नई दिल्ली
लॉरेंस बिश्नोई और कौशल चौधरी गैंग की आपसी दुश्मनी के बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एक गंभीर खुलासा किया है। इस खुलासे में कहा गया है कि देश में एक बार फिर 1990 के दशक के दाऊद इब्राहिम गैंग वाले हालात बन रहे हैं। दरअसल, एनआईए पिछले एक साल से प्रो-खालिस्तानी एलिमेंट (पीकेई) और गैंगस्टर गठजोड़ की जांच कर रही थी और अब इसे लेकर कुछ अहम जानकारियां उसके सामने आई हैं। कोर्ट में दाखिल अपनी कई चार्जशीटों में एनआईए ने साफ तौर पर कहा है कि गैंगस्टर और प्रो-खालिस्तानी एलिमेंट का बनता ये नया गठजोड़ ठीक वैसा ही है, जैसा 1990 के दशक में था। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम ने उस वक्त पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से हाथ मिलाया था और बाद में 1993 में मुंबई में बम धमाके कराए।
ईटी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय आतंकवादियों, गैंगस्टर सिंडिकेट और प्रो-खालिस्तानी एलिमेंट से जुड़े एक दर्जन से ज्यादा मामलों की जांच एनआईए कर रही है और अभी तक 45 से ज्यादा संदिग्ध लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। हालांकि, एक बड़ी चुनौती ये है कि कनाडा, यूएसए, ऑस्ट्रेलिया, दुबई और यूके में इनके विदेशी हैंडलर अभी भी बड़े पैमाने पर मौजूद हैं। एनआईए ने कहा है कि इस वक्त लॉरेंस बिश्नोई गैंग और कौशल चौधरी गैंग के बीच की दुश्मनी ठीक वैसी ही है, जैसी 1990 के दशक में दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन की थी।
कैसे बना और फैला लॉरेंस बिश्नोई गैंग
2009 से 2014 के बीच लॉरेंस बिश्नोई और सतिंदरजीत सिंह उर्फ गोल्डी बराड़ चंडीगढ़ की पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे थे। उसी दौरान 2010 में लॉरेंस बिश्नोई के ऊपर पहला केस दर्ज हुआ और उसपर पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन के अध्यक्ष उदय वारिंग पर फायरिंग करने का आरोप लगा। पुलिस ने बिश्नोई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल से बाहर निकलते ही लॉरेंस बिश्नोई ने गोल्डी बराड़, विक्रम बराड़, अनमोल बिश्नोई, सचिन थापन और संपत नेहरा के साथ मिलकर अपना एक गैंग बनाया। उसने सबसे पहले अलग-अलग कॉलेजों में अपना वर्चस्व स्थापित किया। साल 2012 तक लॉरेंस बिश्नोई के ऊपर 13 क्रिमिनल केस दर्ज हो चुके थे, जिसके बाद वो घर से भाग गया और अपने साथियों के साथ ही रहने लगा। इस गैंग ने शराब ठेकेदारों, ड्रग स्मगलरों और व्यापारियों को डराकर जबरन वसूली करना शुरू कर दिया।
एनआईए मानती है कि अंडरवर्ल्ड की दुनिया में लॉरेंस बिश्नोई और उसका गैंग ठीक वैसे ही आगे बढ़ा है, जैसे किसी वक्त डी कंपनी चलाने वाले दाऊद इब्राहिम ने अपना सिंडिकेट बनाया था। पंजाब, हरियाणा, यूपी, राजस्थान, दिल्ली और चंडीगढ़ के गैंग इस वक्त एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं और इन्हें जोड़ने वाला मास्टरमाइंड तिहाड़ जेल में बैठा लॉरेंस बिश्नोई ही है। ये गैंगस्टर अपने सिंडिकेट के जरिए, केवल पंजाब ही नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों में भी युवाओं को लालच देकर अपने गैंग का हिस्सा बनाते हैं। लालच के तौर पर या तो एक बड़ी रकम दी जाती है, या फिर विदेश में बसाने का ऑफर दिया जाता है। जाने-माने सिंगर सिद्धू मूसेवाला और राजू ठेहट की हत्या में भी ये गैंग शामिल रहे हैं।
कैसे काम करता है कौशल चौधरी गैंग
लॉरेंस बिश्नोई के दुश्मन कौशल चौधरी के सिंडिकेट में देवेंद्र बंबिहा, नीरज बवाना और अमित डागर के गैंग शामिल हैं। ये गैंग पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और यूपी में काम करता है। एनआईए को अपनी जांच में पता चला कि बड़े स्तर पर अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए ये गैंग हाथ मिला चुके हैं। गुरुग्राम और आसपास के इलाकों में कौशल चौधरी और अमित डागर का गैंग काम करता है। इसी तरह, नीरज सहरावत उर्फ नीरज बवाना, नवीन डबास और सुनील बालियान उर्फ टिल्लू ताजपुरिया का गैंग दिल्ली के बाहरी इलाकों और रोहिणी में काम कर रहा था। यमुनानगर, चंडीगढ़ और आसपास के इलाकों में गैंग की कमान भूपिंदर सिंह और गौरव पटियाल के हाथों में थी।
भारत के साथ-साथ विदेश में भी नेटवर्क
लॉरेंस बिश्नोई ने उत्तर भारत के लगभग सभी छोटे-बड़े गैंग के साथ गठजोड़ की एक प्लानिंग तैयार की। पंजाब से बाहर उसने हरियाणा में संदीप उर्फ काला जठेड़ी और वीरेंद्र प्रताप को अपने साथ जोड़ा। दिल्ली में उसने जितेंद्र मान गोगी से हाथ मिलाया। राजस्थान में आनंदपाल और उसके मरने के बाद रिवॉल्वर रानी कही जाने वाली अनुराधा चौधरी को अपने गैंग का हिस्सा बना लिया। काला जठेड़ी और अनुराधा ने हाल ही में शादी भी की है। एनआईए का कहना है कि इन सभी को अपने साथ जोड़ने से लॉरेंस बिश्नोई की ताकत कई गुना बढ़ गई। इन गैंग के जरिए बिश्नोई अपने सारे काम जेल के अंदर से ही करने लगा। जेल के अंदर से काम करने में बिश्नोई इतना माहिर हो चुका है कि पिछले लंबे समय से उसने किसी मामले में जमानत के लिए कोई याचिका तक नहीं दी है।
एनआईए के मुताबिक, उत्तर भारत के सबसे खतरनाक गैंगस्टरों में शामिल लॉरेंस बिश्नोई के गुर्गों की संख्या करीब 700 है, जिनमें से 300 अकेले पंजाब में फैले हुए हैं। बिश्नोई का नेटवर्क भारत के साथ-साथ कनाडा, अमेरिका और दुबई सहित अलग-अलग देशों में फैला हुआ है। भारत की ही बात करें, तो बिश्नोई का गैंग पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, चंडीगढ़, दिल्ली, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश में काम करता है।
विदेशों में पैसा भी भेजता है बिश्नोई
एनआईए का कहना है कि इसी बीच लॉरेंस बिश्नोई की मुलाकात थाईलैंड में रहने वाले मनीष भंडारी से हुई, जो मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में शामिल रहा है। भंडारी थाईलैंड में बॉलीवुड क्लब नाम से नाइट क्लब चेन, कैमा क्लब और होटल-रेस्टोरेंट चलाता है। भारत में जबरन वसूली, अवैध शराब और हथियारों की तस्करी के जरिए जो पैसा जमा होता है, उसे लॉरेंस बिश्नोई हवाला के जरिए थाईलैंड में मनीष भंडारी के पास भेजकर नाइट क्लब और बार में इन्वेस्ट करता है। इसके अलावा इस पैसे का इस्तेमाल गुर्गों को देने और भारत में प्रॉपर्टी खरीदने में भी किया जाता है। एनआईए के मुताबिक, इस रकम का एक बड़ा हिस्सा विदेशों में बैठे उसके साथियों और खालिस्तान समर्थक आतंकियों की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए कनाडा, अमेरिका, दुबई, थाईलैंड और ऑस्ट्रेलिया भी भेजा जा जुका है।
प्रो-खालिस्तान एलिमेंट-गैंगस्टर गठजोड़
साल 2015 के बाद से पंजाब में बेअदबी की घटनाएं अचानक से बढ़ी हैं। इनमें 2015 का बरगारी मोर्चा आंदोलन और 2016 का नाभा जेल ब्रेक कांड शामिल है। एनआईए का कहना है कि विदेशों में स्थित पीकेई के समर्थन से ही पंजाब में सिख कट्टरपंथी नेताओं ने कौम वास्ते काम की आड़ में बरगारी में एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था। इसके साथ ही पीकेई ने कौम दे दुश्मन की आड़ में टारगेट किलिंग करना शुरू किया। हालांकि, यहां पीकेई के सामने एक मुश्किल थी। दरअसल, विदेश में बैठे आतंकियों के इशारे पर जो कट्टरपंथी टारगेट किलिंग के लिए तैयार थे, उनके पास ना तो हथियार थे, ना उन्हें चलाने की ट्रेनिंग और ना ही हत्या को अंजाम देने के बाद छिपने के लिए कोई ठिकाना।
पाकिस्तान से कैसे जुड़ा कनेक्शन
इस मुश्किल से निपटने के लिए खालिस्तानी आतंकी और खुद को खालिस्तान लिबरेशन फोर्स (केएलएफ) का चीफ बताने वाले हरमीत सिंह पीएचडी ने लुधियाना जेल में बंद खतरनाक गैंगस्टर धरमिंदर सिंह उर्फ गुग्गी से संपर्क साधा और धर्म के नाम पर हथियार उपलब्ध कराने के लिए कहा। गुग्गी ने हरदीप सिंह और रमनदीप सिंह को हथियार मुहैया कराए, जिन्होंने पंजाब आरएसएस के उपाध्यक्ष ब्रिगेडियर जगदीश गगनेजा, शिवसेना के नेता दुर्गा दास गुप्ता, अमित शर्मा, आरएसएस नेता रविंदर गोसाईं और डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों सहित कई लोगों की टारगेट किलिंग की। हरमीत सिंह पीएचडी की साल 2020 में पाकिस्तान के लाहौर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
इससे बाद नवंबर 2016 में खालिस्तानी आतंकियों और गैंगस्टर के इस गठजोड़ ने नाभा हाई सिक्योरिटी जेल ब्रेक कांड को अंजाम दिया। एनआईए का कहना है कि नाभा जेल ब्रेक कांड के जरिए आतंकियों और गैगस्टर की इस एसोसिएशन ने दो खूंखार आतंकवादियों- प्रतिबंधित संगठन केएलएफ के मुखिया हरमिंदर सिंह उर्फ मिंटू और केएलएफ के ही आतंकी कश्मीर सिंह गालवाड़ी सहित चार गैंगस्टरों विक्की गौंडर, गुरप्रीत सिंह सेखों, कुलप्रीत सिंह नीता और अमनदीप सिंह को फरार कराया। इनके अलावा 15 और गैंगस्टर भी इस जेल ब्रेक के दौरान भाग निकले। इस जेल ब्रेक कांड के मास्टरमाइंड के तौर पर गैंगस्टर से आतंकी बने रमनजीत सिंह और खालिस्तानी आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने काम किया। रमनजीत सिंह इस वक्त हांगकांग में हिरासत में है। जेल ब्रेक कांड की प्लानिंग और इसके कामयाब हो जाने से आतंकी संगठन खुश थे और इसलिए उन्होंने गैंगस्टरों के साथ अपना गठजोड़ और आगे बढ़ाया। इस गठजोड़ का इस्तेमाल बाद में इन्होंने पंजाब और देश के अन्य हिस्सों में अशांति पैदा करने के अपने मकसद को पूरा करने में किया।
इसके बाद पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने दिल्ली, पंजाब और देश के बाकी हिस्सों में टारगेट किलिंग की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने के मकसद से कुख्यात गैंगस्टर से आतंकी बने हरविंदर सिंह उर्फ रिंडा, लखबीर सिंह उर्फ लांडा और अर्शदीप उर्फ अर्श डल्ला का नेटवर्क इस्तेमाल करने के लिए इन्हें अपने साथ शामिल किया। हरविंदर सिंह उर्फ रिंडा इस वक्त पाकिस्तान में है। हरविंदर सिंह ने भारत में हत्याओं को अंजाम देने और सुरक्षा प्रतिष्ठानों पर हमले के लिए बिश्नोई के शूटरों को अपने भर्ती करना शुरू किया। टारगेट पाकिस्तान में बैठे हरविंदर सिंह ने तय किए और इसके बाद उसका मैसेज जेल के अंदर या बाहर वाले गैंगस्टरों तक पहुंचा। आगे की जिम्मदारी अलग-अलग शूटरों को सौंप दी गई। बिश्नोई का गैंग मोहाली में पंजाब पुलिस के इंटेलिजेंस हेडक्वार्टर पर हुए हमले में शामिल था।