Sunday , November 24 2024
Breaking News

आरोपी इस आधार पर जमानत की मांग नहीं कर सकता कि अन्य के खिलाफ जांच लंबित है: SC

नई दिल्ली
उच्चतम न्यायालय ने डीएचएफएल के पूर्व प्रवर्तकों कपिल वधावन और उनके भाई धीरज को करोड़ों रुपये के बैंक ऋण घोटाले में दी गई जमानत को रद्द करते हुए कहा है कि कोई आरोपी इस आधार पर जमानत नहीं मांग सकता कि अन्य आरोपियों के खिलाफ जांच लंबित है या जांच एजेंसी द्वारा दायर आरोप पत्र अधूरा है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 167 की उपधारा (2) में संलग्न प्रावधान का लाभ आरोपी को तभी मिलेगा, जब उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया हो और जांच लंबित रखी गई हो।

उसने कहा कि हालांकि आरोप पत्र दायर होने के बाद यह अधिकार नहीं मिलेगा।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि यदि अदालत आरोप पत्र के साथ प्रस्तुत सामग्री से अपराध होने की बात को लेकर संतुष्ट हो जाती है और आरोपी द्वारा कथित रूप से किए गए अपराध का संज्ञान ले लेती है तो इस बात का कोई महत्व नहीं रह जाता कि आगे की जांच लंबित है या नहीं।

पीठ ने कहा कि विशेष अदालत और दिल्ली उच्च न्यायालय दोनों ने ही वधावन बंधुओं को जमानत देने में गंभीर कानूनी त्रुटि की है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि इस भलीभांति स्थापित कानूनी तथ्य से असहमति नहीं हो सकती कि सीआरपीसी की धारा 167 (2) के तहत नैसर्गिक जमानत का अधिकार न केवल वैधानिक अधिकार है बल्कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त अधिकार है।

पीठ ने कहा, ''यह एक अपरिहार्य अधिकार है, फिर भी यह केवल चालान या आरोप पत्र दाखिल करने से पहले ही लागू किया जा सकता है, और यदि पहले से ही इसका लाभ नहीं उठाया गया है तो यह चालान दाखिल होने पर लागू नहीं होता। एक बार चालान दाखिल हो जाने के बाद, जमानत देने के सवाल पर जमानत देने से संबंधित प्रावधानों के तहत मामले के गुण-दोषों के संदर्भ में ही विचार किया जाना चाहिए और निर्णय लिया जाना चाहिए।''

इस मामले में सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज होने के बाद 88वें दिन आरोप पत्र दायर किया था और निचली अदालत ने आरोपियों को नैसर्गिक जमानत दे दी थी और दिल्ली उच्च न्यायालय ने इस आदेश को कायम रखा था।

वधावन बंधुओं को पिछले साल 19 जुलाई को इस मामले में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि उच्च न्यायालय ने सफाई दी थी कि उसने मामले के गुण-दोषों पर विचार नहीं किया।

आरोप पत्र 15 अक्टूबर, 2022 को दायर किया गया था और इस पर संज्ञान लिया गया।

यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की शिकायत के आधार पर मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

आरोप है कि डीएचएफएल, इसके तत्कालीन अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक कपिल वधावन, इसके तत्कालीन निदेशक धीरज वधावन और अन्य आरोपियों ने आपराधिक षड्यंत्र रचकर यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के संघ के साथ धोखाधड़ी की।

 

About rishi pandit

Check Also

विधायकों के आवासों पर 16 नवंबर को हुई तोड़फोड़ तथा आगजनी की घटना में शामिल होने के आरोप में दो गिरफ्तार

इंफाल इंफाल घाटी में विधायकों के आवासों पर 16 नवंबर को हुई तोड़फोड़ तथा आगजनी …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *