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एमजीएम मेडिकल कालेज में अब चिकित्सकों को एक क्लिक पर ही रोगियों की संपूर्ण जानकारी मिल सकेगी

इंदौर
एमजीएम मेडिकल कालेज में ई-लर्निंग साफ्टवेयर की जगह हास्पिटल मैनेजमेंट इंफार्मेशन साफ्टवेयर संचालित किया जाएगा। इसमें अब चिकित्सकों को एक क्लिक पर ही रोगियों की संपूर्ण जानकारी मिल सकेगी। इसके लिए हाल ही में सुपर स्पेशिएलिटी अस्पताल में डाक्टर सहित अन्य स्टाफ को तीन दिवसीय प्रशिक्षण दिया जा चुका है। अभी इसकी डेमो आइडी स्टाफ को दे दी गई है।

अब तक जांच की रिपोर्ट सिर्फ रोगियों को ही फोन पर उपलब्ध होती थी, लेकिन अब डाक्टर के पास जाने के साथ ही रिकार्ड में भी होगी। इससे मरीज को अपनी पुरानी रिपोर्ट भी साथ नहीं लानी होगी। साफ्टवेयर से एमवाय अस्पताल, सुपर स्पेशिएलिटी, शासकीय कैंसर अस्पताल, स्कूल आफ एक्सीलेंस फार आई, मानसिक चिकित्सालय, एमटीएच, मनोरमा राजे टीबी अस्पताल और चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय को जोड़ा गया है।

रोगियों के ओपीडी, आइपीडी का भी होगा रिकार्ड
इस साफ्टवेयर में रोगियों के ओपीडी, आइपीडी रिकार्ड की भी जानकारी जुड़ जाएगी, ताकि चिकित्सकों को पता चल सकेगा कि यह मरीज कितनी बार दिखाने आया है और कितनी बार भर्ती करने की आवश्यकता पड़ी है। इससे यह भी जानकारी मिल पाएगी कि किस डाक्टर की ड्यूटी किस समय कहां लगी हुई है।

अस्पताल में कितने मरीज भर्ती हैं और कितने बिस्तर खाली हैं। यह जानकारी भी साफ्टवेयर के माध्यम से उपलब्ध हो सकेगी। इससे रोगियों के साथ ही चिकित्सकों को भी सुविधाएं मिलने लगेंगी। साफ्टवेयर संचालित करने की ट्रेनिंग डाक्टर, नर्सिंग स्टाफ, कम्प्यूटर्स आपरेटर, मेडिसिन स्टोर, लैब टेक्नीशियन, रिकार्ड स्टाफ, बिलिंग स्टाफ आदि को दी गई है।

एक नजर में
– 08 अस्पतालों को जोड़ा साफ्टवेयर से
– 03 दिन चली डाक्टरों और स्टाफ की ट्रेनिंग
– सभी विभागों को जोड़ा साफ्टवेयर से
– हर वर्ष लाखों मरीज आते हैं एमजीएम से जुड़े अस्पतालों में
– बेड की उपलब्धता की जानकारी मिलेगी साफ्टवेयर से
स्टोर में दवाई की स्थिति भी साफ्टवेयर में होगी

साफ्टवेयर में अस्पताल के स्टोर में मौजूद दवाइयों की स्थिति का भी रिकार्ड होगा। इससे यह पता चल सकेगा कि किस दवाई का उपयोग अधिक हो रहा है, किस दवाई की आवश्यकता है। साथ ही किन दवाइयों की आवश्यकता है, वह भी जानकारी इसमें उपलब्ध होगी। वर्तमान में कई बार रोगियों को दवाइयां नहीं मिलने की समस्या आती रहती है, लेकिन साफ्टवेयर के बाद इस समस्या से भी निजात मिलने लगेगा। बता दें कि अस्पतालों को हाइटेक बनाने के लिए यह साफ्टवेयर संचालित किया जा रहा है। संपूर्ण जानकारी मिल सकेगी

 

 

 

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