आज के समय में ज्यादातर लोग iPhone का इस्तेमाल करते हैं. लोगों के बाच आईफोन काफी लोकप्रिय फोन है. इसकी पॉपुलैरिटी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हर देश में इसके यूजर्स हैं. आईफोन में लोगों को कुछ ऐसे लेटेस्ट फीचर्स मिलते हैं, जो इसे बाकी स्मार्टफोन से अलग बनाते हैं. इसी की वजह से आईफोन कई लोगों की पहली पसंद होता है. लेकिन, जब आईफोन में कुछ खराबी आ जाती है तो उसे ठीक कराने में लोगों के काफी पैसे खर्च हो जाते हैं. अब आप अपने iPhone को खुद भी ठीक कर सकेंगे. Apple ने अमेरिका और कुछ देशों में खुद आईफोन की मरम्मत करने के लिए सेल्फ-रिपेयर प्रोग्राम शुरू किया था, लेकिन कई लोगों इस प्रोग्राम को बहुत सख्त और सीमित बताया. अब कंपनी इस प्रोसेस में बदलाव कर रही है.
घर पर ठीक कर पाएंगे अपना iPhone
पहले अगर आपके iPhone में कोई दिक्कत थी और आप उसे खुद ठीक करना चाहते थे, तो आपको Apple से ही स्पेयर पार्ट्स और टूलकिट मंगवाना पड़ता था. सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि Apple चाहता था कि लोग सिर्फ नए और असली पार्ट्स इस्तेमाल करके ही फोन ठीक करें. लेकिन, अब ये नियम बदल रहा है. आने वाले कुछ हफ्तों में आप अपने iPhone (कुछ खास मॉडल्स) को घर पर खुद ही ठीक कर सकेंगे, चाहे वो पार्ट्स पहले से आपके पास हों या किसी दोस्त या रिश्तेदार से लिए हों.
पहले एप्पल ये बहुत सख्ती से देखता था कि आईफोन को रिपेयर करने के दौरान कौन से पार्ट्स इस्तेमाल किए जा रहे हैं. अगर आप फोन में कोई असली पार्ट्स नहीं लगाते थे तो Apple को पता चल जाता था और कुछ फीचर्स, जैसे Face ID या Touch ID काम करना बंद कर देते थे.
किन मॉडल्स पर लागू होगा नियम
लेकिन, अब Apple खुद कह रहा है कि इस्तेमाल किए हुए असली पार्ट्स उतने ही अच्छे से काम करेंगे, जितने नए पार्ट्स करते थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक ये नया नियम iPhone 15 और उससे बाद वाले मॉडल्स पर लागू होगा. यानी आप इन फोन की स्क्रीन, बैटरी और कैमरा खुद ठीक कर सकेंगे, वो भी पुराने पार्ट्स इस्तेमाल करके. भविष्य में आने वाले iPhones में अगर Face ID खराब हो जाए तो आप उसे भी इस्तेमाल किए हुए पार्ट से ठीक कर सकेंगे.
यहां देख पाएंगे जानकारी
हालांकि, Apple इस प्रक्रिया पर नजर रखेगा और कौन से पार्ट्स बदले गए हैं, उनकी जानकारी आपके फोन में स्टोर करेगा. ये जानकारी आप iOS सेटिंग्स में Parts and Service History सेक्शन में देख सकेंगे. अमेरिकी सरकार के राइट टू रिपेयर कानून की वजह से एप्पल को ये कार्यक्रम शुरू करना पड़ा था. लेकिन कंपनी अब इस कार्यक्रम को बेहतर बनाने की कोशिश कर रही है और ये बदलाव लोगों की राय बदलने में मदद करेंगे.