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पत्नी की अंगदान करने की इच्छा पर पति की सहमति जरूरी नहींः हाई कोर्ट

जबलपुर

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कहा है कि अगर कोई महिला अपने किसी परिजन को अंगदान करना चाहती है तो इसके लिए उसे पति की सहमति लेना जरूरी नहीं है। एक महिला अपने भाई को किडनी देना चाह रही थी, लेकिन अस्पताल प्रशासन उससे पति की सहमित पत्र जमा करने को कहा था।

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में कहा है कि अगर कोई महिला अपने किसी परिजन को अंगदान करना चाहती है तो इसके लिए उसे पति की सहमति लेना जरूरी नहीं है। हाई कोर्ट ने भोपाल के एक अस्पताल को आदेश दिया है कि वह महिला के कागजी कार्रवाई को आगे बढ़ाए, जिसमें उसने अपने भाई को किडनी देने की इच्छा जताई है। दरअसल, अस्पताल प्रशासन महिला से उसके पति की सहमित पत्र लाने को कह रहा था।

हाई कोर्ट ने कहा कि मानव अंग एवं उत्तक प्रत्यारोपण कानून 1994 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि अंगदान करने के लिए किसी महिला को अपने पति से सहमति लेना आवश्यक हो। कोर्ट ने कहा कि अस्पताल प्रशासन के इस मांग का को रद किया जाता है कि महिला के लिए पति की सहमति पत्र लाना अनिवार्य है। अपने एक आदेश में जस्टिस विनय सराफ की बेंच ने कहा कि अस्पताल महिला पर पति अथवा किसी अन्य परिजन की सहमति पत्र लाने के लिए दबाव नहीं बना सकता है, सिवाय उसके जिसे अंगदान किया जाना है।

इससे पहले अस्पताल प्रशासन द्वारा पति की सहमति पत्र लाने के लिए दबाव बनाने पर 45 वर्षीय अनु वंशकर ने हाई कोर्ट की रुख किया था। उसने एक याचिका दाखिल कर कहा था कि अंगदान के लिए वह अपने पति की सहमति पत्र जमा करने को बाध्य नहीं है। महिला ने कोर्ट से कहा था कि वह अस्पताल प्रशासन, जिला व राज्य अथॉराइजेशन कमिटी को आदेश जारी करे कि वह उसके पति अशोक वंशकर की सहमति पत्र के बिना उसके किडनी दान करने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाए।

महिला ने अपनी याचिका में कहा कि डॉक्टरों ने सभी तरह के मेडिकल जांच करने के बाद उसे अपने भाई को किडनी दान करने की अनुमति प्रदान कर दी है। इसके लिए उसके परिवार के सभी लोगों ने सहमति दे दी है, लेकिन उसका पति सहमति पत्र नहीं दे रहा है। पति के सहमति पत्र के बिना अस्पताल प्रशासन उसके आवेदन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है। उसके भाई की जिंदगी खतरे में है। महिला की याचिका पर सुनवाई के बाद जस्टिस विनय सराफ ने अस्पताल प्रशासन और अथॉराइजेशन कमिटी को पति के सहमति पत्र के बिना महिला के आवेदन को आगे बढ़ने का आदेश दिया।

 

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