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Fire Accdient: घर में आग से जिंदा जल गए 3 भाई – बहन, राख के ढेर में आपस में लिपटा मिला तीनों का जला शव

Chhattisgarh ambikapur three brothers and sisters were burnt alive in the fire in the house their burnt bodies were found wrapped in a pile of ashes: digi desk/BHN/अंबिकापुर/ सरगुजा जिले के मैनपाट में कच्चे मकान में आग से तीन भाई-बहन जिंदा जल गए। तीनों विशेष संरक्षित माझी जनजाति के थे। कच्चे का एक कमरे का मकान भी जलकर खाक हो गया। घटना के समय मृतकों की मां कमरे में नहीं थी। पिता कामकाज के सिलसिले में कुछ दिनों से बाहर गए हुए हैं। घटना को लेकर अभी कई जानकारी स्पष्ट नहीं हो सकी है। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी मौके पर जांच में जुटे हुए हैं।

मैनपाट के बरिमा पकरीपारा में देवप्रसाद माझी का कच्चा मकान है। पिछले कई दिनों से वह काम के सिलसिले में बाहर गया है। शनिवार की रात उसकी पत्नी सुधनी बाई तीन मासूम बच्चों गुलाबी (8), सुषमा (6), रामप्रसाद (4) को घर में छोडकर नजदीक में रहने वाले रिश्तेदार के यहां गई हुई थी घर के दरवाजे को उसने बाहर से बंद कर दिया था। जब वह वापस लौटी तो देखा कि घर धू धू कर जल रहा था। घटना की जानकारी लगते ही बड़ी संख्या में गांव के लोग भी मौके पर जमा हो गए लेकिन आग बुझाने का कोई भी उपाय काम नहीं आया ।स्थानीय स्तर पर संसाधनों की कमी भी बाधा बनी। देखते ही देखते आग की लपटे तेज हो गई।घर के अंदर पुआल का ढेर भी था। इस कारण भी आग तेजी से फैली। तीनों बच्चे की जलने से मौत हो गई। राख के ढेर में उनका जला हुआ शव एक दूसरे से लिपटे अवस्था में मिला। आग कैसे लगी, इसका पता नहीं चल सका है। अभी पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी जांच में लगे है। बच्चों की मां कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं हैं।

प्लास्टिक और पुआल के छप्पर के कारण तेजी से फैली आग

मैनपाट में निवासरत विशेष संरक्षित जनजाति माझी समुदाय के ज्यादातर परिवार आर्थिक अभावों के बीच जीवन-यापन कर रहे हैं। दूसरों के यहां मेहनत मजदूरी कर ज्यादातर परिवारों का भरण – पोषण होता हैं। मृत बच्चों का पिता एक सप्ताह से पुणे में रोजगार के लिए गया है। एक बड़े कमरे वाले उसके कच्चे मकान का छप्पर ,प्लास्टिक-घांस फूस और पुआल का उपयोग कर बनाया गया था इसलिए आग तेजी से फैली। छप्पर का हिस्सा तेजी से जला। माझी परिवार के लोगों द्वारा पुआल का उपयोग ठंड से बचने बिस्तर के रूप में भी किया जाता है। कमरे में भी पुआल का ढेर था इसलिए आग ने भयावह रूप ले लिया था। घर के दरवाजे की कुंडी भी बाहर से लगी हुई थी।घटनास्थल पर लोगों की भीड़ जमा है। जिस किसी ने भी बच्चों के शवों को देखा उनका दिल पसीज गया।

प्रथम दृष्टया मामला संदिग्ध, चाचा के घर सो रही थी बड़ी बेटी

विशेष संरक्षित माझी जनजाति के एक ही परिवार के तीन बच्चों की जलकर हुई मौत का यह मामला संदिग्ध हैं। इस घटना में मृतकों की मां से पूछताछ कर पुलिस जानकारी जुटाने का प्रयास कर रही है। बच्चों की मां का कहना है कि वह तीनों बच्चों को सुलाकर थोड़ी दूर में रहने वाले रिश्तेदार के यहां गई थी। उसने बाहर से घर की कुंडी भी लगा दी थी। महिला के घर के बगल में ही देवर का भी घर है। उसके यहां महिला की 11 वर्ष की बड़ी बेटी सो रही थी। महिला के घर में नहीं होने की जानकारी उन लोगों को भी नहीं थी। सबसे बड़ी बात है कि जिस घर में आग लगी उसके चंद हाथ की दूरी पर ही महिला के देवर का भी घर है लेकिन उन्हें भी आग लगने का आभास नहीं हुआ।महिला का कहना है कि मध्यरात्रि जब वह वापस लौटी तो घर धू – धू कर जल रहा था। महिला जिस रिश्तेदार के घर जाना बता रही है,उस परिवार के सदस्यों को पुलिस ने घटनास्थल पर बुलाया है। उनसे पूछताछ में भी कुछ जानकारी सामने आएगी। यह मामला संदेहास्पद है। मृत बच्चों की मां व बगल में ही रहने वाले नजदीकी रिश्तेदारों की भूमिका पर संदेह है। पुलिस उन सभी से पूछताछ कर घटना के कारणों का पता लगाने का प्रयास कर रही है।

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