- आवेदन में कहा गया था कि यदि उन्हें परीक्षा में शामिल नहीं किया गया तो उनके कई वर्ष बर्बाद हो जाएंगे
- सुनवाई के दौरान प्रदेश के सभी नर्सिंग कालेजों की जांच करने के आदेश सीबीआइ को दिए थे
- सीबीआइ की तरफ से 308 कालेज की जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की गयी थी
Madhya pradesh jabalpur mp high court permission to appear in examination to nursing students found ineligible in cbi investigation: digi desk/BHN/जबलपुर/ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य के हजारों नर्सिंग छात्रों के हक में महत्वपूर्ण आदेश पारित किया। इसके तहत सीबीआइ जांच में अपात्र पाए गए छात्रों को परीक्षा में शामिल करने की अनुमति प्रदान कर दी है। न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी व न्यायमूर्ति एके पालीवाल की युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है छात्र स्नातक नहीं है। सरकारी कर्मचारियों की गलतियों का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ रहा है। छात्रों को एक अवसर प्रदान करने हुए परीक्षा में शामिल किया जाए।
दरअसल, अपात्र व कमियां पाए गए कॉलेजों की ओर से अंतरिम आवेदन पेश कर पूर्व में दिए गए फैसले में संशोधन की मांग की गई थी। आवेदन में कहा गया था कि यदि उन्हें परीक्षा में शामिल नहीं किया गया तो उनके कई वर्ष बर्बाद हो जाएंगे।
उल्लेखनीय है की ला स्टूडेंट एसोसिएशन की तरफ से प्रदेश में संचालित फर्जी नर्सिंग कालेजों को संचालन को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गयी थी। याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश के सभी नर्सिंग कालेजों की जांच करने के आदेश सीबीआइ को दिए थे।
सीबीआइ की तरफ से 308 कालेज की जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की गयी थी। सीबीआइ रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में संचालित 169 नर्सिंग कालेज पात्र पाए गए हैं। 74 नर्सिंग कालेज ऐसे पाए गए जो मानकों को तो पूरा नहीं करते हैं किंतु उनमें ऐसी अनियमितताएं हैं जिन्हें सुधारा जा सकता है तथा 65 कालेज आयोग्य पाए गए है।
युगलपीठ ने अपने आदेश में मानक पूरा नहीं करने वाले कालेजों की खामियां दूर करने हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस आर के श्रीवास्तव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी। कालेजों को मान्यता देने के लिए निरीक्षण करने वाले दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की अनुशंसा के निर्देश भी कमेटी को दिए गए थे।