Monday , November 25 2024
Breaking News

ढाई अरब साल पुराने ग्रेनाइट पत्थर से बनाई गई है रामलला की मूर्ति, इस पर मौसम का कोई असर नहीं होगा

आयोध्या

रामलला की भव्य और दिव्य मूर्ति को प्राण प्रतिष्ठा के बाद सोमवार को दिखाया गया था। अब आम भक्त भी साक्षात दर्शनों के लिए रामलला के मंदिर में उमड़ रहे हैं। इस बीच इस मूर्ति को लेकर भी भक्तों के मन में कई सवाल हैं कि आखिर इसे किस पत्थर से बनाया गया है और इसकी क्या खासियत है। दरअसल रामलला की 51 इंच ऊंची और 200 किलो के वजन की मूर्ति को खास तरह के काले ग्रेनाइट पत्थर से तैयार किया गया है, जिसे कर्नाटक से लाया गया था।रिपोर्ट के मुताबिक नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रॉक मेकेनिक्स के डायरेक्टर एच.एस. वेंकटेश ने कहा, 'यह पत्थर ढाई अरब साल पुराना है।'

भारत में न्यूक्लियर पावर प्लांट्स और बांधों के निर्माण के लिए पत्थरों एवं चट्टानों को चेक करने का काम यही संस्था करती है। वेंकटेश ने कहा कि इस काले ग्रेनाइट पत्थर की यह खासियत है कि इस पर मौसम का असर नहीं होता। मौसम के तमाम बदलावों के बीच भी यह हजारों साल तक जस का तस बना रहेगा। कहा जाता है कि पृथ्वी के निर्माण के दौरान बड़े पैमाने पर विस्फोट हुए थे और उसी लावा के पिघलने से ग्रेनेटिक पत्थर बने थे। ग्रेनाइट पत्थर बेहद ठोस होता है और उस पर मौसम के बदलाव आदि का असर नहीं होता।

केंद्रीय विज्ञान मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी पिछले दिनों बताया था कि राम मंदिर को ऐसी तकनीक और पत्थरों से बनाया जा रहा है कि 1 हजार साल तक उस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि राम मंदिर के निर्माण में श्रेष्ठ तकनीक और उच्चतम क्वॉलिटी के पत्थरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। रामलला की मूर्ति तैयार करने के लिए कर्नाटक के मैसुरु जिले के जयपुरा होबली गांव के पत्थर को चुना गया है। इस गांव को शानदार क्वॉलिटी के काले ग्रेनाइट पत्थरों की खदानों के लिए जाना जाता है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह ग्रेनाइट पत्थर प्री-कैम्ब्रियन काल का है, जिसकी शुरुआत 4 अरब साल पहले हुई थी। माना जा रहा है कि यह काल पृथ्वी के संपूर्ण इतिहास के करीब बीच का है। माना जाता है कि मनुष्य की उत्पत्ति 14  मिलियन साल पहले हुई थी और आज हम मनुष्य के जिस स्वरूप को देख रहे हैं, वह कभी होमो सैपियन हुआ करता था। वैज्ञानिकों का अनुमान रहा है कि पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत 4 अरब साल पहले हुई होगी। इस तरह रामलला की मूर्ति में लगा काला ग्रेनाइट का पत्थर बेहद खास है और पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व पाए जाने के दौर का है। यह खास पत्थर न तो पानी सोखता है और ना ही इस पर कार्बन का कोई असर दिख सकता है।

 

About rishi pandit

Check Also

मणिपुर में विधायकों के घर को नुकसान पहुंचाने वाले सात और लोगों पर सख्ती, पुलिस ने अब तक 41 आरोपी किए गिरफ्तार

इंफाल. मणिपुर में पिछले साल मई में भड़की हिंसा अभी भी थमने का नाम नहीं …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *