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पाकिस्तानी के तालिबान के साथ उसके युद्ध जैसे हालात बने हुए, आतंकवादी हमलों से लोगों में डर का माहौल

इस्लामाबाद
इन दिनों पाकिस्तान मुश्किल हालात से गुजर रहा है। एक तरफ तालिबान के साथ उसके युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। देश के भीतर लगातार आतंकवादी हमलों से लोगों में डर का माहौल है। हाल ये हो गए हैं कि पुलिस के अधिकारी भी आतंकियों के डर से घरों में दुबके हुए हैं। उन्हें वर्दी पहनने से भी डर लग रहा है। पाकिस्तान के खैबर पख्चूनख्वा में करीब 1200 पुलिस अधिकारी और जवान अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। आतंकियों का खौफ इस कदर दिमाग पर चढ़ गया है कि पुलिस अधिकारी गश्त पर जाने से भी कतरा रहे हैं। पुलिस थाने बिन जवानों के सूने पड़े हैं। कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं किया जा रहा है।

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के दक्षिणी वजीरिस्तान इलाके के करीब 1200 पुलिसकर्मी दो दिन से हड़ताल पर हैं।  रिपोर्ट है कि लोअर साउथ वज़ीरिस्तान, तोई खोला, स्पेन, तनाई, शिकाई, आजम वारसाक, ज़गज़ई के छह पुलिस स्टेशनों और उनसे जुड़ी चौकियों में यह अनिश्चकालीन हड़ताल चल रही है। दक्षिण वज़ीरिस्तान के छह पुलिस स्टेशनों और उनसे जुड़ी चौकियों में शनिवार से कोई रिपोर्ट भी दर्ज नहीं गई है। पुलिस नियमों के अनुसार, किसी भी पुलिस स्टेशन में गश्त, मामलों की जांच, छापेमारी, एफआईआर दर्ज करना, अदालत में पेशी पर उपस्थिति, अधिकारियों की उपस्थिति सहित सभी दैनिक कर्तव्य थानों में डायरी पर दर्ज किए जाते हैं लेकिन, ऐसा कुछ भी नहीं हो पा रहा है क्योंकि वे आतंकी हमलों के डर से घरों में दुबके हुए हैं।

पाकिस्तान में पुलिस की मजबूरियां
दक्षिणी वज़ीरिस्तान में हड़ताल पर गए पुलिस कर्मियों का कहना है कि क्षेत्र में ड्यूटी के दौरान प्राइवेट वाहनों का उपयोग करने के लिए उन्हें विभागीय कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। कई पुलिस अधिकारी और कर्मचारी इन आरोपों में सस्पेंड भी हो चुके हैं। वे आगे कहते हैं कि उन्हें अपनी कानूनी शक्तियों का प्रयोग करने की भी अनुमति नहीं दी जा रही है।

आतंकी हमलों का सता रहा डर
एक पुलिस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बीबीसी को बताया कि वजीरिस्तान में पुलिस अधिकारी इस समय आतंकवादियों से खतरे का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर वे सरकारी वाहन या पुलिस मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है और ऐसे में आतंकी हमलों का खतरा बढ़ जाएगा। रात के वक्त आतंकी हमलों का खतरा ज्यादा रहता है। इसलिए रात में गश्ती भी नहीं जा रही है। इस पुलिस अधिकारी का कहना है कि इसी वजह से ज्यादातर अधिकारी सरकारी ड्यूटी करने के लिए अपने निजी वाहनों का इस्तेमाल करते हैं।

18 घंटे की ड्यूटी पर सम्मान नहीं
पुलिस अधिकारी ने कहा कि एक और बड़ी समस्या विभिन्न चेक पोस्टों पर अर्धसैनिक बलों के साथ संयुक्त तैनाती है। उनका कहना है कि इन चेक पोस्टों पर पुलिसकर्मियों के साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं किया जाता है। वह कहते हैं, ''पुलिसकर्मी लंबे समय तक काम करते हैं।'' ज्यादातर समय ड्यूटी 18-18 घंटे तक चली जाती है। जबकि 24 घंटे पुलिस स्टेशनों और चौकियों पर रहना पड़ता है। फिर भी हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता।' पुलिस अधिकारी उस्मान वजीर ने कहा कि दक्षिण वज़ीरिस्तान में पुलिस के पास कोई अधिकार नहीं है। "हमें केवल इतना आदेश दिया जाता है कि फलां के खिलाफ मामला दर्ज करें, फलां को गिरफ्तार करें, ऐसा करें, वैसा करें।" ऐसी हरकतें हमारे लिए समस्याएं पैदा करती हैं।'

 

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