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Africa के सालेह में 200 वर्षों में पहली बार पड़ रही भीषण गर्मी, जीवाश्म ईंधन व मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन को बताया जा रहा बड़ी वजह

नई दिल्ली/केपटाउन.

वर्ल्ड वेदर एट्रिब्युशन (डब्ल्यूडब्ल्यूए)  की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि अफ्रीका के साहेल क्षेत्र में अप्रैल की शुरुआत से पड़ने वाली भीषण गर्मी का कारण मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन है। पश्चिमी अफ्रीकी राष्ट्र माली और बुरकिना में भी एक से पांच अप्रैल के बीच भीषण गर्मी का अनुभव किया गया। अप्रैल में ही यहां का तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया है, जिस वजह से बड़ी संख्या में लोगों की मौत हो रही है।

डब्ल्यूडब्ल्यूए के शोधकर्ताओं द्वारा तैयार किए गए जलवायु मॉडलों के अनुसार, अफ्रीका में मार्च और अप्रैल 2024 में देखी गई ताप लहर, 1.2 सेल्सियस की ग्लोबल वॉर्मिंग के बिना उत्पन्न होना असंभव है। शोधकर्ताओं ने इसे मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन बताया है। साहेल क्षेत्र में उच्च तापमान आम है। रिपोर्ट में बताया गया कि अगर लोगों ने जीवाश्म ईंधन जलाकर ग्रह को गर्म नहीं किया होता तो अभी की तुलना में अप्रैल की गर्मी 1.4C ठंडी होती।

200 वर्षों में पहली बार सालेह में पड़ी भीषण गर्मी
रिपोर्ट में कहा गया कि 200 वर्षों में सालेह में पहली बार इतनी भीषण गरमी पड़ रही है। भविष्य में भी बढ़ते तापमान का सिलसिला जारी रहेगा। बढ़ती गर्मी के कारण दो देशों में मौतों और अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। डब्ल्यूडब्ल्यूए ने बताया कि प्रभावित देशों में डेटा की कमी के कारण मौतों की सही संख्या बताना असंभव है। गर्मी के कारण सैकड़ों नहीं तो हजारों की संख्या में मौत होने की संभावना जताई गई है। बता दें कि साहेल क्षेत्र को 1970 सूखे और 1990 में भारी बारिश का सामना करना पड़ा था।

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