नई दिल्ली
दूसरे चरण की वोटिंग से पहले बरेली में बसपा को तगड़ा झटका लगा है। बरेली लोकसभा सीट से बसपा उम्मीदवार छोटेलाल गंगवार का जांच के दौरान पर्चा खारिज कर दिया गया है। नामांकन पत्र में कमियां बताते हुए उसे खारिज किया गया है। वहीं दूसरी ओर आंवला में बसपा के सिंबल पर चुनाव लड़ने वाले सत्यवीर का भी पर्चा खारिज कर दिया गया। सत्यवीर शनिवार सुबह तक खुद को बसपा का उम्मीदवार बता रहे थे, लेकिन बसपा ने आंवला में आबिद अली को उम्मीदवार बनाया हे। सत्यवीर बसपा का फर्जी लेटर लगाकर अपनी उम्मीदवारी जता रहे थे। शनिवार को बसपा प्रमुख ने सिंबल आबिद अली को दिया तो उम्मीदवारी को लेकर चल रहे कयास भी खत्म हो गए।
आंवला के बसपा उम्मीदवार बने आबिद अली
आंवला लोकसभा सीट पर बसपा के उम्मीदवार को लेकर चल रही खींचतान शनिवार को समाप्त हो गई। बसपा के सिंबल पर पहले नामांकन पत्र दाखिल करने वाले आबिद अली को बसपा प्रमुख ने सिंबल दे दिया है। जबकि सत्यवीर सिंह को झटका लगा है। रिटर्निंग ऑफिसर ने नामांकन पत्र की जांच के दौरान सत्यवीर का पर्चा खारिज कर दिया। सत्यवीर खुद को बसपा का उम्मीदवार बता रहे थे, लेकिन बसपा प्रमुख द्वारा आबिद रजा को अपना उम्मीदवार बताया गया। सत्यवीर ने बसपा प्रमुख का फर्जी लेटर लगाकर नामांकन किया था। एक दिन पहले बहुजन समाज पार्टी के सिंबल पर नामांकन पत्र दाखिल करने वाले सत्यवीर सिंह जांच में पास हो गए थे लेकिन शनिवार को आंवला लोकसभा सीट पर बसपा के दो प्रत्याशियों के नामांकन दाखिल करने की बात जब बसपा प्रमुख तक पहुंची तो खलबली मच गई। बसपा प्रमुख की ओर से आनन-फानन में आबिद अली की उम्मीदवारी पर मुहर लगाई गई। इसके बाद सत्यवीर का पर्चा खारिज कर दिया गया।
कुछ दिनों से आंवला लोकसभा सीट पर बसपा में चल रहा था घमासान
तीसरे चरण में होने वाले आंवला लोकसभा सीट पर बसपा उम्मीदवारी को लेकर पिछले कुछ दिनों से घमासान चल रहा था। बसपा की टिकट पर दो लोग अपनी-अपनी उम्मीदवारी जता रहे थे। प्रशासन के पास भी एक ही सीट पर बसपा के सिंबल पर दो नामांकन पत्र जमा हुए थे। इससे राजनैतिक गलियारों में अटकलों का दौर शुरू हो गया था। सत्यवीर का कहना था कि बसपा ने उन्हें अपना प्रत्याशी बनाया है। जबकि स्थानीय नेता आबिद अली को उम्मीदवार बता रहे थे। दोनों ही उम्मीदवार अपने-अपने काफिले के साथ क्षेत्र में जनसंपर्क भी कर रहे थे। इसी दौरान सत्यवीर के नामांकन की चर्चा बसपा नेताओं के बीच गर्मा गई। कुछ नेताओं ने इस मामले को फर्जी और अफवाह बता दिया लेकिन प्रशासन की ओर से शुक्रवार को नामांकन कराने वालों की जब सूची जारी की गई तो सियासी गलियारों में अटकलों का बाजार तेज हो गया। रात तक दोनों ही प्रत्याशी खुद को बसपा का प्रत्याशी बताते रहे थे।