विशेष संपादकीय
हमारा देश आज 75 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। 75वां गणतंत्र सभी भारतवासियों के लिए विशेष है। लगभग 500 साल से अखिल ब्रम्हांड नायक प्रभु श्रीराम अपनी ही भूमि में टेंट के नीचे वनवासी सा जीवन काट रहे थे। अब वो अयोध्या के भव्य राममंदिर में प्रतिष्ठित हो गये हैं। समूचे सनातनियों की यह अभिलाषा कई सदियों से धर्मनिरपेक्षता की कथित जंजीरों में जकड़ी थी। जिसमें जकड़े रामलला को 22 जनवरी 2024 में स्वतंत्रता मिल गई और वे पूरी गरिमा के साथ भव्य मंदिर में विराजमान हो गये। इस अवसर पर पूरे संसार के सनातनी हर्षित, आनंदित और प्रफुल्लित हैं। समूचे विश्व में जय श्रीराम गुंजायमान है। हम सभी सौभाग्यशाली हैं कि हमें यह सुखद दृश्य देखने का अवसर मिला है।
राम मंदिर हमारी संस्कृति, हमारी आस्था, राष्ट्रीयत्व और सामूहिक शक्ति का प्रतीक है। यह सनातन समाज के संकल्प, संघर्ष और जिजीविषा का ही परिणाम है। यह उमंग और उत्सव का अवसर है, समूचा समाज उल्लास के साथ खुशियां मना रहा है। राजा राम प्रत्येक भारतीय और विश्व में व्याप्त सनातनियों के आदर्श हैं। वे सत्यनिष्ठा के प्रतीक, सदाचरण और आदर्श पुरुष के साकार रूप मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। हमें भगवान राम के जीवन से प्रेरणा भी लेनी चाहिए। कर्तव्यपथ पर प्रतिबद्ध श्रीराम के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता है कि वे सबके थे और सबको साथ लेकर चलते थे। सबका विश्वास अर्जित करने के लिए अपने सुखों का भी त्याग कर देते थे। वे जितने वीर थे, मेधावी थे उतने ही सहनशील भी। उन्होंने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया और विपरीत परिस्थिति कभी उन्हें विचलित नहीं कर सकती थीं।
आज देशव्यापी दो विशेष अवसरों ने समूचे देशवासियों का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है। हमारे पूर्वजों के अथक संघर्ष और बलिदानों से, 74 साल पहले, हमने एक लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में अपनी पहचान स्थापित की थी। एक ऐसी जमीन, जहाँ हर नागरिक को, चाहे वो किसी भी धर्म जाति या भाषा का हो, समानता, न्याय और स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है। गणतंत्र दिवस के पावन अवसर पर हमें उन अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों को याद करना चाहिए, जिनके हौंसलों और त्याग के बिना ये पावन स्वतंत्रता का सूर्योदय कभी न होता. वो वीर सपूत जिन्होंने अंग्रेजों के सदियों के जुल्म के खिलाफ बगावत का बिगुल बजाया, जिन्होंने जेलों की यातनाएं सहीं, फांसी के तख्ते पर हंसते-हंसते चढ़े, और अपने प्राणों की आहुति देकर हमें यह अनमोल आजादी दिलाई। हमारे संविधान निर्माताओं ने वो दिव्य दस्तावेज रचा, जिसने हमारे गणतंत्र को मजबूत आधार दिया। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद, राजेन्द्र प्रसाद जैसे महापुरुषों की सूझबूझ और दूरदर्शिता ने हमें संविधान का वो प्रकाश स्तंभ दिया, जो हमें लोकतंत्र के अंधकार से निकालकर न्याय, समानता और भाईचारे के उजाले में लाता है। संविधान वो आधारशिला है जिस पर हमारा लोकतंत्र टिका हुआ है। वो कवच है जो हर नागरिक को अन्याय के तीरों से बचाता है। वो पवित्र ग्रंथ है जो हमें हमारे कर्तव्य का बोध कराता है। हमें ये याद दिलाता है कि स्वतंत्रता के साथ जिम्मेदारी भी आती है। जिसके तहत हम सभी को एक समृद्ध और विकसित राष्ट्र बनाने का संकल्प लेना होगा।
तो आइये…इस गणतंत्र दिवस पर हम संकल्प लें कि हम संविधान को जिएंगे, लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा करेंगे, देश के विकास में अपना योगदान देंगे और भारत को विश्व गुरु बनाने का स्वप्न पूरा करेंगे। अयोध्या के भव्य मंदिर में विराजे प्रभु श्रीराम का आशीर्वाद हम सभी को भारत को विश्व गुरु बनाने का सामथ्र्य प्रदान करेगा।