Monday , November 25 2024
Breaking News

Jaipur Literature Festival: शिव एकता के प्रतीक हैं, उनकी कोई जाति नहीं है, खास मुलाकात में बोले अमीष त्रिपाठी

जयपुर.

लेखन की तरफ अपने रुझान के बारे में बात करते हुए अमीष ने कहा- बैंकिंग की नौकरी के सफर में सफरिंग तो है। शायद मैं इससे बोर हो गया और मैंने पुस्तकें लिखनी शुरू कर दीं। मेरी रॉयल्टी का चेक, सैलरी से ज्यादा हो जाएगा, यह मुझे पता नहीं था।
मेरे बाबा ( दादा जी) बहुत ज्ञानी थे। शिवजी के विषय में उनके साथ मेरा डिस्कशन होता था। शिव के बारे में जानने की रुचि थी और ज्ञान भी था तो बस शिव ने हाथ पकड़ा और में लिखता गया।

शिव की कोई जाति नहीं, कोई नियम नहीं, शिव पिछड़ों के साथ माने जाते हैं तो क्या ज्ञानवापी और काशी को इसी क्रम में देखा जाए? उत्तर प्रदेश में शिवजी की बारात होती है, जिसमें कोई भी आ सकता है, चाहे वह पुरुष हो, नारी हो या फिर नपुंसक। शिव सभी के हैं, जो भी उनके साथ जुड़ेगा शिव उसको प्रसाद जरूर देंगे। शिव एकता का प्रतीक हैं, शिव हम सबको जोड़ते हैं। अब किसको, क्या प्रसाद मिलता है, वो शिव पर निर्भर करता है। मुझे शिवजी ने पुस्तकें दी हैं। राजेंद्र माथुर, जो कि एक साहित्यकार हैं, ने कहा कि हमारे देश में सामाजिक चेतना सदा से आगे रही है, जबकि राजनीतिक चेतना कम रही है इसके बावजूद राम को लाने के लिए रथयात्रा निकाली पड़ी। सुप्रीम कोर्ट तक जाकर लड़ाई लड़नी पड़ी। सामाजिक चेतना को जागृत करना पड़ा। इस पर आपकी क्या राय है?

ये बड़ा ही कॉम्प्लिकेटेड सवाल है। हजारों साल पहले जो आक्रांता हमारे देश में आए और हमारे देश में ही नहीं दुनिया के कोने-कोने में पहुंचे। उन्होंने जिस तरीके का व्यवहार किया, यदि सबको देखा जाए तो दुनिया में आज भी भारत सबसे मजबूत स्थिति में खड़ा है। सोमनाथ पर 16 बार हमला हुआ, 16 बार मंदिर टूटने के बावजूद हमने दोबारा मंदिर बनाया। यह हमारे पूर्वजों का और हमारे बुजुर्गों का आशीर्वाद है और उनकी दृढ़ शक्ति थी कि उन्होंने इस संस्कृति को मिटने नहीं दिया। लंबी लड़ाइयां लड़कर भी हम वापस आए हैं यह विषय राजनीति का नहीं है यह राजनीति से बहुत ऊपर उठकर विषय है।  के.के. मोहम्मद जैसे लोगों ने अपनी रिसर्च से सुप्रीम कोर्ट में यह साबित किया कि अयोध्या में वहां मंदिर था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले में इससे बहुत हद तक मदद मिली। उन्होंने कोर्ट में यह भी कहा कि बाबर तो विदेशी है और मैं हिंदुस्तान का हूं। मेरा और बाबर का क्या लेना-देना? तो मेरा यह मानना है कि हिंदू और मुसलमान कोई मुद्दा नहीं है बल्कि यह भारतीय और विदेशी का मुद्दा है। वेटिकन सिटी और मक्का दोनों ही जगहों से धर्म को लेकर बड़े फैसले लिए जाते हैं, तो क्या भारत में अयोध्या वह स्थान प्राप्त करेगा, जहां से तय किया जाए कि धर्म किस दिशा में चलेगा?

मैं तो यह कहूंगा कि अयोध्या और राम जन्मभूमि हमारे लिए एकता का प्रतीक बन सकते हैं। पुराने जमाने में पूरे देश के लोग हमारे मंदिरों में आते थे, एकत्रित होते थे और हमारे मंदिर एकता का प्रतीक होते थे। आज भी अगर मैं देखता हूं तो राम जन्मभूमि में महाराष्ट्र से लोग ढोल-ताशा लेकर आ रहे हैं, केरल से लोग आ रहे हैं, देश के कोने-कोने से लोग आ रहे हैं तो कह सकते हैं कि अयोध्या देश को एक करने का स्थान बनेगा ।

About rishi pandit

Check Also

झारखंड में एक बार फिर सत्ता की चाबी हासिल करने के बाद हेमंत सोरेन 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे

रांची झारखंड में एक बार फिर सत्ता की चाबी हासिल करने के बाद हेमंत सोरेन …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *