नई दिल्ली
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प को लेकर चेतावनी जारी की है। अमेरिकी एजेंसियों का मानना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के करीब दोनों ही देशों के सैनिकों की उपस्थिति आज भी जारी है। रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि कैसे चीन अपनी शक्ति दिखाने और विदेशों में अपने हितों की रक्षा करने के लिए श्रीलंका और पाकिस्तान सहित कई अन्य देशों में सैन्य अड्डे स्थापित करना चाहता है। अमेरिकी खुफिया एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और चीन के बीच विवादित सीमा को लेकर तनाव की स्थिति फिलहाल बनी रहेगी। दोनों देशों के बीच भले ही 2020 के बाद से झड़प देखने को नहीं मिली है, लेकिन वे बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को तैनात किए हुए हैं। इसके कारण दोनों देशों के बीच छिटपुट मुठभेड़ों का जोखिम बना हुआ है। इस रिपोर्ट में चीन की सैन्य विस्तार की योजना, आक्रामक चीनी साइबर अभियान और 2024 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों को प्रभावित करने की चीन की कोशिशों की भी बात की कही गई है। इसमें इजरायल-हमास युद्ध और रूस-यूक्रेन युद्ध सहित अन्य संघर्षों का भी जिक्र है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले सप्ताह अरुणाचल प्रदेश में 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनी सेला सुरंग का उद्घाटन किया। यह सुरंग तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी। आपको बता दें कि मई 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा के लद्दाख सेक्टर में चीन के साथ सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद से भारत-चीन सीमा के पास बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में तेजी आई है। दोनों देशों ने लद्दाख सेक्टर में लगभग 50,000 सैनिकों की तैनाती की है।
पाकिस्तान को लेकर भी चेतावनी
रिपोर्ट में पाकिस्तान की तरफ से किसी भी उकसावे की स्थिति में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष की ओर भी इशारा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और पाकिस्तान 2021 की शुरुआत में नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम के बाद अपने संबंधों में शांति को बनाए रखने को इच्छुक दिख रहे हैं। हालांकि, इस दौरान दोनों ही देशों में से किसी के भी द्वारा रिश्ते को सामान्य करने की कोशिश नहीं की गई। रिपोर्ट में कहा है, “भारत विरोधी आतंकवादी समूहों का समर्थन करने का पाकिस्तान का लंबा इतिहास रहा है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पाकिस्तानी उकसावों का सैन्य बल के साथ जवाब देने की भारत की बढ़ती इच्छा भी देखने को मिली है। इन दोनों ही पहलुओं पर गौर करें तो भविष्य में देनों देशों के भी सैन्य गतिरोध की संभावनाओं को खारिज नहीं किया जा सकता है।''