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बी साई प्रणीत ने लिया संन्यास… 31 की उम्र में बैडमिंटन को कहा अलविदा

नई दिल्ली
विश्व चैम्पियनशिप कांस्य पदक विजेता बी साई प्रणीत ने अंतरराष्ट्रीय बैडमिंटन को अलविदा कह दिया। अब वह अमेरिका में एक क्लब से मुख्य कोच के रूप में जुडेंगे। हैदराबाद के 31 वर्ष के प्रणीत ने तोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था लेकिन उसके बाद से चोटों से जूझ रहे हैं। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लिखा,‘मिले जुले जज्बात के साथ मैं इन शब्दों के जरिये उस खेल को अलविदा कह रहा हूं जो 24 से अधिक साल से मेरे लिये सब कुछ रहा है । आज मैं नये अध्याय की शुरूआत कर रहा हूं और अपने अब तक के सफर के लिये अभिभूत और कृतज्ञ हूं।’

अमेरिका में कोचिंग देंगे प्रणीत

प्रणीत ने आगे लिखा,‘बैडमिंटन मेरा पहला प्यार और साथी रहा है। इसने मेरे वजूद को मायने दिये। जो यादें हमने साझा की, जो चुनौतियां हमने पार की, वे सदैव मेरे ह्र्दय में रहेंगी।’ प्रणीत अगले महीने अमेरिेका में ट्रायंगल बैडमिंटन अकादमी के मुख्य कोच के रूप में जुड़ेंगे। उन्होंने कहा,‘मैं अप्रैल में वहां जाऊंगा। मैं क्लब का मुख्य कोच रहूंगा और सारे खिलाड़ी मेरे मार्गदर्शन में खेलेंगे। एक बार वहां जाने के बाद ही विस्तार से बता सकूंगा।’
सिंगापुर ओपन भी जीत चुके

अपने दो दशक से लंबे अंतरराष्ट्रीय करियर में प्रणीत ने 2017 सिंगापुर ओपन सुपर सीरीज खिताब जीता। इसके अलावा स्विटजरलैंड के बासेल में 2019 विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य अपने नाम किया। वह विश्व रैंकिंग में दसवें नंबर तक पहुंचे और तोक्यो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई भी किया लेकिन सारे मैच हारकर ग्रुप चरण से ही बाहर हो गए थे। उन्होंने लिखा,‘मेरी सफलता के पीछे मेरे परिवार, मेरे दादा दादी, माता पिता और पत्नी की अथक हौसला अफजाई रही है। उनके सहयोग के बिना कुछ भी संभव नहीं था।’

उन्होंने लिखा,‘पुलेला गोपीचंद अन्ना, गोपीचंद अकादमी, मेरे सहयोगी और कोचिंग स्टाफ, बचपन के कोच आरिफ सर और गोवर्धन सर को भी धन्यवाद।’ 1983 में प्रकाश पादुकोण के बाद वह वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीतने वाले दूसरे भारतीय पुरुष बैडमिंटन खिलाड़ी थे।

टोक्यो ओलंपिक में किया देश का प्रतिनिधित्व

हैदराबाद के 31 वर्ष के प्रणीत ने टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था लेकिन उसके बाद से चोटों से जूझ रहे हैं। उन्होंने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर लिखा ,‘‘मिले-जुले जज्बात के साथ मैं इन शब्दों के जरिये उस खेल को अलविदा कह रहा हूं जो 24 से भी ज्यादा साल से मेरे लिये सब कुछ रहा है।’’ उन्होंने लिखा ,‘ आज मैं नये अध्याय की शुरूआत कर रहा हूं और अपने अब तक के सफर के लिये अभिभूत और कृतज्ञ हूं।’’
बैडमिंटन को बताया पहला प्यार

प्रणीत ने लिखा ,‘‘ बैडमिंटन मेरा पहला प्यार और साथी रहा है। इसने मेरे वजूद को मायने दिये। जो यादें हमने साझा की, जो चुनौतियां हमने पार की , वे सदैव मेरे ह्र्दय में रहेंगी।’’ प्रणीत अगले महीने अमेरिेका में ट्रायंगल बैडमिंटन अकादमी के मुख्य कोच के रूप में जुड़ेंगे। उन्होंने पीटीआई से कहा ,‘‘ मैं अप्रैल में वहां जाऊंगा। मैं क्लब का मुख्य कोच रहूंगा और सारे खिलाड़ी मेरे मार्गदर्शन में खेलेंगे। एक बार वहां जाने के बाद ही विस्तार से बता सकूंगा।’’

अपने दो दशक से लंबे अंतरराष्ट्रीय कैरियर में प्रणीत ने 2017 सिंगापुर ओपन सुपर सीरिज खिताब जीता। इसके अलावा स्विटजरलैंड के बासेल में 2019 विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य अपने नाम किया। वह विश्व रैंकिंग में दसवें नंबर तक पहुंचे और तोक्यो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई भी किया लेकिन सारे मैच हारकर ग्रुप चरण से ही बाहर हो गए थे।

उन्होंने लिखा ,‘‘ मेरी सफलता के पीछे मेरे परिवार , मेरे दादा दादी, माता पिता और पत्नी की अथक हौसलाअफजाई रही है । उनके सहयोग के बिना कुछ भी संभव नहीं था।’’ उन्होंने लिखा ,‘‘ पुलेला गोपीचंद अन्ना, गोपीचंद अकादमी, मेरे सहयोगी और कोचिंग स्टाफ, बचपन के कोच आरिफ सर और गोवर्धन सर को भी धन्यवाद ।’’ प्रणीत ने लिखा ,‘‘ भारतीय बैडमिंटन संघ, भारतीय खेल प्राधिकरण, टॉप्स, तेलंगाना खेल प्राधिकरण, योनेक्स, ओएनजीसी, गो स्पोटर्स, ओजीक्यू, एपीएसीए, वाट्स इन द गेम, पीबीएल , सभी को धन्यवाद ।’’

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