Monday , November 25 2024
Breaking News

ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट जिसके जवान 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर दिखेंगे.

नईदिल्ली
 गणतंत्र के स्पेशल 26 में बात सेना की ऐसी रेजीमेंट की जिसका नाम किसी क्षेत्र या जाति का आधार पर नहीं रखा गया है. इसका नाम रखा एक हथियार के नाम पर रखा गया है. ग्रेनेडियर्स रेजीमेंट के जवान इस बार कर्तव्य पथ पूरे जोश के साथ दिखेंगे.  बात उस रेजीमेंट की, जिसकी कोई क्षेत्रीय या जातीय पहचान नहीं है, बल्कि एक हथियार के नाम पर जानी जाती है. ये है ग्रेनेडियर्स रेजिमेंट जिसके जवान इस 26 जनवरी को कर्तव्य पथ पर दिखेंगे.

250 साल पुराना है इतिहास

ग्रेनेडियर्स एक इन्फ़ैंट्री रेजिमेंट है- यानी तोपख़ाने वाली रेजिमेंट. इसका इतिहास 250 साल पुराना है. पहले ये बॉम्बे आर्मी का हिस्सा थी. इसकी वीरता की कहानी इसे मिले पुरस्कार बताते हैं. इस रेजिमेंट को 3 परमवीर चक्र मिल चुके हैं. इसके अलावा इसने 35 युद्ध सम्मान हासिल किए हैं. इसकी जड़ें सत्रहवी सदी तक जाती हैं. इसका रेजिमेंटल सेंटर जबलपुर में है. इसका युद्धघोष है सर्वदा शक्तिशाली. आज़ादी के बाद की सभी लड़ाइयों में- 1965, 1971, और 1999 के ऑपरेशन विजय में ग्रेनेडियर्स के जवानो ने अदम्य वीरता दिखाई.

अब्दुल हमीद की बहादुरी

1965 के युद्ध में वीर अब्दुल हमीद की कहानी अब भी सबको प्रेरणा देती है. घायल होने के बावजूद उन्होंने 8 पैटन टैंक नष्ट किए. उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र मिला. 1971 की जंग में मेजर होशियार सिंह ने दिखाई बहादुरी और पाक सेना को पीछे धकेला. उन्हें भी परमवीर चक्र मिला.
इस रेजीमेंट के जवान ग्रेनेड फेंकने में माहिर होते हैं

करगिल युद्ध में ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह और उनके साथियों ने गोली  खाकर भी टाइगर हिल्स पर तिरंगा फहराया. योगेंद्र सिंह को भी परमवीर चक्र मिला. इस रेजिमेंट में राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, यूपी और हिमाचल प्रदेश के ज़्यादातर जवान आते हैं. इसी रेजिमेंट के कर्नल राज्यवर्द्धन राठौड़ ने 2004 के ओलंपिक में रजत पदक जीता था. इसके जवान ग्रेनेड फेंकने में माहिर होते हैं और ज़मीनी युद्धों में सिर पर कफ़न बांध कर अपनी भूमिका निभाते हैं. करगिल युद्ध मे ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव और उनके साथियों ने दुश्मन की गोलियां खाकर भी टाइगर हिल्स पर तिरंगा फहराया. अदम्य साहस और दृढ़ निश्चय का परिचय देने के लिये योगेंद्र सिंह यादव को परमवीर च्रक मिला.

ऐसी रेजिमेंट जिन्हें तीन परमवीर चक्र, दो अशोक चक्र, सात महावीर चक्र, दस कीर्ति चक्र और कई वीरता पुरस्कारों से सम्मानित किया गया. इसमें राजस्थान, गुजरात, हरियाणा उत्तरप्रदेश और हिमाचल प्रदेश से ज़्यादातर जवान आते हैं. जिनमे जाट, अहीर ,राजपूत ,गुर्जर और मुस्लिम होते हैं.

इस रेजिमेंट के नाम ओलंपिक पदक भी

इस रेजिमेंट के नाम ओलंपिक पदक भी है.कर्नल राज्य वर्धन राठौड़ ने 2004 में ओलंपिक में रजत पदक जीता था. इसके जवान ग्रेनेड फेकने में बहुत माहिर होते है. सेंटर में हथगोले फेकने की ट्रेनिंग होती है जिससे दुश्मन को ज़्यादा नुकसान पहुंचाया जा सके. इस रेजिमेंट में सबको कुछ करने की प्रेरणा मिलती है.  देश के लिये कुछ कर गुजरने का.पलटन के लिये बहादुरी का मिसाल कायम करने का . सर पर कफन बांधकर जीत की गाथा लिखने का जो ग्रेनेडियर्स के शूरवीरों की दास्तान रही है.

About rishi pandit

Check Also

मणिपुर में विधायकों के घर को नुकसान पहुंचाने वाले सात और लोगों पर सख्ती, पुलिस ने अब तक 41 आरोपी किए गिरफ्तार

इंफाल. मणिपुर में पिछले साल मई में भड़की हिंसा अभी भी थमने का नाम नहीं …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *