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रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण विभाग शहडोल की है, उद्गम स्थल अमरकंटक में जल प्रदूषण, कुंड स्नान पर रोक की तैयारी

अनूपपुर
पुण्य सलिला एवं मध्य प्रदेश की जीवन रेखा मां नर्मदा का उद्गम अमरकंटक से हुआ है। नर्मदा मंदिर के निकट उद्गम स्थल है। यहां स्थित कोटि तीर्थ घाट पर उद्गम स्थल से नर्मदा सर्वप्रथम कुंड में पहुंचती है। यहां का जल प्रदूषित हो गया है। आचमन योग्य भी जल वर्तमान में नहीं है यह रिपोर्ट प्रदूषण नियंत्रण विभाग शहडोल की है। हाल ही महाशिवरात्रि के अवसर पर श्रद्धालुओं की भीड़ इस कदर उमड़ी की कुंड के जल में आक्सीजन कम हो गई और प्रदूषण की मात्रा बढ़ गई। नर्मदा जल की शुद्धता बनी रहे इसलिए अब कोटि तीर्थ घाट पर स्नान पर प्रतिबंध लग सकता है इसके लिए नगर पंचायत ने पहल शुरू कर दी है।
 

नर्मदा मंदिर कुंड में स्नान
नर्मदा मंदिर परिसर पर भी एक मुख्य कुंड है जहां पूर्व में स्नान एवं पूजन की अनुमति श्रद्धालुओं की थी किंतु जल प्रदूषण बढ़ने से एक दशक पूर्व लगभग वर्ष 2003 में इसे स्नान हेतु प्रतिबंधित कर दिया गया। प्रतिदिन अमरकंटक में दस हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंचते हैं। कोटि तीर्थ कुंड श्रद्धालुओं के लिए स्नान और पूजन तथा आचमन का सबसे अधिक धार्मिक आस्था का केंद्र है।

हजारों लोगों के द्वारा एक दिन में यहां डुबकी लगाई जाती है। कोटि तीर्थ घाट कुंड की लंबाई लगभग 70 फिट है। जिसकी गहराई लगभग 6 फिट है यहां जल के निकासी बेहद धीमी गति से रामघाट की तरफ होती है। ऐसे में कुंड में स्नान करने वाले लोगों का भारी दबाव जल में आ जाता है जिससे आक्सीजन की कमी हो जाती है साथ ही जल प्रदूषित हो जाता है।
 
आक्सीजन की कमी
अमरकंटक में पांच से अधिक दिनों तक यहां महाशिवरात्रि पर्व का मेला आयोजित हुआ जिससे अपार भीड़ यहां पहुंची जिससे नर्मदा उद्गम स्थल के इस कोटि तीर्थ घाट का प्रदूषण बढ़ गया। ऑक्सीजन की मात्रा 6.5 मिलीग्राम प्रति लीटर जल में होनी चाहिए लेकिन मानक के अनुसार कोटि तीर्थ स्नान कुंड के जल में आक्सीजन की मात्रा घटकर 1.6 मिलीग्राम प्रति लीटर रह गई है। इससे पानी को साफ रखने वाले जलीय जीव जंतुओं और इको सिस्टम पर खतरा मंडराने लगा है।

धार्मिक पर्व पर ज्यादा प्रदूषण का असर
अमरकंटक में कई धार्मिक पर्व समय-समय पर मनाए जाते हैं। नर्मदा प्रकटोत्सव, श्रावण माह, पूर्णिमा, अमावस्या, दीपावली, होली, महाशिवरात्रि जैसे मुख्य अवसरों पर श्रद्धालुओं का दबाव कोठी तीर्थ घाट के नर्मदा जल पर सीधे तौर पर बन जाता है। वर्तमान में कोटि तीर्थ का जल स्तर 4.5 फीट है जो लगातार नीचे जा रहा है। जल की गहराई कम होने और स्नान करने वाले लोगों की अधिकता भीड़ यहां के जल को निर्मल नहीं रहने देती।य हां पर श्रद्धालु डुबकी लगाने के साथ ही पूजन भी घाट पर करते हैं इस दौरान वह पुष्प और दीपक, दिए, अगरबत्ती यहां तक की नारियल भी विसर्जन कर जाते हैं।

कोटि तीर्थ की तरह नर्मदा मंदिर के ठीक है बगल स्थित मुख्य उद्गम स्थल कुंड में भी ऑक्सीजन की मात्रा महाशिवरात्रि के दौरान 4.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच गई थी।इसी तरह रामघाट में 7.6 , पुष्कर डैम में 7.8,कपिला संगम में 7.9 मिलीग्राम प्रति लीटर आक्सीजन की मात्रा दर्ज की गई है।प्रदूषण नियंत्रण विभाग द्वारा अमरकंटक में नर्मदा जल के प्रदूषण की जांच हेतु जल नमूना लिया जाता है उपरोक्त सभी स्थान पर नदी की गहराई पर सेंसर भी लगाए गए हैं जिनके माध्यम से रियल टाइम वाटर क्वालिटी की मानिटरिंग की जाती है।

बार-बार कोटि तीर्थ स्नान कुंड में बढ़ते जल प्रदूषण
स्नान के लिए कोटि तीर्थ से लगभग 300 मीटर दूरी पर रामघाट और आगे पुष्कर डैम है जहां पर पवित्र नगरी अमरकंटक आए श्रद्धालु नर्मदा में स्नान करते हैं। नर्मदा मंदिर ट्रस्ट और नगर पंचायत अमरकंटक द्वारा बार-बार कोटि तीर्थ स्नान कुंड में बढ़ते जल प्रदूषण की रोकथाम हेतु यहां श्रद्धालुओं के स्नान पर को वर्जित करने का प्रयास कर रही है।शासन और जिला प्रशासन के पास इसके लिए प्रस्ताव भी भेज दिए गए हैं ताकि नर्मदा जल की शुद्धता यहां बनी रहे और श्रद्धालुओं को दर्शन एवं पूजन की अनुमति केवल दी जाए।श्रद्धालु रामघाट, पुष्कर, कपिल संगम जैसे अन्य नर्मदा तटीय घाट पर स्नान बिना किसी विरोध के कर सकते हैं।

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