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World: CAA की आलोचना पर जयशंकर ने अमेरिका को दिया करारा जवाब, ‘मैं हमारे इतिहास की उनकी समझ पर सवाल उठा रहा हूं..!

  1. अमेरिका के साथ-साथ दुनिया के कुछ देशों ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) की आलोचना की है
  2. इन प्रतिक्रियाओं के बाद अब विदेश मंत्री एस जयशंकर का भी बड़ा बयान सामने आया है
  3. ऐसे ‘कई उदाहरण’ हैं जिनमें कई देशों के पास फास्ट-ट्रैक नागरिकता है

National jaishankar gave a befitting reply to america on the criticism of caa i am questioning their understanding of indian history: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ देश में जब से नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) की अधिसूचना जारी हुई है, तब सियासी कोहराम मचा हुआ है। भारत के साथ-साथ अब विदेशों से CAA को लेकर प्रतिक्रिया आ रहा है। अमेरिका के साथ-साथ दुनिया के कुछ देशों ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) की आलोचना की है। इन प्रतिक्रियाओं के बाद अब विदेश मंत्री एस जयशंकर का भी बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि ऐसे ‘कई उदाहरण’ हैं जिनमें कई देशों के पास फास्ट-ट्रैक नागरिकता है।

शनिवार को इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2024 में विशेष चर्चा के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कई सवालों के जवाब दिए। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी धरती पर एक खालिस्तानी अलगाववादी को मारने की साजिश रचने के आरोपों का सामना कर रहे एक भारतीय नागरिक और अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी की टिप्पणियों पर भी जवाब दिए।

CAA की आलोचना पर क्या बोले जयशंकर

जयशंकर ने कहा ‘आप भारत और कनाडा का कई उदाहरण दे रहे है, अमेरिकी राजनीति ने हिंसक चरमपंथी विचारों और गतिविधियों को उस तरह की जगह नहीं दी है, जिस तरह से कनाडा ने दी है। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए एस जयशंकर ने कहा कि, मुझे नहीं लगता कि इन्हें एक साथ रखना अमेरिका के लिए उचित है। जयशंकर ने कहा कि मैं दोनों के बीच अंतर करूंगा।’

सीएए की अधिसूचना को लेकर अमेरिकी बयान पर उन्होंने कहा कि ‘मैं उनके लोकतंत्र या उनके सिद्धांतों की खामियों पर सवाल नहीं उठा रहा हूं। मैं हमारे इतिहास के बारे में उनकी समझ पर सवाल उठा रहा हूं। यदि आप दुनिया के कई हिस्सों से टिप्पणियां सुनते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे भारत का विभाजन कभी नहीं हुआ था, कोई परिणामी समस्याएं नहीं थीं जिन्हें CAA को संबोधित करना चाहिए।

जयशंकर ने सीएए पर आलोचना करने वालों को जवाब देते हुए कहा कि अपनी बात रखने के लिए कई उदाहरण भी दिए। उन्हें समस्या होती है, जब लोग अपनी नीतियों को नहीं देखते हैं। उन्होंने जैक्सन-वनिक संशोधन का हवाला दिया, जो सोवियत संघ के यहूदियों, लॉटेनबर्ग संशोधन, स्पेक्टर संशोधन और हंगेरियाई लोगों की तेजी से ट्रैकिंग के बारे में था। जयशंकर ने कहा कि अगर आप मुझसे पूछें कि क्या अन्य देश, अन्य लोकतंत्र जातीयता, आस्था, सामाजिक विशेषताओं के आधार पर तेजी से आगे बढ़ते हैं, तो मैं आपको कई उदाहरण दे सकता हूं।’

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