाचन अधिकारी ने सिंह का पर्चा इसलिए रद्द किया क्योंकि उन्होंने इसमें 10 प्रस्तावकों का कॉलम खाली छोड़ दिया था। बम ने इंदौर में कांग्रेस को तगड़ा झटका देते हुए सोमवार (29 अप्रैल) को अपना नामांकन वापस ले लिया और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए। इसके साथ ही भाजपा का मजबूत गढ़ कही जाने वाली इस सीट पर कांग्रेस की चुनौती समाप्त हो गई जहां वह पिछले 35 साल से जीत की बाट जोह रही है। इंदौर सीट के उम्मीदवारों के नामांकन वापस लेने की सोमवार (29 अप्रैल) को आखिरी तारीख थी। इस क्षेत्र में 13 मई को मतदान होगा और चार जून को मतगणना की जाएगी।